रांची: झारखंड की पहली और देश की तीसरी रक्षाशक्ति(डिफेंस)यूनिर्वसिटी, जो खूंटी में बन रही है, उसके काम पर ब्रेक लगा दिया गया है। सरकार अब इस यूनिर्वसिटी में चल रहे कोर्स की समीक्षा करेगी, उसके बाद ही काम शुरू होगा। उच्च शिक्षा निदेशक ने भवन निर्माण निगम को पत्र लिखकर तत्काल काम बंद करने का निर्देश दिया है। शिक्षा विभाग से पत्र मिलते ही भवन निर्माण निगम ने भी काम पर रोक लगा दी है। 200 करोड़ की इस परियोजना पर अब तक 10 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।
2017 में शुरू हुआ था काम
खूंटी जिले के नॉलेज सिटी क्षेत्र में 12 नवंबर 2017 को इसका शिलान्यास तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया था। 75 एकड़ जमीन पर 200 करोड़ रुपए की लागत से इसका निर्माण चल रहा था। अभी तक रक्षाशक्ति विश्वविद्यालय का अपना कैंपस नहीं बना है। वर्तमान में आड्रे हाउस के सामने सरकार के भवन में तत्कालीन व्यवस्था के तहत यूनिवर्सिटी चल रही है।
देश की तीसरी यूनिवर्सिटी
गुजरात और राजस्थान के बाद खूंटी में 200 करोड़ रुपए की इस परियोजना में अब तक लगभग 10 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। इस कैंपस तक पहुंचने के लिए रोड और भवन आदि का निर्माण शुरू कर दिया गया है। पहले से ही यह भवन अपने तय समय से काफी लेट चल रहा है। अब सरकार द्वारा इसपर रोक लगा दी गई है। इससे इसको तैयार होने में और अधिक समय लगेगा।
एक साथ 3000 स्टूडेंट्स पढ़ सकेंगे
जितने बड़े कैंपस में इस यूनिवर्सिटी का निर्माण किया जा रहा है, इसमें एक साथ तीन हजार स्टूडेंट्स को शिक्षा देने की योजना है। दसवीं पास कर नौकरी पाने के लिए गरीब बच्चे का एडमिशन कराकर एक साल का कोर्स कराया जाएगा। इसके बाद उन्हें पुलिस की नौकरी में प्राथमिकता दी जाएगी। इस विश्वविद्यालय में सीआईएसएफ के लिए 3 साल का कोर्स होना है, जहां से शिक्षा पाकर युवा झारखंड औद्योगिक संस्थानों में नौकरी कर सकेंगे। साइबर अपराध को रोकने के लिए युवाओं को प्रशिक्षित किया जाना है, ताकि साइबर अपराध पर रोक लगाई जा सके।
स्टूडेंट्स के साथ हो चुका है धोखा
यहां पढ़ाई पूरी कर चुके दो बैच के स्टूडेंट्स नौकरी के लिए इधर से उधर भटक रहे हैं। विश्वविद्यालय में पढ़ाई पूरी कर निकल रहे विद्यार्थियों की यह स्थिति वहां प्लेसमेंट सेल का गठन नहीं होने से हुई है। दरअसल, पहले बैच के निकलने के बाद विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने वाहवाही में विद्यार्थियों को चेन्नई की एक सुरक्षा एजेंसी में यह कहते हुए प्लेसमेंट करा दिया कि वहां उन्हें विभिन्न कंपनियों में सुरक्षा पदाधिकारी की नौकरी दिलाई जाएगी। जब विद्यार्थी वहां पहुंचे, तो उन्हें गार्ड की नौकरी करने को कहा गया। इससे विद्यार्थी नाराज होकर वापस लौट आए और विश्वविद्यालय पर फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाने लगे। इस घटना के बाद विश्वविद्यालय में न तो प्लेसमेंट सेल गठित किया गया और न ही बाद में दो बैच की पढ़ाई पूरी कर चुके विद्यार्थियों का प्लेसमेंट कराने का प्रयास किया गया।