रांची(ब्यूरो)। बर्थ सर्टिफिकेट आज एक अहम डाक्यूमेंट बन चुका है। इसके बिना न तो स्कूल में एडमिशन होता है, न ही अन्य महत्वपूर्ण कार्य हो पाते हैं। लेकिन इस जरूरी दस्तावेज को बनवाने की प्रक्रिया भी जटिल कर दी गई है। कुछ साल बड़े आराम से जन्म प्रमाण पत्र बन जाता था, लेकिन इन दिनों इसे जटिल बना दिया गया है। सरलीकरण को लेकर कुछ दिन पहले भी नगर निगम और मजिस्ट्रेट के बीच मीटिंग हुई थी। लेकिन इसमें कोई रास्ता निकलने के बजाय स्थिति जस की तस बनी हुई है। हर महीने में जहां 200 से 250 जन्म प्रमाण पत्र जारी होते थे। बीते माह महज 19 बर्थ सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं। वहीं महीने में सिर्फ 14 सर्टिफिकेट बनाए गए थे। ऐसे में अन्य लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है। लोग अपने बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र बनवाने को लेकर निगम के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन दस्तावेज में कुछ न कुछ कमी बताकर वापस भेज दिया जा रहा है।
बिचौलिये उठा रहे फायदा
प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया जटिल होने का फायदा बिचौलिये उठा रहे हैं, जो सर्टिफिकेट सरकारी दर के अनुसार एक रुपए में बनना चाहिए उसके लिए आम लोगों को 2500 से 3000 रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं। एफिडेविट से लेकर गवाही कराने में भी पैसे खर्च हो रहे हैं। एक तो समय से प्रमाण पत्र जारी नहीं हो रहा है, दूसरा समय और पैसे की भी बर्बादी हो रही है। हिंदपीढ़ी की रहने वाली तरन्नुम एक महीने से अपनी बेटी का जन्म प्रमाण बनवाने के लिए परेशान है। उसने बताया कि एफिडेविट कराने में ही तीन सौ रुपए खर्च हो गए, अब गवाही के लिए दो लोग एक-एक हजार रुपए मांग रहे हैं। घर पर या जान-पहचान में कोई है नहीं, जिससे मदद ले सकें। सर्टिफिकेट बनवाना भी जरूरी है। समझ नहीं आ रहा क्या करुं। तरन्नुम की तरह और भी कई पेरेंट्स हैं जो इस तरह की समस्या झेल रहे हैं। प्रमाण पत्र के लिए आवेदनों की पेंडेंसी बढ़ती जा रही है। बीते दो महीने करीब 750 आवेदन आए, जिसमें सौ सर्टिफिकेट भी जारी नहीं किए जा सके। जबकि सरकारी आदेश के अनुसार 15 दिन के अंदर प्रमाण जारी किए जाने का नियम है। लेकिन इस नियम का पालन नहीं हो रहा है।
सत्यापन का प्रावधान ही नहीं
एक वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे का प्रमाण पत्र बनाने में सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नगर निगम में सभी कागजात के साथ आवेदन जमा करने के बाद निगमकर्मी उसे चेक लिस्ट के साथ कार्यपालक दंडाधिकारी साधना जयपुरियार के पास भेज देते हैं। समय से आवेदन का सत्यापन नहीं होने और कागज में कमी बताते हुए प्रमाण पत्र निर्गत करने से रोका जा रहा है। प्रशासन के इस रवैये से आवेदक के साथ निगम के अधिकारी भी परेशान हैं। नगर निगम के अधिकारियों की मानें तो जन्म-मृत्यु निबंधन नियमावली में इस तरह से सत्यापन करने का कोई नियम ही नहीं है। पहले गवाह नहीं लाना होता था, आवेदक शपथ पत्र और पहचान पत्र देते थे। अब दो गवाहों से लिखित और मौखिक पूछताछ शुरू कर दी गई है। उसके बाद 4 पन्नों का अंग्रेजी फॉर्म भरना होता है।
बैठक का नहीं निकला नतीजा
बीते छह महीने से जन्म प्रमाण पत्र बनवाने में परेशानी हो रही है। इसे देखते हुए नगर निगम और कार्यपालक दंडाधिकारी के साथ बैठक हुई। प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में चर्चा हुई, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला। बैठक के बाद भी कागजात की मांग हो रही है और गवाह लाने को कहा जा रहा है। अपने बच्चों का भी बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए एसडीओ ऑफिस से गवाह मांगा जाना आवेदक के लिए भी परेशानी भरा है। कोई भी व्यक्ति गवाह बनना नहीं चाहता, और जो गवाही के लिए तैयार होते है, वे पैसे की डिमांड करते हैं।बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने में आ रही समस्या का समाधान जल्द कर दिया जाएगा। एक बार बैठक हो चुकी है, फिर से इस संबंध में बैठक होगी।
-कुंवर सिंह पाहन, एएमसी, रांची