JAMSHEDPUR: तेलंगाना में पिछले डेढ़ माह से फंसे मजदूरों ने राहत की सांस तब महसूस की जब उनके कदम टाटानगर स्टेशन पर गुरुवार की सुबह तड़के पांच बजे पड़े। सायरन की आवाज सुनते ही टाटानगर स्टेशन में तैनात रेलकर्मी, जिला प्रशासन के लोग सहित सिविल डिफेंस के सदस्य सक्रिय हो गए। फिर क्या था। ट्रेन के प्लेटफार्म पर रुकते ही एक बोगी आगे एवं एक बोगी पीछे से मजदूरों को उतारा जाने लगे। सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए मजदूरों को बारी-बारी से दो निकास द्वार से बाहर निकाला जा रहा था।
स्टेशन पर उतारा गया
कोरोना वायरस (कोविड 19) के संक्रमण के कारण घोषित लॉकडाउन के दौरान दक्षिण भारत में फंसे झारखंड के विभिन्न जिलों, पूर्वी सिंहभूम, रांची, खूंटी, हजारीबाग, चतरा, गुमला, देवघर, पलामू, गढ़वा, लातेहार, बोकारो, जामताड़ा, गोड्डा तथा अन्य जिलों के श्रमिकों को लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन से टाटानगर लाया गया। स्टेशन से श्रमिकों को पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन ने उनके गृह जिला हेतु चिन्हित बस में बैठाते हुए रवाना किया। सिविल डिफेंस का नेतृत्व इंस्पेक्टर संतोष कुमार द्वारा किया जा रहा था। इनकी निगरानी में श्रमिकों को निर्धारित रूट के बसों में बैठाया गया। पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया प्रखंड के एक श्रमिक को कदमा में संस्थागत क्वारंटाइन कराया गया है। पूर्वी सिंहभूम के डीसी रविशंकर शुक्ला और एसएसपी एम तमिल वाणन सहित रेल अधिकारी व प्रशासन के अधिकारी श्रमिकों के आगमन से लेकर उनकी रवानगी तक स्टेशन परिसर की तमाम व्यवस्थाओं पर नजर बनाये हुए थे।
थर्मल स्क्रीनिंग हुई
टाटानगर स्टेशन पर श्रमिकों के उतरने के बाद सिविल सर्जन डॉ। महेश्वर प्रसाद के नेतृत्व में चिकित्साकíमयों की टीम द्वारा सभी श्रमिकों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई। इससे पहले श्रमिकों ने एक फार्म में अपना नाम पता व अन्य जरूरी कालम को भरा। जांच के बाद श्रमिकों का हाथ सैनिटाइजर से साफ कराया गया। इसके बाद उन्हें मास्क दिया गया। मास्क लेने के बाद श्रमिकों को पुड़ी व सब्जी के बने पैकेट दिया गया।
चप्पे-चप्पे पर तैनात रहे जवान
ट्रेन के आने से पहले ही जिला पुलिस, आरपीएफ व जीआरपी ने स्टेशन से बाहर निकलने वाले रास्तों को पूरी तरह से घेर लिया था। एक श्रमिक भी चोरी छुपे बाहर नहीं निकल सकता था। प्लेटफार्म में बने बैरिकेटिंग के सहारे मजदूरों को स्टेशन में जांच के बाद जिलावार स्टेशन से बाहर निकाल कर कोडिंग किए गए बसों में बैठाया गया। स्टेशन के मुख्य द्वार, फुट ओवर ब्रिज, सेकेंड इंट्री गेट सहित बाहर निकलने वाले सभी रास्तों में पुलिस की तैनाती की गई थी। इतना ही नहीं संकटा सिंह पेट्रोल पंप, स्टेशन ब्रिज पर जाने वाली सीढि़यों के पास, कीताडीह जाने वाले रास्ते पर व गोलपहाड़ी जाने वाले रास्तों पर जवानों की तैनाती की गई थी। स्टेशन परिसर में उपायुक्त रविशंकर शुक्ला, एसएसपी एम तमिल वाणन ट्रेन के आने से पहले ही पहुंच चुके थे और सुरक्षा का पूरा जायजा लिया।
इस मौके पर पुलिस अधीक्षक नगर सुभाष चंद्र जाट, रेल एसपी, अपर जिला दंडाधिकारी नंदकिशोर लाल, कार्यपालक दंडाधिकारी मनमोहन प्रसाद, टाटानगर एरिया मैनेजर विकास कुमार, सीआई संतोष कुमार, शंकर झा, स्टेशन उप अधीक्षक एस के पति, अपर उपायुक्त सौरव कुमार सिन्हा, जिला परिवहन पदाधिकारी दिनेश रंजन, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी रोहित कुमार, जमशेदपुर सदर सीओ अनुराग कुमार तथा अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।
बसों की थी व्यवस्था
टाटानगर स्टेशन पहुंचे 879 मजदूरों को उनके गृह जिला भेजवाने के लिए स्टेशन परिसर से लेकर संकटा सिंह पेट्रोल पंप तक सड़क किनारे 32 बसों की व्यवस्था जिला प्रशासन की ओर से की गई थी। जिला प्रशासन गढ़वा द्वारा नौ बस, पलामू 15, चतरा एवं लातेहार चार-चार बसों की व्यवस्था की गयी थी। अन्य जिलों के लिये पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन द्वारा वाहन की व्यवस्था कर श्रमिकों को उनके गतंव्य स्थान को रवाना किया गया।
ट्रेन के दरवाजे किए गए थे लॉक
तेलंगाना से टाटानगर के बीच आई स्पेशल ट्रेन के सभी दरवाजों को लॉक कर दिया गया था। वहीं श्रमिकों को ट्रेन को कोच में शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए बैठाया गया था। झारसुगुड़ा के बाद से ट्रेन में जीआरपी व आरपीएफ के जवान तैनात हो गए। प्लेटफार्म में प्रवेश करने की किसी भी बाहरी व्यक्ति को इजाजत नहीं थी। बसों में भी श्रमिकों के बीच शारीरिक दूरी का ख्याल रखा गया था।
स्टेशन पर थे हेल्प डेस्क
टाटानगर रेलवे स्टेशन परिसर में श्रमिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हिए हेल्प डेस्क भी बनाये गए थे। उपायुक्त के निर्देश पर श्रमिकों को जानकारी एवं मदद हेतु हेल्प डेस्क का गठन किया गया था, जिसमें पदाधिकारी/कर्मी प्रतिनियुक्त किए गये थे।