छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: स्टील सिटी में ग्राउंड वाटर रीचार्ज करने में सरकारी तंत्र पूरी तरह फेल है। इससे सिटी का वाटर लेबल लगातार गिर रहा है। शहर में ग्राउंड वाटर लेबल 350 से 400 फीट नीचे पहुंच गया है। इसके लिए वाटर मफियाओं के साथ ही सरकार सबसे अधिक दोषी है। शहर के वाटर रिचार्जिग का सबसे बड़ा श्रोत रूफ टॉफ वाटर हारवेस्टिंग और सरफेस वाटर हारवेस्टिंग को माना जाता है, लेकिन जमशेदपुर नोटिफाइड एरिया, मानगो नगर निगम और जुगसलाई नगर पालिका के अधिकारियों की हीलाहवाली से लोग वाटर हारवेस्टिंग टैंक नहीं बना रहे हैं। इतना ही नहीं इसका पालन सरकारी विभाग की बिल्डिंगों, स्कूलों, होटल और सामुदायिक भवनों के निर्माण में भी नहीं किया जा रहा है। एक दशक से जिले में बारिश का प्रतिशत लगातार गिरने से दोहन के अनुपात में वाटर रिचार्ज नहीं हो पा रहा है। जिले में वनों की संख्या में भी तेजी से हो रह कमी के चलते बारिश नहीं हो पा रही है। जिससे शहर का वाटर लेबल गिर रहा हैं।
पानी के लिए भटक रहे लोग
शहर के नन कंपनी एरिया के लोग पानी के लिए मारे-मारे घूम रहे हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो आने वाले पांच सालों में शहर में एक्का दुक्का बोरिंग ही पानी उगल सकेगी। जमशेदपुर से सटे आदित्यपुर में सरकार ने डीप बोरिंग पर रोक लगा दी है। पेय जल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता मंतोष कुमार मणि ने बताया कि वाटर रीचार्ज की तुलना में भूमिगत जल संरक्षित न हो पाने के कारण लगातार वाटर लेबल गिर रहा है। वाटर रीचार्ज के कई माध्यमों पर प्रशासन द्वारा ध्यान देने की जरूरत है, जिले में डैम और झील के चलते वाटर लेबल को कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही हैं।
पेड़ों की अधाधुंध कटाई
जिले में वाटर ग्राउंड लेबल घटने का एक बड़ा कारण पेड़ों की अधाधुंध कटाई है जिससे चलते जिले में बारिश का प्रतिशत दिन प्रतिदिन घटता जा रहा हैं। जिले सहित जंगल में कमी होने के चलते ही जिले में गर्मी बढ़त जा रही है। इससे बारिश कम हो रही है। जिसका सीधा प्रभाव ग्राउंड वाटर रीचार्ज में पड़ रहा है।
वन विभाग हर साल लगा रहा एक लाख पौधे
जमशेदपुर रेंज में हर साल बारिश में एक लाख पौधे रोपे जाते हैं। इसके साथ ही टाटा हॉर्टिकल्चर सोसाइटी एक वर्ष में लाखों की संख्या में पौधरोपण करवाती है।
शहर में ग्राउंड वाटर लेबल बढ़ाने के लिए सभी विभागों को एकजुट होकर काम करना होगा। इसके लिए जिला प्रशासन, नगर निगम, फॉरेस्ट विभाग के साथ, पेयजल और स्वच्छता विभाग और ग्रामीण विभाग के अधिकारियों को मिलकर काम करना होगा।
-मंतोष कुमार मणि, कार्यपालक अभियंता, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग जमशेदपुर