रांची: रांची में ईद-उल-अजहा (बकरीद) की नमाज इस बार भी किसी ईदगाह में नहीं अदा की जाएगी। ज्यादातर मस्जिदों में फज्र की नमाज के बाद ईद की नमाज अदा की जाएगी। इस दौरान झारखंड सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस का पालन करते हुए सीमित संख्या में लोगों की जमात बनाई जाएगी और नमाज अदा की जाएगी। ज्यादातर लोगों को इस बार भी घरों पर ही नमाज अदा करनी होगी। इसके लिए चार लोगों को जमात बनानी होगी। एक ईमाम होंगे जबकि तीन लोग ईमाम के पीछे नमाज अदा कर सकेंगे।
कुर्बानी के लिए भी हिदायत
सिटी के विभिन्न मस्जिदों के ईमाम और उलेमा-ए-कराम ने कुर्बानी को लेकर भी लोगों से सतर्कता बरतने की अपील की है। ईमामों ने कहा है कि कोरोना गाइलाइंस को फॉलो करते हुए ही कुर्बानी की रस्म अदा करें। कहीं गंदगी न हो और अवशेष भी नालियों में न बहाया जाए, बल्कि गढ्डे खोद कर उन्हें पूरे सम्मान के साथ दफन किया जाए। इसके साथ ही कुर्बानी के वक्त सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूर किया जाए और जहां तक हो सके कुर्बानी में जरूरत के अनुसार सीमित संख्या में ही लोग जुटें।
गले मिलने से करें परहेज
आम तौर पर ईद और बकरीद के मौके पर गले लगकर मुबारकबाद पेश करने का रिवाज है। हालांकि उलेमा-ए-कराम कोरोना को लेकर एहियात बरतने की अपील कर रहे हैं और लोगों से कह रहे हैं कि गले लगने के बजाए केवल बोकर ही मुबारकबाद पेश करें। इससे संक्रमण के प्रसार को रोका जा सकता है। एहतियात बरतकर ही कोरोना की तीसरी लहर को आने से रोका जा सकता है।
क्या कहते हैं उलेमा
जहां तक हो सके, सादगी के साथ ईद-उल-अजहा का पर्व मनाएं। किसी को तकलीफ न हो, इसका खास ख्याल रखें। कुर्बानी के बाद जानवरों के अवशेष को दफना दें, न कि नालियों में बहाएं। हर हाल में कोविड-19 के निर्देशों का पालन करें।
कारी अब्दुल हफीज इरफानी
कोरोना की तीसरी लहर को रोकना हम सबकी जिम्मेदारी है, इसलिए ईद-उल-अजहा का पर्व सादगी के साथ मनाएं। घरों में इबादत करें और कुर्बानी के बाद साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। दूसरों की सेहत का ख्याल रखना सच्ची इबादत है।
मौलाना तहजीबुल हसन रिजवी
अगर किसी वजह से मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ पाएं, तो घर पर भी जमात बना सकते हैं। घर के एक सदस्य की ईमामत में तीन लोग नमाज अदा कर सकते हैं। कुर्बानी में भी कोरोना गाइडलाइंस का पूरा पालन करना हम सब की जिम्मेवारी है।
मौलाना हयात अहमद कासमी
कुर्बानी एक जज्बा है। इसे पूरी ईमानदारी के साथ खुदा बंदे करीम की बारगाह में पेश करें। सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए सफाई का विशेष ख्याल रखें। नालियों में कुर्बानी के जानवर का खून बिल्कुल न बहने दें, इसे दफनाएं।
मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी
नहीं बिका मस्तान
रांची में पिछले कई दिनों से एक उन्नत नस्ल के खस्सी को बेचने के लिए रखा गया है। इसका नाम मस्तान है। करीब 120 किलो वजनी इस खस्सी की कीमत 2 लाख रुपए रखी गई है। सोमवार तक इसका कोई खरीदार नहीं मिला। सिटी के युवा व्यवसायी और समाजसेवी सरफे आलम ने बताया कि कीमत ज्यादा होने के कारण लोग इसे खरीद नहीं पा रहे हैं। अभी लोगों की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है, इसलिए इसे खरीदने के लिए लोग सामने नहीं आ रहे हैं।