रांची(ब्यूरो)। साइबर अपराधियों को ट्रैक करने के लिए ऐप का सहारा लिया जाएगा। जल्द ही प्रतिबिंब नामक ऐप लांच होने जा रहा है। वरीय अधिकारियों की मानें तो आठ नवंबर को डीजी साइबर अनुराग गुप्ता इसे लांच करेंगे। साइबर अपराधियों को दबोचने में यह ऐप महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। जानकारी के अनुसार, ऐप में किसी साइबर अपराधी के मोबाइल नंबर को डालने पर उसका लोकेशन ऐप में आ जाता है। इसके माध्यम से आसानी से किसी भी स्थान पर छिपे साइबर अपराधी को ट्रैक कर पुलिस उस तक पहुंच सकती है। झारखंड सीआईडी ने साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे सिम कार्ड का डेटा बेस तैयार करना शुरू कर दिया है। साथ ही उन इलाकों की मैपिंग भी कराई जा रही है, जिनका इस्तेमाल ठगी के लिए सबसे ज्यादा किया जा रहा है।
डेली हजारों साइबर फ्रॉड एक्टिव
सीआइडी द्वारा जारी ऐप के माध्यम से दूसरे राज्यों की पुलिस को भी साइबर अपराधियों को ट्रैक करने की सुविधा प्रदान की जाएगी। जानकारी के अनुसार, भारत सरकार गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाली इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर ने देश के विभिन्न राज्यों में साइबर अपराध में प्रयुक्त मोबाइल नंबर को हासिल कर ऐप के जरिए साइबर अपराधियों को ट्रैक करने के लिए ट्रायल के रूप में सीआइडी को ऐप उपलब्ध कराया था। ट्रैकिंग के दौरान पाया गया कि वर्तमान में देश के विभिन्न राज्यों में रोजाना कम से कम ढाई हजार और अधिकतम तीन हजार साइबर अपराधी सक्रिय रहते हैं। ऐप के आरंभ होने के बाद झारखंड के साइबर अपराधियों की मैपिंग करके संबंधित जिला के एसपी को कार्रवाई के लिए भेजा जाएगा।
फ्राड के सभी नंबर ऐप में दर्ज
सीआईडी डीजी की मानें तो प्रतिबिंब में वे सभी नंबर दर्ज हैं, जिनका इस्तेमाल देश में कहीं भी साइबर ठगी के लिए किया जा रहा है। साइबर ठगी में इस्तेमाल हो रहे इन नंबरों को राज्य के संबंधित जिलों के एसपी को भेजा जाएगा, ताकि उन नंबरों को ब्लॉक किया जा सके। साथ ही सर्विस प्रोवाइडर्स को भी इस बारे में जानकारी दी जाएगी, ताकि सिम का फर्जी इस्तेमाल रोका जा सके। सीआईडी डीजी ने बताया कि फिलहाल प्रतिबिंब ऐप और पोर्टल का टेस्ट रन चल रहा है। ऐप का विधिवत उद्घाटन आठ नवंबर को किया जाएगा।
पुलिस ने तैयार किया नंबरों का डेटा बेस
हर दिन लोगों के फोन पर साइबर फ्रॉड के कॉल आते रहते हैं। अलग-अलग पैंतरे अपना कर अपराधी आम लोगों को अपने झांसे में फंसाते रहते हैं। सिर्फ झारखंड ही नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग राज्य इससे परेशान हैं। साइबर अपराधियों के खिलाफ पुलिस समय-समय पर कार्रवाई भी करती है। लोगों को भी अवेयर किया जाता रहता है। अपराधियों को ट्रैस करने के लिए अब पुलिस भी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करेगी। पुलिस के पास जिन नंबरों के खिलाफ शिकायतें आती हैं, उनकी जानकारी गृह मंत्रालय को भेजी जाती है। झारखंड पुलिस इन नंबरों को आई4सी के जरिए हासिल कर रही है। साथ ही डेटा बेस भी तैयार किया जा रहा है।
रांची में साइबर अपराध सबसे ज्यादा
वर्ष 2023 में अब तक थानों में दर्ज केस के अनुसार, साइबर अपराध के मामले में रांची पूरे राज्य में सबसे ऊपर है। अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) के अनुसार, झारखंड में सबसे अधिक अपराध ठगी के ही हुए हैं। सिटी के अलग-अलग थानों में साइबर ठगी के करीब 1500 केस दर्ज हुए हैं। पिछले पांच वर्षों में झारखंड में साइबर अपराध के 5,350 मामले सामने आए हैं, इनमें 1500 सिर्फ रांची में ही दर्ज हुए हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि रांची साइबर अपराधियों के लगातार निशाने पर हैं, और अलग-अलग तरीके अपनाकर वे शहर वासियों को टारगेट कर रहे हैं। अब पुलिस भी इनसे निपटने की पूरी तैयारी में है। बहरहाल, अब यह वक्त बताएगा सीआईडी का यह ऐप कितना कारगर होता है।