RANCHI: भले एक स्टेट से दूसरे स्टेट जाने के लिए बस और ट्रेन नहीं चल रही हैं। लेकिन अगर आप थोडे़ ज्यादा पैसे खर्च करने को तैयार हैं तो बड़ी आसानी से एक स्टेट से दूसरे स्टेट बाइ बस जा सकते हैं। बता दें कि एक सितंबर से राज्य में बस सर्विस शुरू हो चुकी है। राज्य के अंदर बसों के परिचालन की परिमशन है। लेकिन जब बिचौलिए एक्टिव हैं तो सिर्फ राज्य के अंदर ही क्यों आप राज्य के बाहर भी बडे़ आराम से आना-जाना कर सकते हैं। बिहार, बंगाल या कहीं भी जाना हो एजेंट से संपर्क करें, हो जाएगा का इंतजाम। यह हम नहीं कह रहे बल्कि खादगढ़ा बस स्टैंड के बिचौलिए खुद कह रहे हैं। जी हां, खादगढ़ा बस स्टैंड में मौजूद बिचौलिए आपको बिहार, बंगाल के किसी भी एरिया में भेजने का दावा करते हैं। बिचालियों ने तो यहां तक बताया कि सरकार भले सितंबर में बस परिचालन की अनुमति दी है। लेकिन इससे पहले भी बसें स्टैंड से निकल रही थीं। सब कुछ पहले से सेटिंग रहता है। सारा खेल रात के अंधेरे में चलता है। रिपोर्टर के साथ हुई ये सारी बातचीत कैमरे में रिकार्ड है। दैनिक जागरण आइनेक्स्ट के रिपोर्टर को ऐसी शिकायत मिली थी कि कुछ बसें राज्य से बाहर जा रही हैं। ऐसे में रिपोर्टर ने सवारी बन कर सच्चाई का पता लगाने का प्रयास किया। शिकायत बिल्कुल सही निकली। हम स्टैंड पहुंचकर बिहार के छपरा जाने की बात करने लगे। इतना सुनते ही एक लडका आया और हमें एजेंट के पास ले गया। एजेंट ने भी बगैर ज्यादा समय गंवाए तुरंत कह दिया काम हो जाएगा।
स्टैंड से बाहर ले जाकर बिठाएंगे
एजेंट ने बताया कि बस स्टैंड से आपको नहीं बैठना नहीं होगा। उससे थोड़ी दूर में बस लगी होगी, वहां जाकर बैठाएंगे। आपको बस में बैठाने की जिम्मेवारी मेरी होगी। स्कार्पियों में बिठा कर आपको गाड़ी तक पहुंचा दिया जाएगा। एक बार बस में बैठने के बाद कोई परेशानी नहीं होगी। फिर आप सीधा छपरा में ही उतरेंगे। हमलोग सिर्फ छपरा के लिए ही सवारी बिठाते हैं। विष्णु लोक बस है, जो छपरा ही जाती है। एजेंट ने हमसे प्रति व्यक्ति 1200 रुपए देने की बात कही। जबकि एक व्यक्ति के लिए छपरा का किराया चार से साढे़ चार सौ रुपए है। बस एजेंट ने कहा कि एक व्यक्ति को दो सीट लेना होगा। नहीं तो हमलोग पर फाइन कर दिया जाता है। दो सीट पर एक व्यक्ति ही बैठेंगे, इसलिए एक सवारी के 1200 रुपए लगेंगे।
दो महीने से जा रही है गाड़ी
गाड़ी दो महीने से जा रही है। छिपते-छिपाते बसें आना-जाना कर रही हैं। दो महीने पहले जब लेबर के लिए स्पेशल बसें चल रही थीं। उस वक्त भी चार से पांच सवारी लेबर के साथ बैठाकर आना-जाना कर रहे थे। अब भी राज्य के अंदर चलने का आदेश दिया गया है, लेकिन राज्य के बाहर भी गाड़ी निकल रही है। रांची से कोडरमा तक सवारी ले जाते हैं। उधर बिहार से गाड़ी कोडरमा तक आती है, उस गाडी में बिठा कर सवारी को बिहार भेज दिया जाता है। एजेंट ने बताया हर जगह के लिए अलग-अलग रेट तय है। रिस्क कवर करना पड़ता है, इसलिए ज्यादा रेट लिया जाता है।
बातचीत के अंश
एजेंट - कहा जाना है?।
रिपोर्टर - छपरा जाना है।
एजेंट - कब जाना है?
रिपोर्टर - गाड़ी जब मिल जाए, चले जाएंगे।
एजेंट - कितने आदमी हैं?
रिपोर्टर - दो
एजेंट - आईए बैठिए, बात करते है, सीट खाली है या नहीं।
रिपोर्टर - भाड़ा कितना ले रहे हैं?
एजेंट - 1200 रुपए एक आदमी का।
एजेंट - आज लगता है सीट फुल है, कल जाने से चलेगा?
रिपोर्टर - आज हो जाता तो ठिक रहता।
एजेंट - ठीक है रुकिए, कोई पूछेगा तो बोल दिजिएगा कोडरमा जा रहे हैं?
रिपोर्टर- कौन गाड़ी है?
एजेंट - विष्णु लोक, इंतजाम हो गया। एडवांस दे दीजिए।
रिपोर्टर - कब का गाड़ी है, कहां आना होगा, सब बताइए।
एजेंट - कल शाम पांच बजे गाड़ी है। यहीं आ जाइएगा। यहां से पर्सनल गाड़ी स्कर्पियों में बिठाकर बूटी मोड़ पहुंचा दिया जाएगा। वहां बस में बैठाया जाएगा।
रिपोर्टर -अच्छा ठीक है, कोई दिक्कत तो नहीं होगा ना?।
एजेंट - कोई दिक्कत नहीं होगा, एकदम आराम से आप पहुंच जाइएगा?