JAMSHEDPUR: सरायकेला-खरसावां जिले में उग्र भीड़ के हाथों पिटाई के कुछ दिनों बाद जेल में दम तोड़ने वाले तबरेज अंसारी मामले में पुलिस ने चार्जशीट सौंप दी है। इसमें तबरेज अंसारी की मौत दिल का दौरा पड़ने से बताया गया है। भीड़ के हमले से मौत होने की बात से पुलिस ने इन्कार कर दिया है। इस मामले में जेल में बंद 13 आरोपितों पर अब हत्या की धारा 302 के बदले गैर इरादतन हत्या की धारा 304 (बी) के तहत कार्रवाई होगी।
एसपी ने दी जानकारी
सरायकेला-खरसावां के एसपी कार्तिक एस ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तबरेज की मौत की वजह कार्डियक अरेस्ट व फ्रैक्चर बताया गया है। इसलिए आरोपितों पर हत्या के बदले गैर इरादतन हत्या की धारा लगाई गई है। लेकिन, इसके तहत भी सजा का प्रावधान उसी समान है। एसपी ने बताया कि पुलिस ने डॉक्टरों की टीम से जब रिओपनियन लिया तो उन्होंने हृदयाघात को ही मौत की वजह बताई। सिर में लगी चोट को डॉक्टरों ने बहुत गंभीर नहीं माना और इसकी वजह से तबरेज की मौत से इन्कार किया। एसपी ने बताया कि इस मामले में 13 लोग आरोपित हैं। सबकी गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें 11 के खिलाफ अनुसंधान कर जांच प्रतिवेदन अदालत को सुपुर्द कर दिया गया है। बिसरा रिपोर्ट के आधार पर अब डॉक्टरों ने तबरेज अंसारी की मौत की वजह कार्डियक अरेस्ट बताया है। ऐसे में आरोपितों पर हत्या का मामला नहीं चलेगा। तबरेज अंसारी की पिटाई संबंधित वायरल वीडियो की जांच कराई जा रही है।
एसपी ने कहा कि झारखंड हाईकोर्ट को भी आरोपितों के खिलाफ हत्या की धारा 302 हटाने की सूचना दे दी गई है। मालूम हो कि 17 जून को सरायकेला के धातकीडीह में बाइक चोरी के आरोप में भीड़ ने तबरेज अंसारी की काफी पिटाई कर दी थी। बाद में 22 जून को जेल में उसकी हालत बिगड़ गई और इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई। वायरल वीडियो में तबरेज अंसारी से भीड़ 'जय श्रीराम' के नारे लगवाती दिखाई दे रही थी।
30 अगस्त को पत्नी जांच रिपोर्ट मांगने पहुंची थी डीसी दफ्तर
पिछले 30 अगस्त को तबरेज अंसारी की पत्नी शाइस्ता परवीन जांच रिपोर्ट मांगने के लिए जिला उपायुक्त कार्यालय पहुंची थी। उसने आवेदन देकर एसडीओ डॉ। बशारत कयूम की जांच रिपोर्ट व बिसरा की दूसरी जांच रिपोर्ट की सच्ची प्रतिलिपि मुहैया कराने की मांग की थी। शाइस्ता ने कहा कि अनुसंधानकर्ता ने प्राथमिकी में लगाई गई धारा 302 हटाकर गलत तरीके से आरोपितों के विरुद्ध धारा 304 लगाकर कोर्ट में आरोप पत्र समर्पित किया है। चाचा मसरूर आलम ने बताया कि पुलिस ने शाइस्ता के लिखित बयान पर आरोपितों के विरुद्ध हत्या की धारा 302 लगाई थी, लेकिन अनुसंधान के क्रम में आरोपितों को राहत देने के लिए धारा 304 लगाकर कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया।