रांची(ब्यूरो)। विश्व हिन्दू परिषद, रांची महानगर के केशवनगर स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, धुर्वा में महारानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म जयंती पर उनके आदर्शमय जीवनगाथा पर हिन्दू संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें विहिप कार्यकर्ता सहित धुर्वा व आसपास के सैकड़ों की संख्या में हिन्दू समाज के लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम में मुख्यवक्ता के रूप से विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय संगठन सह महामंत्री विनायक राव देशपांडे, पटना क्षेत्र अध्यक्ष रामस्वरूप रुंगटा, क्षेत्र मंत्री वीरेंद्र विमल, प्रांत मंत्री मिथिलेश्वर मिश्रा, श्रीराम जानकी मंदिर, तपोवन के महंत रामशरण दास, प्रान्त मातृशक्ति प्रमुख दीपारानी कुंज का आतिथ्य रहा। मंचासीन सभी अतिथियों ने मंत्रोच्चारण के बीच द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम के मुख्यवक्ता केंद्रीय संगठन सह महामंत्री विनायकराव देशपांडे ने कहा कि अपने जीवन में तमाम परेशानियां झेलने के बाद जिस तरह महारानी अहिल्याबाई ने अपनी अदम्य नारी शक्ति का इस्तेमाल किया वो काफी प्रशंसनीय है। अहिल्याबाई कई महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
सामान्य परिवार में जन्म
ने कहा अहिल्याबाई होल्करजी का जन्म महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के चौड़ी नामक गांव में सामान्य परिवार मनकोजी शिंदे के घर सन् 1725 ई में हुआ था। साधारण शिक्षित अहिल्याबाई 10 वर्ष की अल्पायु में ही मालवा में होल्कर वंशीय राज्य के संस्थापक मल्हारराव होल्कर के पुत्र खण्डेराव के साथ परिणय सूत्र में बंध गई थीं। यौवनावस्था की दहलीज पर ही थीं कि 29 वर्ष की आयु में पति का देहांत हो गया। सन् 1766 ई। में वीरवर ससुर मल्हारराव भी चल बसे। अहिल्याबाई होल्कर के जीवन से एक महान साया उठ गया। इसके बाद उन्हें शासन की बागडोर संभालनी पड़ी। कालांतर में देखते ही देखते पुत्र मालेराव, दोहित्र नत्थू, दामाद फणसे, पुत्री मुक्ता भी मां को अकेला ही छोड़ चल बसे। विदेशी आक्रांताओं द्वारा ध्वस्त किए गए काशी विश्वनाथ मंदिर एवं सोमनाथ मंदिर जैसे अनेकों मंदिरों का उन्होंने पुनर्निर्माण एवं पुनप्र्रतिष्ठा की।
विधवा को पति की संपत्ति का हकदार बनाया
अहिल्याबाई ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भी काफी कार्य किए। उन्होंने कई तीर्थ स्थानों के साथ ही कई मंदिर, घाट, कुएं, बावडियों, भूखे लोगों के लिए अन्नसत्र और प्याऊ का निर्माण भी कराया। अहिल्याबाई होलकर का इतिहास करीब 30 साल के अद्भुत शासनकाल के दौरान मराठा प्रांत की राजमाता अहिल्याबाई होलकर ने एक छोटे से गांव इंदौर को एक समृद्ध एवं विकसित शहर बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने समाज सेवा के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया था। अहिल्याबाई हमेशा अपनी प्रजा और गरीबों की भलाई के बारे में सोचती रहती थीं, इसके साथ ही वे गरीबों और निर्धनों की संभव मदद के लिए हमेशा तत्पर रहती थीं। उन्होंने समाज में विधवा महिलाओं की स्थिति पर भी काम किया और उनके लिए उस वक्त बनाए गए कानून में बदलाव भी किया। अहिल्याबाई के मराठा प्रांत का शासन संभालने से पहले यह कानून था कि अगर कोई महिला विधवा हो जाए और उसका पुत्र न हो, तो उसकी पूरी संपत्ति सरकारी खजाना या फिर राजकोष में जमा कर दी जाती थी, लेकिन अहिल्याबाई ने इस कानून को बदलकर विधवा महिला को अपने पति की संपत्ति लेने का हकदार बनाया।
ये रहे मौजूद
कार्यक्रम में स्वागत भाषण रंगनाथ महतो ने किया। संचालन महानगर मंत्री विश्व रंजन तथा धन्यवाद ज्ञापन महानगर अध्यक्ष कैलाश केसरी ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से क्षेत्र मंत्री वीरेंद्र विमल, प्रांत अध्यक्ष चंद्रकांत रायपात, प्रांत संगठन मंत्री देवी सिंह, प्रांत सह मंत्री सह प्रांत संयोजक रंगनाथ महतो, प्रांत धर्माचार्य संपर्क प्रमुख जुगल प्रसाद, प्रांत संपर्क सह प्रमुख प्रिंस आजमानी, महानगर अध्यक्ष कैलाश केसरी, मनोज पांडे, कृष्ण झा, रविशंकर राय, अमर प्रसाद, पारसनाथ मिश्र, सुरेंद्र तिवारी, महानगर संयोजक अंकित सिंह, सहसंयोजक दीपक साहू, सुमन सिंह, आशुतोष मिश्र, विजय मिश्र, सुमन सिंह, अजय बैठा, श्वेता सिंह, चंदा देवी, साक्षी सिंह सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे।