जमशेदपुर (ब्यूरो) : निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन का शताब्दी समारोह मिलनी हॉल बिस्टुपुर में आयोजित किया गया। जमशेदपुर शाखा के द्वारा गुरुवार को आयोजित हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तापस मित्र, प्रेसिडेंट बंगाल क्लब, विशिष्ट अतिथि शिल्प पति श्रीलेदर्स के शेखर डे, रायपुर से पहुंचे केंद्रीय एडमिनिस्ट्रेशन के सचिव समीर रक्षित, सांस्कृतिक के चैताली मुखर्जी पुरुलिया से शामिल हुए। चाईबासा से मनोज सत्पथी, स्वागत समिति के चेयरमैन निखिल दत्त, झारखंड बंगाली समिति के भवेश देव, केंद्रीय वित्त सचिव आशीष गुप्त,पूर्व केंद्रीय कमिटी के दिलीप दत्त, स्वागत समिति के बासोबी गोस्वामी, प्रेसिडेंट झरना कर, सेक्रेटरी शमिता रक्षित, डॉक्टर आलोक देवदास उपस्थित हुए। अनुष्ठान शुरू होने के पहले जातीय झंडोत्तोलन किया गया।
भाषा के प्रचार का आह्वान
इसके बाद अतिथियों ने द्वीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरूआत की। प्रेसिडेंट झरना कर ने स्वागत संबोधन प्रस्तुत किया। शेखर डे ने उपस्थित लोगों से बंगला भाषा के प्रचार प्रसार का आह्वान किया। उन्होंने मिलनी का भी जिक्र किया जो 106 साल पुरानी संस्था है। शेखर डे ने कहा कि उन्होंने संगठन की बैठक के लिए वातानुकूलित कमरा उपलब्ध कराया है। उन्होंने कहा कि वे हमेशा सहयोग करने को तैयार हैं।
भाषा के लिए आगे आएं युवा
मुख्य अतिथि तापस मित्र ने कहा कि बांला भाषा की रक्षा के लिए युवाओं के आगे बढऩा होगा। उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे इंग्लिश माध्यम में पढ़ते है, लेकिन साथ साथ हमारा दायित्व है की बच्चे को बंगला भी सिखाएं। नहीं तो हमारी पहचान खतरे में पड़ जाएगी। बंगलादेश के मुजीबर रहमान ने बंगला भाषा को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। बंगला भाषा विश्व की सबसे मधुर भाषा है। भाषा के प्रचार प्रसार के लिए परिवार से ही शुरुआत करनी होगी। कार्यक्रम में तपती दत्त, अदिति सेनगुप्ता, मंदिरा मुखर्जी, देवजानी दत्त, महाश्वेता हालदार मोनालिसा गीत प्रस्तुत किया। इसके बाद अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा मैत्री मैगजीन का विमोचन किया गया।
तीन सत्रों वाले कार्यक्रम का संचालन शर्मिला पाल और शुक्ला रॉय चौधरी ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में तपती दत्त, सुजाता घोष, सरवरी गुप्त, प्रीतिलखा रॉय, तपन सेनशर्मा, निसार आमीन, पूरबी घोष, स्तोता दास गुप्ता मिलनी के सेक्रेटरी राजू दत्त, कृष्णेंदु चैटर्जी का सराहनीय योगदान रहा।