जमशेदपुर : टाटा पावर का 15.50 करोड़ का रुपये गैप है कंपनी ने शुक्रवार को झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा आयोजित जन सुनवाई में इसे गैप को वितरण कंपनी टाटा स्टील से वर्ष यूनिट 2 के लिए 2025-26 और यूनिट 3 के लिए 2026-27 तक वसूलने की अनुमति मांगी है। जोजोबेरा स्थित टाटा पावर की 120 मेगावॉट के दो थर्मल पावर यूनिट है। आयोग के नियमों के अनुसार यूनिट 2 की आयु सीमा वर्ष 2025-26 और यूनिट 3 की आयु सीमा 2026-27 में समाप्त हो रही है। टाटा पावर अपने उत्पादन की पूरी बिजली, पावर पर्चेट एग्रीमेंट (पीपीए) के तहत टाटा स्टील और टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज लिमिटेड (पूर्व में जुस्को) को देती है।
शक्ति कोल से उत्पादन सस्ता
ऐसे में कंपनी ने कोल, ईधन और पानी हुए खर्च के आधार पर पीपीए की निर्धारित अवधि तक रेवेन्यु गैप को वितरण कंपनी से वसूलने की अनुमति आयोग से मांगी है। जन सुनवाई में टाटा पावर का पक्ष रखते हुए कंपनी के रेगुलेट्री हेड पंकज प्रकाश का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने वाले शक्ति कोल से बिजली उत्पादन की दर 24 पैसे 54 पैसे प्रति यूनिट सस्ती होगी। ऐसे में वर्ष 2019-20 में यूनिट 2 से 3.23 रुपये और यूनिट 3 से 3.24 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली की बिक्री की जाती थी। वह 2020-21 में घटकर क्रमश 2.93 रुपये और 2.94 रुपये प्रति यूनिट हो गई है। वहीं, वर्ष 2021-22 में यूनिट 2 में यह दर 2.68 रुपये और यूनिट 3 में 2.70 पैसे तक होगी।
कंपनी के तर्क से इन्कार
हालांकि आयोग के तकनीकि सदस्य आरएन सिंह ने कंपनी के इस तर्क से इंकार किया। उनका कहना है कि यदि टाटा पावर एपीपी अवधि तक रेवेन्यु गैप की वसूली करेगी तो उसकी बिजली उत्पादन की दर और महंगी हो जाएगी। टाटा स्टील बिजली वितरण कंपनी है ऐसे में बढ़ोतरी का पूरा भार उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा। उन्होंने टोरेंट पावर और एनटीपीसी का हवाला देते हुए कहा कि दूसरी कंपनियां और एक्सचेंज में उनसे सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध है। हालांकि उन्होंने कहा कि टाटा पावर के दोनो यूनिट बेहतर उत्पादन कर रहे हैं और जमशेदपुर को 24 घंटे निर्बाध बिजली मिलती है लेकिन सस्ते दर पर उपभोक्ताओं को कैसे बिजली दी जाए, उस पर भी कंपनी को विचार करना चाहिए।
मांग खारिज
टाटा पावर ने अपने यूनिट 2 और यूनिट 3 की 25 वर्ष की आयु सीमा जो 2025-26 और यूनिट 3 के लिए 2026-27 में समाप्त हो रही है। उसे बढ़ाकर 2030-31 और 2031-32 तक करने की मांग की थी। लेकिन पिछले वर्ष हुई जन सुनवाई में आयोग के तत्कालीन चेयरमैन अर¨वद कुमार ने कंपनी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। उनका तर्क था कि कंपनी पुरानी होगी तो कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन ज्यादा होगा और ऑपरेशन एंड मेंटनेंस कास्ट भी ज्यादा होगा। इसी आधार पर इस बार पंकज प्रकाश ने अपने पावर पर्चेट एग्रीमेंट अवधि में ही पूरा रेवेन्यु गैप वसूलने की अनुमति आयोग से मांगी है।
जन सुनवाई में नहीं जुड़ते हैं उपभोक्ता
जन सुनवाई के दौरान जुस्को पावर डिविजन के महाप्रबंधक वीपी सिंह ने कहा कि बिजली उत्पादन कंपनी जब अपने प्रति यूनिट दर में बढ़ोतरी करती है तो कोई भी उपभोक्ता शामिल नहीं होते हैं। लेकिन वितरण कंपनी अपने दर में बढ़ोतरी करती है तो कई उपभोक्ता आपत्ति दर्ज कराते हैंच्जबकि सच्चाई यह है कि बिजली वितरण कंपनी का 80 प्रतिशत पैसा बिजली खरीदने में ही जाता है। जब उनका प्रति यूनिट खर्च बढ़ेगा तो वे भी अपने दर में बढ़ोतरी करेंगे।
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