RANCHI: तमिलनाडु के त्रिप्पुर में रांची के अनगड़ा की 61 लड़कियां फंसी हुई हैं, जो झारखंड लौटना चाहती हैं लेकिन कपड़ा फैक्ट्री के मालिक द्वारा उन्हें बंधक बना लिया गया है। लॉक डाउन के कारण लड़कियां रांची नहीं पहुंच पाई थीं, लेकिन अब जबकि स्पेशल ट्रेनें चलने लगी हैं, ये सभी वहां से वापस झारखंड लौटना चाहती हैं। त्रिप्पुर में एक्सपोर्ट ओरिएंटेड टेक्सटाइल इंडस्ट्री को चालू रखने के लिए वहां के जिला प्रशासन के द्वारा स्पेशल परमिशन दिया जा रहा है। इसी का फायदा उठाकर नवाग्री अपेरल नामक एक फैक्ट्री ने अपने यहां काम जारी रखा है। सुबह आठ बजे से शाम 5 बजे तक लड़कियों से कपड़े सिलवाए जाते हैं। वापस जाने के लिए छुट्टी मांगने पर लड़कियों से कहा जाता है कि अभी कहीं जाने की इजाजत नहीं है, इसलिए चुपचाप यहीं रहना होगा और काम भी करना होगा।

छुट्टी दी तो पड़ेगा काम पर असर

रांची की जिन लड़कियों से त्रिप्पुर में काम लिया जा रहा है, वे भयभीत हैं। छोटे-छोटे कमरों में वहां 30-30 लड़कियों को रखा जाता है। हाईजीन का भी कोई ख्याल नहीं रखा जाता। तमिननाडु में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सभी लड़कियां वहां से लौटना चाहती हैं। नवाग्री में काम कर रही यशोदा कुमारी ने बताया कि उसका घर अनगड़ा में है। वह लौटना चाहती है। फैक्ट्री के मैनेजर मिश्राजी से उन्होंने बात किया, तो उन्होंने ट्रेन नहीं चलने का हवाला देकर टाल दिया। फैक्ट्री मालिक बात करने के लिए उपलब्ध ही नहीं होता। वहीं इन लड़कियों ने जब लोकल एडमिन्स्ट्रेशन से मदद की गुहार लगाई, तो पुलिस ने छापा मारा। हालांकि, मैनेजर और फैक्ट्री के मालिक ने लड़कियों को कमरे में बंद कर दिया और किसी को पुलिस से मिलने नहीं दिया। फैक्ट्री के मालिक को डर है कि एक्सपोर्ट के लिए जो कपड़े तैयार किए जा रहे हैं, वे लड़कियों के चले जाने की वजह से तैयार नहीं हो पाएंगे और उसे भारी नुकसान होगा।

नहीं मिल रहे वर्कर

त्रिप्पुर में कई टेक्सटाइल ओरिएंटेड उद्योग हैं, जिनमें वर्कर्स नहीं हैं। सभी या तो घर जा चुके हैं या फिर फैक्ट्री के प्रिमाइसेज से अलग कहीं और रहने लगे हैं। इसी वजह से कई उद्योग फिलहाल बंद हैं। जिन फैक्ट्रियों के मालिकों ने अभी तक वर्कर्स को अपने पास रखने में कामयाबी हासिल की है, उनका कारोबार चल रहा है। यही वजह है कि रांची की लड़कियां चाह कर भी वहां से लौट नहीं पा रहे हैं। एक तरह से उन्हें बंधक बनाकर रखा गया है और प्रशासन उनकी कोई मदद नहीं कर पा रहे है। अब इन लड़कियों को झारखंड सरकार से ही उम्मीद है।