रांची (ब्यूरो)। झारखंड में लाखों रुपए एचआईवी-एड्स अवेयरनेस और इलाज पर खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन नए मरीजों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। ताज्जुब की बात है कि पूरे देश में एचआईवी रोगियों की संख्या में लगभग 37 परसेंट की गिरावट आई है, लेकिन झारखंड में कम होने के बजाय एचआईवी मरीजों की संख्या बढ़ रही है। झारखंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के डाटा के अनुसार 2021 के एक साल में झारखंड में एचआईवी के 1221 नए मरीज डिटेक्ट किए गए। इनमें से अधिकतर वैसे लोग हैं जो दूसरे शहरों में नौकरी करने जाते हैं और वापस अपने शहर में एचआईवी संक्रमित होकर लौटते हैं। इसके अलावा राज्य के ट्रक ड्राइवर भी एचआईवी संक्रमित ज्यादा होते हैं।
झारखंड में संक्रमण कम नहीं
हैरानी की बात यह है कि झारखंड में एचआईवी संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है। देश के अलग-अलग राज्यों में 2010 और 2019 के बीच एचआईवी रोगियों की संख्या में लगभग 37 परसेंट की कमी आई, लेकिन झारखंड में यह संख्या कम होने के बजाय बढ़ी ही है। स्टडी के अनुसार एचआईवी-एड्स रोगियों के उपचार और पुनर्वास के लिए काम करने वाले संगठनों द्वारा समय-समय पर जारी की गई रिपोर्ट से पता चलता है कि राज्य में 90 परसेंट से अधिक मामले उन लोगों में दर्ज हैं जो रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में चले गए हैं, और वापस संक्रमण के साथ लौटे हैं।
हर साल बढ़े मरीज
झारखंड में एड्स मरीजों की लगातार बढ़ रही संख्या का सबसे बड़ा कारण है कि लोग नौकरी करने के लिए राज्य से बाहर जाते हैं, कई साल तक दूसरे शहरों में रहकर नौकरी करते हैं और जब वापस अपने घर आ जाते हैं तो उनमें संक्रमण फैला रहता है। इनमें से ज्यादातर लोग निम्न आय वर्ग के हैं। ऐसे सैकड़ों मामले हैं जिनमें ट्रक ड्राइवर और प्रवासी मजदूर बाहर से संक्रमण लेकर आए हैं। एड्स कंट्रोल सोसाइटी के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2020 तक राज्य में 25,751 एचआईवी मरीजों की पहचान की गई, जो 2021 तक बढ़कर 26,972 हो गई।
महिलाओं की संख्या भी अच्छी-खासी
राज्य में एचआईवी संक्रमित महिलाओं की संख्या भी अच्छी खासी है। इनमें से बहुत सारी ऐसी महिलाएं हैं जिनके पति बाहर नौकरी करने जाते हैं, जब वह बाहर से अपने शहर या घर लौटते हैं तो संक्रमित होकर लौटते हैं, बाद में अपनी पत्नी को भी एचआईवी संक्रमित बना देते हैं। इनमें पुरुषों की संख्या 16,184 और महिलाओं की संख्या 10,788 है।
सबसे अधिक हजारीबाग में है
राज्य के हजारीबाग जिले में सबसे ज्यादा एचआईवी पॉजिटिव मरीज 3,126 हैं। दूसरे नंबर पर जमशेदपुर है, जहां मरीजों की संख्या 1,822 है। रांची में 1,522 मरीजों की पहचान की गई है और यह एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या के मामले में तीसरे नंबर पर है।
ज्यादातर लोग स्टेट से बाहर
एचआईवी संक्रमित बहुत सारे लोग अब भी अपने राज्य में नहीं हैं। झारखंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के अनुसार राज्य में 13 एआरटी (एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी) केंद्र हैं, जहां परामर्श और दवा के लिए आने वाले मरीजों की संख्या 12,732 है। इससे पता चलता है कि बाकी मरीज या तो राज्य से बाहर चले गए हैं या सरकारी केंद्रों पर उनका इलाज नहीं हो रहा है। एआरटी केंद्रों में डॉक्टरों की कमी मरीजों के लिए एक बड़ी चिंता बनी हुई है। आलम यह है कि 13 में से आठ एआरटी केंद्रों में डॉक्टर नहीं हैं। झारखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी का कहना है कि मरीजों की लगातार निगरानी और काउंसलिंग की जा रही है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं से बच्चों में एड्स के संचरण को रोकने के लिए गर्भवती महिलाओं का एचआईवी परीक्षण अनिवार्य किया जा रहा है।
लाभ लेने भी नहीं आ रहे लोग
एचआईवी संक्रमित लोगों में अब भी समाज को लेकर भ्रांतियां हैं, जिसके कारण वो सरकार द्वारा मिलने वाले लाभ को भी लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। झारखंड में, 12,732 रोगियों (एआरटी केंद्रों में इलाज किया जा रहा है) में से केवल 5,000 के पास आयुष्मान कार्ड है और केवल 4,000 को राज्य सुरक्षा पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है। अंत्योदय अन्न योजना का लाभ सिर्फ 9,000 मरीज ही ले रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि अधिकतर संक्रमित व्यक्ति योजनाओं का लाभ लेने के लिए खुले में नहीं आना चाहते। 2021 के 15 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर सरकार ने एक यूनिवर्सल पेंशन योजना शुरू की है। इसके तहत एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों को हर महीने 1000 रुपये की पेंशन दी जाएगी।