रांची (ब्यूरो) । रविवार को ब्रह्माकुमारी के संस्थापक पिताश्री ब्रह्मा बाबा के स्मृति दिवस सप्ताह में कार्यक्रम का आयोजन किया गया$ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अजयनाथ शाहदेव, पूर्व उपमहापौर ने कहा श्रेष्ठ जन जिस प्रकार का आचरण-व्यवहार, आदर्श और कर्तव्य करते हैं उसी तरह का आाचरण और व्यवहार अन्य सभी

मानव करने लग जाते हैं$ प्रेम, शांति, पवित्रता से ओतप्रोत ब्रह्मा बाबा ने परम पिता परमात्मा का गीताज्ञान और राजयोग का संदेश इस धरा के मानव तक पहुंचाया$ समस्त मानव को उन्होंने संदेश दिया कि पतित दुनिया विनाश होकर अब पावन सतयुग आने वाला है जिसमें सभी आत्माएं सुखी और शांति से सम्पन्न होगी।

छटपटा रहे थे

डॉ अनिल कुमार, वैज्ञानिक ने कहा कि आत्मा और परमात्मा के ज्ञान को समस्त नर-नारी प्राय: विस्मृत कर माया के जाल में मछली के समान फंस कर छटपटा रहे थे$ अशांति, चिन्ता, मनोविषाद, प्राकृतिक आपदाओं से विवश होकर अंधविश्वास और अज्ञानता के चपेट में पड़े हुए थे।

जिसका ब्रह्मा बाबा ने स्पष्ट अवलोकन अपने अध्यात्म जीवन में किया था$ ब्रह्मा बाबा ने जितने भी संसारिक कर्म किये वह सब अलौकिक कल्याण के लिये थे$ उसमें उनकी न तो आसक्ति थी और न ही अहं था$

पंडित शशिकांत तिवारी ने कहा कि कर्म का परित्याग करने हेतु ब्रह्मा बाबा ने नहीं कहा परंतु संदेश दिया कि अध्यात्म ज्ञान बिना लौकिक कर्म अधूरा है और ईश्वरीय ज्ञान में महिला कभी बाधक नहीं होती है$ नारी के साथ आध्यात्मिक ज्ञान में रहने से नर-नारी में पवित्रता आती।

पंडित सुभाष ने कहा निराकारी, निर्विकारी और निरहंकारी परमात्मा का जैसा रूप, आकार, गुण है वे सभी विशेषताएं हर आत्मा में होते हैं$ ब्रह्माकूमारी निर्मला ने कहा कि ब्रह्मा बाबा सन् 1969 में जनवरी मास में स्थूल देह का परित्याग कर अव्यक्त हो गये$ प्रजापिता ईश्वरीय विश्वविद्यालय के वे जनक थे$ ब्रह्मा बाबा ने ही महिलाओं को स्वतंत्र विचारधारा दी और परमात्म ज्ञान को प्राप्त करने का अधिकारी बनाया।