रांची(ब्यूरो)। कांके डैम अपने सौंदर्य के लिए जाना जाता है। यह एक पर्यटन स्थल भी है, जहां हर दिन सैकड़ों लोग घूमने आते हैं। लेकिन आज इस डैम की दुर्गति हो गई है। डैम का पानी सडऩे लगा है। डैम में हर तरफ जलकुंभी नजर आ रहा है। कांके डैम को सिटी की लाइफ लाइन भी माना जाता है। क्योंकि यहां से शहर के रिहायशी इलाकों में जलापूर्ति की जाती है। लेकिन लगातार हो रहे एन्क्रोचमेंट और जलकुंभी ने डैम के पानी को गंदगी में बदल दिया है। डैम के पानी का रंग हरा हो चुका है। इससे अब बदबू भी आने लगी है। अगर जल्द इस दिशा में ध्यान नहीं दिया गया तो धीरे-धीरे जलकुंभी पूरे डैम को अपनी चपेट में ले लेगी।

एक मशीन से सफाई का प्रयास

डैम से जलकुंभी हटाने के लिए नगर निगम एक वीड हार्वेस्टर मशीन से इसकी सफाई करा रहा है। लेकिन, डैम में जिस रफ्तार से जलकुंभी फैल रही है, उसे हटाने के लिए एक वीड हार्वेस्टर मशीन नाकाफी है। विशेषज्ञों की मानें तो साफ पानी में जलकुंभी नहीं उगती है। पानी जब खराब होने लगता है, तभी उसमें जलकुंभी उगने लगती है। ऐसे में डैम से सिर्फ जलकुंभी हटा देने से यह पूरी तरह से साफ नहीं होगा। इसके लिए इसकी तलहटी में जमी गाद निकालनी होगी। जब तक यह डैम गाद मुक्त नहीं होगा, तब तक डैम में रुक-रुककर जलकुंभी उगती रहेगी।

टूरिस्ट स्पॉट है कांके डैम

कांके डैम की पहचान पर्यटन स्थल के रूप में भी है। ऐसे में प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग यहां टहलने व मनोरंजन के लिए आते हैं। लेकिन, जलकुंभी से भरे इस डैम के पानी से आनी वाली बदबू लोगों की परेशानी का सबब बन चुका है। लोग अब यहां आने से बचते है। कांके डैम पार्क के कर्मचारी बताते हैं कि एक समय था जब यह स्थान लोगों से गुलजार रहा करता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। देखभाल के अभाव और उपेक्षा की वजह से कांके डैम की सुंदरता दिनोंदिन सिमटती जा रही है। कांके डैम को टूरिस्ट प्लेस के रूप में डेवलप करने की तैयारी है। वहीं डैम की सफाई के दावे भी किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

बड़ी आबादी को पानी सप्लाई

कांके डैम से शहर की बड़ी आबादी को पानी की सप्लाई की जाती है। आसपास के लोगों का कहना है कि काफी समय से डैम की सफाई नहीं हुई है। इस वजह से जलकुंभी तेजी से फैल रहा है। डैम में जलापूर्ति के लिए फिलहाल 23 फीट पानी है। डैम का उच्चतम जलस्तर 28 फीट है। वहीं, सात फीट से पानी कम होने पर डैम से जलापूर्ति नहीं की जा सकती है, क्योंकि डैम में सात फीट तक गाद जमा हो चुका है। जलाशय में अत्यधिक मात्रा में एल्गी व जलकुंभी पनप रहे है। धूप और गर्मी की वजह से जलकुंभी के सडऩे और शहर के विभिन्न नालों से आनेवाले गंदे पानी व कचरे के कारण जलाशय में गाद भरता जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से डैम से सप्लाई भी गंदे पानी की ही हो रही है।

कही खत्म न हो जाए कांके डैम का अस्तित्व

बड़ा तालाब, हरमू नदी, स्वर्णरेखा के बाद अब कांके डैम का अस्तित्व भी खतरे में है। राजधानी की लाइफलाइन माने जाने वाले कांके डैम में भी जलकुंभियों का कब्जा बढ़ गया है। डैम के किनारे पर तो काफी पहले से ही जलकुंभियों का राज था अब डैम के बीच एरिया में भी जलकुंभी पनपने लगी है। यदि समय रहते डैम की सफाई नहीं कराई गई तो इस गर्मी लोगों को परेशानी तो होगी ही, साथ ही डैम का अस्तित्व भी खतरे में आ सकता है। आलम यह है कि कांके डैम साइड से गुजरना भी मुश्किल हो गया है। क्योंकि डैम के पानी से दुर्गंध आने लगी है। इसके आसपास में रहने वाले लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। डैम साइड स्थित टिकरी टोला के लोगों का कहना है दुर्गंध के कारण जीना मुहाल हो गया है। डैम की कभी सफाई नहीं कराई गई है। टिकरी टोला के लोगों ने बताया कि गर्मी के मौसम में जलस्तर कम हो जाता है, जिससे घास और जंगली पौधे जमीन पर उग आते हैं लेकिन वहीं बरसात के मौसम में डैम का जलस्तर बढऩे के कारण सभी घास, जंगली पौधे डैम में समाहित हो जाते हैं और वही पानी के अंदर सड़ जाते हैं, जिससे बदबू फैलने लगती है। यदि समय-समय पर सफाई कराई जाती तो ऐसी नौबत नहीं आती।

डैम में जा रहा नाले का पानी

कांके डैम के दूषित होने की दूसरी वजह इसमें मिलने वाला गंदा पानी भी है। बारिश का पानी जो सड़क पर या मकानों पर गिरता है वह बहते हुए आकर कांके डैम में ही मिल जाता है। इसके अलावा घरों के बाथरूम से निकलने वाला गंदा पानी भी नालों से होता हुआ डैम में आकर गिरता है। डैम के आसपास लाइन से नाला दिखता है, जिसका गंदा पानी डैम में गिरता है। इससे भी पानी लगातार दूषित हो रहा है।