रांची: रांची के हिंदपीढ़ी और तमाड़ स्थित राड़गांव मस्जिद से लॉकडाउन के दौरान हिरासत में लिए गए विदेशी मौलवियों से एनआईए और सेंट्रल इंटेलिजेंस की टीम पूछताछ तेज करने की तैयारी कर रही है। एनआईए समेत सभी खुफिया एजेंसियों के रडार पर आए इन विदेशी लोगों ने कई मामलों में पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी है। विदित हो कि बिहार से एक मस्जिद में छुपकर रह रहे विदेशी नागरिकों के खुलासे के बाद अगले दिन रांची से भी इन विदेशियों का मिलना बड़े सवाल खड़े कर रहा है। इधर, भारत और चाइना के बीच संबंध खराब होने और भारतीय सैन्य अधिकारियों की शहादत के बाद पूछताछ और तेज करने की कवायद की जा रही है। विदेशी मौलवियों से जांच एजेंसी द्वारा धर्म प्रचार और विदेशी फंडिंग से संबंधित जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई, लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी। बताया जा रहा है कि अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि इन सभी मौलवियों की गतिविधियां संदिग्ध हैं। इन लोगों को कस्टडी में जमशेदपुर के मुसाबनी स्थिति कांस्टेबल ट्रेनिंग स्कूल और खेलगांव में रखा गया है।

मार्च में हिरासत में लिए गए थे

तमाड़ थाना क्षेत्र स्थित राड़गांव मस्जिद में 11 विदेशी मौलवियों को और हिंदपीढ़ी से 15 मौलवियों को प्रशासन ने मार्च में हिरासत में लिया था। इनमें चीन, किर्गिस्तान, मलेशिया, कजाकिस्तान आदि के मौलवी शामिल हैं। जांच में उनके पास से मिले पहचान-पत्र के अनुसार इनकी पहचान की गई है।

धर्मप्रचारक हैं सभी

पूछताछ में मौलवियों ने खुद को धर्म प्रचारक बताया था। वे एक महीने से भारत के विभिन्न मस्जिदों में पनाह लेकर रांची पहुचे थे। कोरोनावायरस के फैलते प्रकोप के बीच मस्जिद में मौलवियों के छिपे होने की जानकारी पर स्थानीय लोगों में सुगबुगाहट बढ़ी थी, जिसके बाद प्रशासन को इसकी जानकारी मिली।

स्पेशल ब्रांच को नहीं थी जानकारी

मामले की जानकारी होने पर प्रशासन और पुलिस के अफसर मस्जिद पहुंचे। जहां मस्जिद में उन्हें विदेशी मुस्लिम मौलवी छिपे मिले। पुलिस ने हिरासत में लेकर जांच पड़ताल करने के बाद सभी को क्वारंटीन कर दिया, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इनके राज्य में होने की जानकारी न तो स्पेशल ब्रांच के पास थी और न ही खुफिया विभाग के पास। इसे पूरी तरह से खुफिया विभाग का फेलियोर माना जा रहा है।

बदल रहे थे ठिकाना

जानकारी के अनुसार सभी विदेशी मौलवी करीब 15 दिन पहले जमशेदपुर और आसपास के इलाके में सक्त्रिय हो गए थे। इस दौरान लगातार ये लोग जगह बदल रहे थे। ये सभी कपाली में 10 दिनों तक रहे, पांच दिन बुंडू, तमाड़ समेत कई मुस्लिम बहुल इलाकों का भ्रमण किया। सभी को हिरासत में लेने के बाद उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए हैं। मामले में कोर्ट में सुनवाई भी भी चल रही है।

तब्लीगी जमातियों की जमानत हो चुकी है रद्द

रांची के हिंदपीढ़ी की बड़ी और मदीना मस्जिद से तब्लीगी जमात के 17 विदेशियों की जमानत रांची की अदालत ने खारिज कर दी है। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी फहीम किरमानी की अदालत ने जमानत रद्द करते हुए सभी को खेलगांव के कैंप जेल में रखने का आदेश दिया है। सभी को 30 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। इसी जमात में एक मलेशिया की महिला भी शामिल थी, जो रांची की पहली कोरोना मरीज बनी थी। महिला भी इलाज के बाद ठीक हो गई है। सभी को अभी खेलगांव के कैंप जेल में ही रखा गया है।

इनकी जमानत हुई खारिज

लंदन का जाहिद कबीर, शिपहान हुसैन खान, यूके का महासीन अहमद, काजी दिलावर हुसैन, वेस्टइंडीज का फारूख अल्बर्ट खान, हॉलैंड का मो सैफुल इस्लाम, त्रिनिदाद का नदीम खान, जांबिया का मूसा जालाब, फरमिंग सेसे, मलेशिया का सिति आयशा बिनती, नूर रशीदा बिनती, नूर हयाती बिनती अहमद, नूर कमरूजामा, महाजीर बीन खामीस, मो। शफीक और मो। अजीम।