-दो दिनों के NAAC स्पांसर्ड नेशनल सेमिनार में बच्चों को पढ़ाने के तरीके पर हुई चर्चा
-लोयला कॉलेज ऑफ एजुकेशन द्वारा ऑर्गनाइज हुआ सेमिनार
-टॉपिक था
JAMSHEDPUR: बच्चों को बस में चढ़ते और उतरते देखिए। जब वे बस में चढ़ रहे होते हैं तो बहुत उत्साहित होते हैं। बस चलती है और थोड़ी देर बाद बच्चे सुस्त हो जाते हैं और कई तो सो भी जाते हैं। फिर जब वे बस से उतरने लगते हैं तो भी उनका उत्साह चरम पर होता है। ठीक बस जैसा ही माहौल क्लासरूम का भी हो जाता है अगर टीचर को पढ़ाने की कला न पता हो। बच्चे क्लासरूम में उत्साहपूर्वक एंटर करते हैं। टीचर के पढ़ाने का तरीका सही न हो तो बच्चे बोर हो जाते हैं। पर क्लासरूम से निकलते हुए फिर से उनमें एनर्जी लेवल बढ़ जाता है। ये बातें बताई गईं एक्सएलआरआई के फादर प्रभु हॉल में नैक द्वारा आयोजित नेशनल सेमिनार में। इसे ऑर्गनाइज किया लोयला कॉलेज ऑफ एजुकेशन द्वारा जिसका टॉपिक था 'टीचिंग स्ट्रैटजीज टू इन्हैंस इन्नोवेटिव लर्निग प्रोसेस'।
Stress reduction model अपनाना होगा
नेशनल सेमिनार में एनसीटीई जयपुर के पूर्व चेयरमैन ने कहा कि आज लाइफ स्टाइल, एक्सपेक्टेशन, कॉम्पटीशन और क्लाइमेट चेंज की वजह से लोग तनाव में रहते हैं। इसे दूर करने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि टीचर्स बच्चों को पढ़ाने के लिए भी स्ट्रेस रिडक्शन मॉडल को अपनाया जाए। उन्होंने कहा कि इफैक्टिव टीचिंग एंड लर्निग प्रोसेस में इसे शामिल करना जरूरी। सेमिनार में कई डिफरेंट सिटीज से आए एक्सपर्ट्स ने अपनी बातें रखीं। सेमिनार के कन्वेनर थे लोयला बीएड कॉलेज के प्रिंसिपल फादर इग्नेशियस और को-ऑर्डिनेटर्स थे फादर सुनिल लकड़ा, चंद्र ज्ञान तिर्की और डॉ मोनिका उप्पल।
Information and Communication Technology का यूज करें
सेमिनार के दौरान प्रजेंट एजुकेशन सिस्टम में इन्फॉर्मेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी पर बातें हुईं। न सिर्फ स्कूल बल्कि हायर एजुकेशन लेवल पर भी इसके यूज पर चर्चा हुई। इन एरियाज में आईसीटी को यूज करने की बात कही गई।
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- Remedial Teaching
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- Psychological Testing
- Development of Virtual Laboratory
- Instructional Material Development