छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: गया रेलवे स्टेशन पर जीआरपी में सिपाही के पद पर तैनात अविनाश सिंह (28) की ट्रेन से कट कर मौत हो गई। अविनाश की गया की ही एक युवती से महीना भर पहले सगाई हुई थी। परिजन गया से शव लेकर सोमवार को शहर पहुंचे और टीएमएच में रखवा दिया। मंगलवार की शाम को युवक का अंतिम संस्कार कर दिया गया। अविनाश की मौत पर घर के सदस्य सदमे में हैं।
तेज थी ट्रेन की रफ्तार
अविनाश जवाहर नगर रोड नंबर 15 निवासी स्व। धर्मदेव सिंह के बेटे थे। वो गया से हर शनिवार को जमशेदपुर आ जाते थे और यहां से रविवार को गया के लिए संपर्क क्रांति से रवाना हो जाते थे। हालांकि, संपर्क क्रांति गया रेलवे स्टेशन पर नहीं रुकती। लेकिन, वो ड्राइवर को बोल कर ट्रेन की गति धीमी करा लेते थे और रेलवे स्टेशन पर उतर जाते थे। इस बार भी रविवार को अविनाश संपर्क क्रांति से गया के लिए रवाना हुए। बताते हैं कि गया रेलवे स्टेशन पर ड्राइवर ट्रेन धीमी करना भूल गया। ट्रेन धीमी नहीं हुई तो आनन-फानन में अविनाश रेलवे स्टेशन पर ही ट्रेन से कूद गए। प्रत्यक्षदर्शी रेलवे स्टेशन कर्मियों ने परिजनों को बताया कि तेज रफ्तार ट्रेन से कूदे अविनाश पटरी के नीचे चले गए और पहियों के नीचे आने से उनकी मौत हो गई। हादसा रविवार को तड़के हुआ। ट्रेन गुजरने के बाद जीआरपी ने उनका शव निकाला। उनकी जेब से जवाहर नगर में उनके पड़ोसी महंत सिंह का नंबर मिला तो उस पर फोन कर रविवार की सुबह नौ बजे दुर्घटना की सूचना दी। सूचना मिलने के बाद परिजन गया पहुंचे और सोमवार को तड़के चार बजे शव लेकर जमशेदपुर आ गए। भाई के इंतजार में यहां शव टीएमएच में रख दिया गया था। मंगलवार की शाम चार बजे स्वर्णरेखा घाट पर अविनाश का अंतिम संस्कार हो गया।
अनुकंपा पर मिली थी नौकरी
नक्सलियों ने 10 साल पहले अविनाश सिंह के पिता धर्मदेव सिंह की हत्या कर दी थी। इसके बाद अविनाश को नौकरी मिली थी। घर में मां अकेली रहती है। अविनाश मां से मिलने के लिए ही हर शनिवार को गया से जमशेदपुर आ जाते थे। मंगलवार को शव घर पर आने पर देखने आने वालों का तांता लग गया। भाजपा नेता विकास सिंह, संदीप शर्मा, अमरेंद्र पासवान, संजय सिंह और प्रवीण ने अविनाश की मां से मिल कर उन्हें ढाढस बंधाया।
जर्मनी से आया भाई
अविनाश के दो भाइयों में छोटा सारामनी सिंह जर्मनी में रहता है। भाई की मौत की खबर उसे सोमवार को ही दे दी गई थी। सारामनी सिंह मंगलवार को सुबह 10 बजे दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरे। वहां से हवाई मार्ग से चल कर 12 बजे रांची और वहां से सड़क मार्ग से शाम चार बजे जमशेदपुर पहुंचे। उनके आने के बाद अविनाश की अंतिम यात्रा निकली।