छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: टाटानगर रेलवे स्टेशन में गुरुवार सुबह हड़कंप मच गया, जब सड़क के डिवाइडर पर सो रहे एक ही परिवार के लोगों को अनियंत्रित ट्रक ने रौंद दिया। हादसे में मुखिया नारायण सोबर (32 वर्षीय) और उसके आठ वर्षीय पुत्र राजू सोबर की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि नरायण सोबर की पत्नी सानू (30), पुत्री मनीषा कुमारी (13), दुर्गी कुमारी (7) और ओमकार सोबर (6) घायल हो गए हैं। मौके पर पहुंची बागबेड़ा पुलिस ने एबुंलेस की सहायता से परिवार के अन्य चार सदस्यों को एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। रोंगटे खड़े कर देने वाली इस घटना में घटना के बाद स्टेशन रोड पर 45 मिनट तक अफरा-तफरी मची रही। विधि व्यवस्था डीएसपी आलोक रंजन, बागबेड़ा इंस्पेक्टर लक्ष्मण प्रसाद पहुंचे। बागबेड़ा इंस्पेक्टर ने बताया कि नारायण सोबर धनबाद के पाथरडीह इलाके का रहने वाला था।
बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेजा
गुरुवार की देर शाम शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। डीएसपी आलोक रंजन ने बताया कि ट्रेलर आदित्यपुर से हाता की ओर जा रहा था। शायद चालक को झपकी आ गई। या फिर घने कोहरा के कारण वाहन अनियंत्रित हो गया। ढाई फीट के डिवाइडर को तोड़ते हुए अनियंत्रित ट्रेलर का अगला हिस्सा सड़क की दूसरी ओर और ट्राली का हिस्सा डिवाइडर पर जाकर फंस गया। इसकी चपेट में डिवाइडर पर सो रहे एक ही परिवार के सदस्य आ गए। स्टेशन परिसर में नारायण सोबर मजदूरी का कार्य करता था। पुलिस ने ट्रेलर को जब्त कर लिया है। चालक हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
वसूली से बचने को तेज रफ्तार से भगा रहा था ट्रेलर
जुगसलाई के एक प्रत्यक्षदर्शी की मानें तो पुलिस की गश्ती पार्टी द्वारा स्टेशन रोड संकटा सिंह मोड़ के पास कुछ पुलिस कर्मी अवैध वसूली करते हैं। बताते हैं कि इससे बचने को चालक ने ट्रेलर को तेजी से भगा दिया। इसी वजह से ट्रेलर स्टेशन आउट गेट के पास अनियंत्रित हो गया और सड़क के डिवाइडर पर सो रहे लोगों को कुचल डाला। वसूली के चलते शहर में बड़ा हादसा होने से पुलिस मामले से पूरी तरह किनारा काट रही है। जबकि सभी जानते है हाल के दिनों में ही एक आदित्यपुर पुल पर डयूटी में तैनात सिपाहियों द्वारा वसूली करने के फोटो सोसल मीडिया पर वायरल हुए थे। हादसे के बाद पुलिस मामले में लीपापोती करने में जुटी हुई है।
जुगसलाई नगर निगम में एक भी शेल्टर होम नहीं
शहर में जहां गरीबों और बेघरों के ठंड में रुकने के लिए शेल्टर होम बनाये जा रहे है। वहीं यह परिवार खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर था। वह लोग स्टेशन पर जाते तो जीआरपी उन्हें भगाती और अन्य स्थान पर वह सो नहीं सकते है। शायद इसी से मजबूर होकर इतनी ठंड के बावजूद भी वह अपने परिवार के साथ खुले आसमान में ही सोता था। एक ही परिवार के दो लोगों की मौत के बाद ही प्रशासन ने उन लोगों की सुध ली। हालात और गरीबी और लाचारी का मारा यह परिवार महज सिर छिपाने के लिए खुले आसमान में सोता रहा है। वहीं शहर के कई सेल्टर होम के ताले भी नहीं खुल सके। इस घटना के बाद एक बार फिर से मानवता को शर्मसार किया है।