रांची (ब्यूरो) । सम्पूर्ण सृष्टि की ज्वलन्त समस्याओं का मूल कारण आध्यात्मिक दरिद्रता है। दरिद्र मन वाला व्यक्ति समाज, राष्ट्र और विश्व के लिए बोझ है। ब्रह्माकुमारी संस्थान आध्यात्मिक संपन्नता के लिए विशेष कार्य कर रहा है। दीपावली का प्रकाश पर्व भी अन्दर की दरिद्रता समाप्त करके ज्ञान, गुण

और शक्तियों की सम्पन्नता लाने का संदेश देता है। ये उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, चौधरी बगान, हरित भवन के सामने, हरमू रोड प्रागंण में आयोजित दीपोत्सव समारोह में श्रीमहालक्ष्मी, श्रीगणेश, नुण्डमाला खप्पड़ वाली देवी एवं श्रीकृष्ण व राधा की चैतन्य झांकी के समक्ष दीप प्रज्वलित करके उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि कंचन सिंह, सहायक निदेशक समाज कल्याप निदेशालय, रांची ने व्यक्त किये।

भाईचारे की भावनाएं

उन्होंने कहा दीप जलाकर हम ज्ञान-धन की कामना करते हैं ताकि अज्ञान का त्मस् जिन्दगी से चला जाये। जीवन में ज्ञान जाग्रति न होने से ही मनुष्य चोरी और गुनाह अंधेरे में नजर चुरा कर करता है। मिथ्या समझ के कारण समाज में ये गलतियां हो रही हैं।

ईश्वरीय ज्ञान का प्रकाश ही स्व'छता और पारदर्शिता लायेगा। ईश्वरीय ज्ञान से जाग्रत आत्माओं के सम्पूर्ण प्रकाश में अत्याचार, शोषण व भ्रष्टाचार जैसी काली प्रवृतियां समाप्त हो जायेगी व विश्व के कोने-कोने में शांति, प्रेम व भाईचारे की भावनाएं जाग्रत होगीं।

माया ही नरकासुर है

इस अवसर पर सेवानिवृत भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी डोमन सिंह मुंण्डा ने कहा माया ही नरकासुर है। उसने ही भारत की सम्पन्नता श्रीलक्ष्मी को अपने पास में आबद्ध किया था। तब ही परमात्मा शिव इस कलियुगी सृष्टि में अवतरित हुए उन्होंने विकारों के कारागार में बन्दी हुई मनुष्य आत्माओं को ज्ञान और योग के साधन द्वारा मुक्त कराया।

कर्यक्रम में झारखण्ड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता विभूति शंकर सहाय ने कहा ईश्वरीय विश्व विद्यालय सम्पूर्ण पवित्रता का ऐसा प्रकाश स्तंभ है जिसके प्रकाश से हर मानव अपने जीवन का अन्धकार हटा सकता है। अब इस धरा को जगमग करने के लिए परम ज्योति निराकार परमात्मा का

अवतरण हुआ है। सर्व अनिष्टों से निवृत्ति उनसे योग लगाकर ही हो सकती है।

आत्मा में ज्ञानदीप जलाएं

इस अवसर पर प्रखण्ड विकास पदाधिकारी अनुरंजन झा ने कहा कि हमें सर्वप्रथम स्वयं की आत्मा में ज्ञानदीप जलाकर आत्मा को प्रकाशित करने की आवश्यकता है और इस तरह की अलौकिक प्रकाश से संपन्न आत्माएँ कभी किसी के मन को पीड़ा नहीं दे सकतीं।

इस अवसर पर डॉ आशीष भगत ने कहा कि हमसब प्रत्येक वर्ष दीपावली में दीप जलाकर अपने घर को एक दिन के लिए रोशन करते हैं, लेकिन हमें प्रतिदिन अपनी आत्मा को जाग्रत कर ज्ञान रोशनी करनी होंगी और वही सच्ची दीपावली होंगी।

केन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा वर्तमान समय का मानव धन दौलत की लिप्सा में आत्मा के दिव्य तेज को नष्ट कर रहा है। ज्ञान योग के बल से अलौकिक नानव ही उ'च आध्यात्मिक स्थिति से वैभवशाली बन दैवी स्वरा'य की स्थापना करेंगे।

लक्ष्मी रूठ गई हैं

वर्तमान की विडम्बना की ओर इशारा करते हुए आपने कहा कमल पुष्प समान अनासक्त बन कमलासीन श्रीलक्ष्मी का आवाह्न करने की जगह हम मिट्टी के दीप जलाते रहते हैं। इसी कारण समाज की समृद्धि रूपी लक्ष्मी रूठ गई हैं। निर्विकारी बन सदा जागती 'योति शिव से आत्म दीप जगा कर ही हम स'ची दीपावली मना सकते हैंब्रह्माकुमारी संस्थान के लिए दीपावली के दिन का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा इसकी स्थापना सन् 1937 में दीपावली के दिन ही की गयी थी तथा यहाँ की मुख्य संचालिका दादी प्रकाशमणि का जन्म भी दीपावली के दिन हुआ था। आज से पाँच हजार वर्ष पूर्व अति सुखकारी समय था व हर दिन खुशियों के दीपक जलते थे। भारत देश पूर्व की भांति अब फिर से शिरोमणि और जगद्गुरू का स्थान प्राप्त करेगा और इसी भारत देश से ईश्वरीय अध्यात्म को दैदीप्यमान किरणें सम्पूर्ण भू-मंडल के प्रकाशित करेगीं। प्राकृतिक परिवर्तनों के बाद प्रकृति पुन: संतुलन को प्राप्त करेगी तथा खास भारत के अन्न धन के भंडार पुन: भरपूर होकर स'ची दीपावली इस दुनिया में आयेगी। श्रीलक्ष्मी नारायण का संयुक्त रूप ही चर्तुभुज महालक्ष्मी हैं। समारोह में समाजसेवी सुनील गुप्ता, समाजसेवी प्रकाश बजाज, झारखण्ड उ'च न्यायालय के अधिवक्ता अनुप कुमार, सेवानिवृत अधीक्षण अभियंता एसएनपी गुप्ता कार्यपालक अभियंता कन्हाई प्रसाद, अधिवक्ता संजय सिंह सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।