जमशेदपुर (ब्यूरो): एक्सएलआरआई में एडमिशन का ट्रेंड बदला है। दो साल के मैनेजमेंट के कोर्स में अब तक इंजीनियरों का दबदबा रहता था। लेकिन इस बार बिजनेस मैनेजमेंट के साथ ही ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट में भी ये मिथक टूटा है। सत्र 2024-2026 में मैनेजमेंट ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट में 50 प्रतिशत विद्यार्थी इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के हैं, लेकिन पहली बार संस्थान में 50 प्रतिशत नॉन इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के विद्यार्थियों को भी एडमिशन मिल सका है। हालांकि, बिजनेस मैनेजमेंट में कुल 55 प्रतिशत इंजीनियरिंग जबकि 45 प्रतिशत नॉन इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के विद्यार्थियों का चयन किया गया है। ये बातें एक्सएलआरआई के टाटा ऑडिटोरियम में नये शैक्षणिक सत्र 2024-2026 के उद्घाटन सत्र शुरू होने के मौके पर उभर कर सामने आयी। एक्सएलआरआई में सोमवार से नये सत्र की शुरुआत की गई, जिसमें बिजनेस मैनेजमेंट, ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट के साथ ही एफपीएम समेत अन्य कोर्सों में एडमिशन लेने वाले सभी 551 बच्चों के साथ ही उनके माता-पिता, संस्थान के डायरेक्टर, डीन, 70 शिक्षकों के साथ ही गैर शैक्षणिक कर्मचारी भी मौजूद थे।
दीप जलाकर शुरुआत
एक्सएलआरआई के डायरेक्टर फादर एस जॉर्ज एसजे, डीन एडमिनिस्ट्रेशन एंड फाइनेंस फादर डोनाल्ड डी सिल्वा एसजे, डीन एकेडमिक्स प्रो। संजय पात्रो ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। डीन एकेडमिक प्रो। संजय पात्रो ने जहां स्वागत भाषण दिया वहीं डीन एडमिनिस्ट्रेशन एंड फाइनेंस फादर डोनाल्ड डी सिल्वा एसजे ने प्रार्थना की। मौके पर सभी छात्रों को एक्सएलआरआई जमशेदपुर परिवार में स्वागत किया गया, साथ ही सभी प्रोफेसरों से मिलवाया गया।
उत्कृष्टता का लक्ष्य रखें
डायरेक्टर फादर एस जॉर्ज एसजे ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज से आप सभी एक परिवर्तनकारी यात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं। उन्होंने सभी से सत्य और ज्ञान के लिए प्रार्थना करने का आह्वान किया। कहा कि सत्य प्रकाश के रूप में आता है, अपने भीतर एक दीपक जलाएं और उत्कृष्टता का लक्ष्य रखें। उन्होंने कहा कि एक्सएलआरआई एक जुनून है और आपने इस यात्रा का हिस्सा बनकर अपने लिए सही चुनाव किया है। इस दौरान बताया गया कि एक्सएलआरआई ने हमेशा लिंगानुपात पर बल दिया है। भारत में मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाली कई पहली महिलाएं एक्सएलआरआई से हैं। एक्सएलआरआई मजबूत मूल्यों के साथ एक जेसुइट संस्थान होने के नाते, न केवल महिलाओं को बहुत सम्मान देता है, बल्कि उन्हें सुरक्षित और सशक्त भी महसूस कराता है।