जमशेदपुर (ब्यूरो) । सड़क पर बाजार और जाम को लेकर दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट लगातार अभियान चला रहा है, लेकिन जिम्मेदारों के कान पर जूं नहीं रेंग रही है। अब तक हमने जिस भी अधिकारी से बात कि सबने अपना पल्ला झाड़ लिया और जाम की वजह दूसरे लोगों को बताकर पल्ला झाड़ लिया। यही वजह है कि जाम की समस्या जस की तस है।
जाम बन चुकी है नियति
सड़क पर दुकानें सजने और सड़क पर ही पार्किंग के कारण लोगों को आने-जाने में परेशानी तो होती है, लेकिन इसकी परवाह किसी को नहीं है, लेकिन जब मेन रोड पर परेशानी हो तो इसे क्या कहेंगे। हालांकि इससे भी किसी को कोई लेना-देना नहीं है। आम तौर पर लोग इसमें फंसते हैं और धीरे-धीरे इससे निकलते रहते हैं, अपनी नियति मानकर।
जाम में फंसा एंबुलेंस
वैसे वाहनों के फंसने से जाम होता है, और लोग घंटे भर में जाम से निकल भी जाते हैं, लेकिन अगर इस जाम में कोई एंबुलेंस फंस जाए तब क्या हो, लेकिन इसकी भी किसी को कोई परवाह नहीं है। आज गम्हरिया लाल बिल्डिंग चौक पर इसी तरह एक एंबुलेंस जाम में फंस गया।
करनी पड़ी मशक्कत
एंबुलेंस के पीछे टैंकर और आगे वाहनों की कतार। अगल-बगल से भी निकलने का कोई रास्ता नहीं, क्योंकि सड़क पर दुकान लगने के कारण दोनों तरफ वाहन भी फंसे थे। इस कारण एंबुलेंस को वहां से निकलने में कफी मशक्कत करनी पड़ी। हालांकि यह सब देखने और जाम को क्लियर करने के लिए वहां कोई भी मौजूद नहीं था, जिस कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

इस समस्या का विकल्प तभी खुलेगा, जब लॉकडाउन की भांति रोड पर लगने वाली सब्जी दुकानों को रापचा मैदान में शिफ्ट कर दिया जाएगा। अन्यथा उन्हें हटा भी देंगे तो कुछ देर बाद फिर से वे वहीं दुकानें लगा देंगे।
कौशल कुमार

जाम से निजात दिलाना आम जनता के वश में नहीं है। कोई वहां अपना काम छोड़ दिनभर वहां खड़ा तो नहीं रह सकता। पुलिस और प्रशासन को वहां मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी करनी चाहिए। अन्यथा मेन रोड के समीप एटीएम में चोरी की कोई सोच भी नहीं सकता।
बिपीन

जाम तो रोज की परेशानी है। आम लोगों को प्रतिदिन इससे जूझना पड़ता है, लेकिन किसी को इससे मतलब नहीं है। एंबुलेंस के साथ ही प्रतिदिन सैकड़ों वाहन यहां जाम में फंस जाते हैं।
सागर सिंह

एंबुलेंस का जाम के कारण लाल बिल्डिंग चौक पर फंसना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। प्रतिदिन शाम 6 बजे से 8 बजे तक यह नज़ारा लाइव देख सकते हैं। इस पर पुलिस या प्रशासन के तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होती है, जब तक कोई बड़ी दुर्घटना ना हो जाए।
नीरज भक्त