RANCHI:रांची के दूसरे सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सदर में बच्चों की किलकारी लगभग 15 दिनों बाद फिर से गूंजने लगी है। जी हां, कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर 26 अप्रैल को अस्पताल में गर्भवती महिलाओं का इलाज व प्रसव बंद किया गया था। इसके बाद 9 मई को एक संक्रमित महिला ने बच्चे को जन्म दिया और तब से लेकर 18 मई तक सदर अस्पताल में 13 गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी कराई जा चुकी है। इसके साथ ही हॉस्पिटल कैंपस में एक बार फिर से बच्चों की किलकारी गूंजने लगी है।
अप्रैल में 230 बच्चों का जन्म
कोरोना की वजह से भले ही एक ओर लगातार डराने वाली खबरें आती रही हैं। लेकिन दूसरी ओर कुछ सुखद खबरें भी आई हैं। वैसे तो बच्चों का जन्म लेना अनवरत प्रकिया है। लेकिन बात जब कोरोना काल में बच्चे के जन्म से संबंधित हो तो वो खास हो जाता है। जी हां, अप्रैल और मई के महीने में जहां रांची में कोरोना पूरे पिक पर था, हर ओर मातम ही मातम पसरा था। ऐसे में सिटी के सदर हॉस्पिटल में नवजात बच्चे भी जन्म ले रहे थे। भले पहले की अपेक्षा हॉस्पिटल में बच्चों का जन्म कम हुआ, लेकिन जो गर्भवती महिला मां बनी उसका अच्छे तरीके से ट्रीटमेंट हुआ और मां एवं बच्चे दोनों स्वस्थ घर लौटे। अप्रैल महीने में सदर हॉस्पिटल में 230 बच्चों ने जन्म लिया, जबकि इस महीने 18 मई तक 13 बच्चे दुनिया में आए।
कोविड हॉस्पिटल बना है सदर
कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद मरीजों के इलाज के लिए सदर हॉस्पिटल को कोविड हास्पिटल में बदल दिया गया है। यहां अलग-अलग फ्लोर पर कोरोना संक्रमितों का इलाज हो रहा है। हॉस्पिटल के सभी मेडिकल स्टॉफ को कोरोना मरीजों की देखभाल में लगा दिया गया है। मेटरनिटी वार्ड के मेट्रोन को भी कोरोना ड्यूटी लगाई गई थी।
26 अप्रैल से बंद थी डिलीवरी
मेट्रोन ट्रेसा का कहना है बीते एक महीेने में काफी कुछ देखने को मिला। एक ओर लोग जिंदगी के लिए लड़ रहे थे तो वहीं दूसरी हॉस्पिटल में कुछ दिनों के लिए बच्चों की किलकारी गूंजनी भी बंद हो गई। अप्रैल महीने में कोरोना संक्रमितों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होने के कारण सदर अस्पताल में 26 अप्रैल से डिलीवरी बंद करा दी गई थी। आठ मई तक यहां गर्भवती महिलाओं का इलाज बंद था। बीते नौ मई से ही फिर एक बार यहां नन्हे बच्चों की किलकारी गूंजने लगी है। हालांकि, अब भी सावधानी बरती जा रही है।
हर माह सैकड़ों बच्चों का जन्म
रांची का सदर हॉस्पिटल गर्भवती महिलाओं और नन्हे बच्चों के लिए जाना जाता है। सदर हॉस्पिटल की नई बिल्डिंग में सिर्फ प्रेग्नेंट महिलाओं का ही इलाज कराया जाता है। दूर-दराज से महिलाएं अपना इलाज कराने आती हैं। विशेष कर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए सहारा है सदर हॉस्पिटल। यहां हर महीने पांच सौ से ज्यादा बच्चों का जन्म होता है। कोरोना की वजह अप्रैल महीने में संख्या आधी हो गई। एक बार फिर से रफ्तार पकड़ रही है। लोग इलाज के लिए आना शुरू कर दिए हैं।
संक्रमित महिला ने दिया बच्ची को जन्म
नौ मई से सदर हॉस्पिटल में फिर से गर्भवती महिलाओं का इलाज व प्रसव शुरू हो गया। हर दिन लेबर रूम में बच्चों का जन्म हो रहा है। इसी कड़ी में कोरोना संक्रमित महिला भी मां बनी। मेट्रोन ट्रेसा ने बताया कि महिला और बच्ची दोनो स्वस्थ हैं। संक्रमित होने के कारण बच्ची को मां से अलग रखा गया था। हॉस्पिटल की मेट्रोन ही बच्ची की देखभाल कर रही थी। हॉस्पिटल मैनेजर ने बताया कि कोरोना काल में प्रसव जारी रखने के लिए रोस्टर के अनुसार काम किया गया, ताकि डॉक्टर और नर्स अपनी सेवा दे पाएं। साथ ही संक्रमण से बचने के लिए लगातार सेनेटाइजेशन का भी ध्यान रखा गया है। कई मेडिकल स्टाफ भी संक्रमण की चपेट में आए। रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद ही उन लोगों ने दोबारा सेवा दी।
मां और बच्चे के इलाज में पूरी सावधानी बरती जा रही है। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए हॉस्पिटल में प्रसव कराया जा रहा है। कुछ दिनों तक प्रसव बंद रहने के बावजूद जनवरी से अबतक 1670 बच्चों ने जन्म लिया।
- ट्रेसा, असिस्टेंट मेट्रोन, सदर हॉस्पिटल
फैक्ट फाइल
महीना बच्चे का जन्म
जनवरी ---- 460
फरवरी ---- 422
मार्च ---- 546
अप्रैल 26 तक ---- 230
09 मई से 18 मई तक --- 13