रांची: लॉकडाउन अब भी जारी है। हालांकि, कुछ रियायतें जरूर मिली हैं लेकिन शायद ही कोई क्षेत्र हो जिस पर कोरोना की मार नहीं पड़ी है। प्राइवेट सेक्टर से लेकर गवर्नमेंट सेक्टर तक की हालत खस्ता है। सिटी के हॉस्पिटल भी इससे अछूते नहीं हैं। वहीं, अब सिटी के ब्लड बैंक पर भी कोरोना की मार स्पष्ट दिख रही है। यही वजह है कि सिटी के ब्लड बैंक में ब्लड का स्टॉक नेगेटिव(यानी बेहद कम, जो चिंताजनक है) हो गया है। या यूं कहें कि नेगेटिव ग्रुप का ब्लड आउट ऑफ स्टॉक हो चुका है। अगर जल्द ही इस संबंध में हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से कोई कदम नहीं उठाए जाते हैं तो स्थिति भयावह हो सकती है।

एक हजार की कैपेसिटी, स्टॉक 22

राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स के ब्लड बैंक में 1000 यूनिट ब्लड स्टॉक करने की कैपासिटी है, जहां एक समय में 100 से अधिक यूनिट ब्लड को प्रॉसेस किया जा सकता है। लेकिन ताजा हालात बेहद चिंताजनक हैं, बैंक के स्टॉक में 25 यूनिट ब्लड भी अवेलेबल नहीं है। जबकि लॉकडाउन से पहले 300 से अधिक यूनिट ब्लड अवेलेबल रहता था। इस वजह से मरीजों को दिक्कत नहीं होती थी। वहीं, कई बार तो उन्हें बिना रिप्लेसमेंट के भी ब्लड मिल जाता था। लेकिन अब ब्लड के लिए डोनर का इंतजार करने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं है।

मरीजों की बढ़ गई परेशानी

ब्लड की जरूरत सबसे ज्यादा मरीजों को होती है। खासकर थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया, प्रेग्नेंट महिलाएं और ब्लड कैंसर के मरीजों को खून चढ़ाने की जरूरत होती है। लेकिन वर्तमान स्थिति में सिटी के लगभग सभी ब्लड बैंकों में खून की कमी हो गई है। वहीं जिन प्राइवेट हॉस्पिटलों के बैंक में थोड़ा बहुत खून अवेलेबल है, वो दूसरों को ब्लड देने के लिए तैयार नहीं हैं। चूंकि उनके यहां भी गंभीर मरीजों के आने का सिलसिला लगा रहता है। अब इस क्राइसिस का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ सकता है।

मरीजों के लिए डॉक्टरों ने दिया था खून

रिम्स में काफी संख्या में गंभीर मरीज इलाज को आते हैं। इसमें से ज्यादातर मरीजों को खून की जरूरत होती है। चूंकि एक्सीडेंट और प्रेग्नेंसी के केसेस में तत्काल खून की जरूरत पड़ती है। ऐसे में कुछ दिन पहले ही रिम्स के डॉक्टरों ने कोविड सेंटर में ड्यूटी करने के दौरान मरीजों के लिए ब्लड डोनेट किया था। लेकिन वह भी कितने दिन चलेगा। इसलिए सिटी के लोगों से ब्लड बैंक में आकर ब्लड डोनेट करने की अपील की जा रही है, जिससे कि तत्काल जरूरतमंदों को खून मिल सके। लेकिन कोरोना की वजह से वे भी कैंप में आने से कतरा रहे हैं।

ये है सिटी के ब्लड बैंकों के हालात

रिम्स ब्लड बैंक

ग्रुप यूनिट

ए पॉजिटिव 2

ए नेगेटिव 0

बी पॉजिटिव 10

बी नेगेटिव 0

ओ पॉजिटिव 10

ओ नेगेटिव 0

एबी पॉजिटिव 0

एबी नेगेटिव 0

सदर ब्लड बैंक

ग्रुप यूनिट

ए पॉजिटिव 4

ए नेगेटिव 0

बी पॉजिटिव 8

बी नेगेटिव 1

ओ पॉजिटिव 0

ओ नेगेटिव 1

एबी पॉजिटिव 0

एबी नेगेटिव 0

भगवान महावीर मेडिका ब्लड बैंक

ग्रुप यूनिट

ए पॉजिटिव 2

ए नेगेटिव 0

बी पॉजिटिव 3

बी नेगेटिव 0

ओ पॉजिटिव 3

ओ नेगेटिव 0

एबी पॉजिटिव 0

एबी नेगेटिव 0

डोनर की तलाश में भटक रहे परिजन

केस-1

संजीव सिंह ने रिम्स के सर्जरी डिपार्टमेंट में अपनी मां को एडमिट कराया था। इस दौरान डॉक्टर ने उन्हें ए पॉजिटिव ब्लड लाने को कहा। लेकिन रिम्स ब्लड बैंक में उन्हें डोनर लाने के लिए कहा गया। इसके बाद वह काफी देर तक डोनर की तलाश करते रहे।

काफी मशक्कत के बाद डोनर्स ग्रुप से संपर्क करने पर मिला खून

केस-2

डीके सिंह प्राइवेट हॉस्पिटल में अपने परिजन का इलाज करा रहे थे। उन्हें बी पॉजिटिव दो यूनिट खून लाने को कहा गया। काफी तलाश करने के बाद भी उन्हें डोनर नहीं मिला। बाद में एक डोनर्स ग्रुप से संपर्क करने के बाद उन्हें खून मिला।