जमशेदपुर (ब्यूरो): कथा के पहले दिन मंगलवार को वृंदावन से पधारे स्वामी वृजनंदन शास्त्री महाराज ने व्यास पीठ से शिव महापुराण, शोभायात्रा, महात्म्य वर्णन के प्रसंग का सुंदर व्याख्यान किया। कथा के दौरान प्रसंग के आधार पर कलाकारों ने जीवंत झांकी भी प्रस्तुत की।
शिव जब शक्ति युक्त होते हैं
उन्होंने शिव कथा के विषय पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि शिव को अर्द्धनारीश्वर भी कहा गया है, इसका अर्थ यह नहीं है कि शिव आधे पुरुष ही हैं या उनमें संपूर्णता नहीं। दरअसल, यह शिव ही हैं, जो आधे होते हुए भी पूरे हैं। इस सृष्टि के आधार और रचयिता यानी स्त्री-पुरुष शिव और शक्ति के ही स्वरूप हैं। इनके मिलन और सृजन से यह संसार संचालित और संतुलित है। दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं। नारी प्रकृति है और नर पुरुष। प्रकृति के बिना पुरुष बेकार है और पुरुष के बिना प्रकृति। दोनों का अन्योन्याश्रय संबंध है। अर्धनारीश्वर शिव इसी पारस्परिकता के प्रतीक हैं। आधुनिक समय में स्त्री-पुरुष की बराबरी पर जो इतना जोर है, उसे शिव के इस स्वरूप में बखूबी देखा-समझा जा सकता है। यह बताता है कि शिव जब शक्ति युक्त होते हैं तभी समर्थ होते हैं।
शिव प्रदोष व्रत की बताई महिमा
महाराज ने प्रदोष व्रत का वर्णन विस्तार से करते हुए कहा कि प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना का काफी महत्व है। शास्त्रों में प्रदोष के व्रत की बड़ी महिमा बताई गई है। इस व्रत को श्रद्धापूर्वक विधि-विधान से जो भक्त करता है, उसको जन्म-जन्मांतर के पापकर्मों से छुटकारा मिल जाता है। महीने में दो बार आने वाले प्रदोष व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित है और इस दिन संध्याकाल में इनकी आराधना करने से शिव प्रसन्ना होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं।
काशी महात्म्य एवं रुद्राक्ष महिमा आज
महाराज दूसरे दिन बुधवार को काशी महात्म्य एवं रुद्राक्ष महिमा का प्रसंग सुनाएंगे। कथा का आयोजन यजमान किरण-उमाशंकर शर्मा द्वारा किया गया है। इस मौके पर कृपाशंकर शर्मा, रामाशंकर शर्मा, गिरजाशंकर शर्मा, भाजयुमो के प्रदेश मीडिया प्रभारी कृष्णा शर्मा उर्फ काली शर्मा, संतोष शर्मा समेत सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।