जमशेदपुर (ब्यूरो): बिष्टुपुर तुलसी भवन में तीन दिवसीय संगीतमय श्री खाटू श्याम कथा (शीश के दानी की अमर कहानी) के दूसरे दिन शुक्रवार को व्यास पीठ से कथा व्यास श्याम रत्न खाटू वाले पप्पू शर्मा ने बर्बरीक का जन्म, भीम और बर्बरीक (दादा और पोता) में युद्ध, भगवान कृष्ण ही बर्बरीक के गुरु, बर्बरीक द्वारा स्वच्छता का संदेश आदि का प्रसंग सुनाया। उन्होंने श्रद्धालुओं को बताया कि घटोत्कच व माता मोरवी को तीन पुत्र रत्नों की प्राप्ति हुई। सबसे बड़े पुत्र के बाल बब्बर शेर की तरह होने के कारण उसका नाम बर्बरीक रखा गया। ये वही वीर बर्बरीक हैं जिन्हें आज लोग खाटू के श्री श्याम, कलयुग के देव, श्याम सरकार, तीन बाण धारी, शीश के दानी, खाटू नरेश व अन्य अनगिनत नामों से जाने जाते हैं।

वास्तविक परिचय करवाया

कथा व्यास ने कहा कि एक दिन पांडव वनवास काल में भ्रमण करते हुए भूखे प्यासे उस तालाब के पास पहुंचे, जिससे वीर बर्बरीक सिद्ध अम्बिकाओं के पूजन के लिए जल लिया करते थे। महाबली भीम प्यास से उतावले थे। वे बिना हाथ-पैर धोए ही उस तालाब में प्रवेश कर गए। बर्बरीक ने गर्जना करते हुए भीम को ऐसा करने से रोका। इसके बाद बात बढ़ गई और भीम व बर्बरीक के बीच महायुद्ध शुरू हुआ। बर्बरीक ने महाबली भीम को अपने हाथों से उठा लिया और जैसे ही उन्हें सागर में फेंकना चाहा, सिद्ध अम्बिकाएं प्रकट हो गईं। उन्होंने बर्बरीक से भीम का वास्तविक परिचय करवाया।

दानव को समर्पित

भारत के सबसे प्रसिद्ध कृष्ण मंदिरों में से एक खाटू श्याम का मंदिर मुख्य रूप से बर्बरीक नामक महाभारत के दानव को समर्पित है। इसीलिए खाटू श्याम की जीवन कथा की शुरुआत महाभारत से होती है। मंगलाचरण से कथा का शुभारंभ हुआ। खाटू नरेश की महिमा का वर्णन करते हुए बाबा के जीवन चरित्र का वर्णन के साथ ही उनके विशेष श्रृंगार का उल्लेख किया। कथा व्यास पप्पू शर्मा ने कहा कि श्री श्याम बाबा की कथा को यदि नियम पूर्वक सुना जाए तो मोक्ष तक की प्राप्ति हो सकती है। कथा के दौरान उनके भजन श्याम दिन फिर गए मेरे जब से नाम लिया है तेरा, सांवरे पुजारी तेरे दर का., चरणों का पुजारी हूं तेरे दर का भिखारी हूं., श्याम तेरा खेल निराला, दीनानाथ मेरी बात छानी कोनी तेरे से, जीवन की यह डोर संभाले रे श्याम धनी आदि भजनों पर श्याम प्रेमी झूमते रहे।

आठ यजमनों ने की पूजा

इससे पहले दूसरे दिन शुक्रवार को भी सुबह 5.30 बजे मंगला आरती हुई। उसके बाद 06 बजे बाबा का श्रृंगार किया गया। सुबह 8.30 बजे से यजमान पूजा हुई। दूसरे दिन आठ यजमनों ने पूजा की और बजरंग पंडित ने पूजा करायी। फूलों से सजा बाबा का दरबार और संस्था की महिलाओं की साड़ी का ड्रेस कोड आकर्षण का केंद्र रहा।

इनका रहा योगदान

इस धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन में मुकेश आगीवाल, संगीता काबरा, बीना देबुका, ममता केजरीवाल, आकांक्षा धूत, सोनल केजरीवाल, सुजीता अग्रवाल, कविता धूत, रिंकू अग्रवाल, पायल सोंथालिया, पायल गर्ग, कृतिका गोयल, निमेश धूत, विष्णु गोयल आदि का योगदान