जमशेदपुर (ब्यूरो): जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय द्वारा प्रेमचन्द जयंती का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो। (डॉ.) अंजिला गुप्ता ने की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि प्रेमचंद की रचनाएं कालजयी हैं। यही कारण है कि आज भी इनकी रचनाओं को बड़ी तन्मयता से पढ़ा जाता है। साहित्य को समाज का दर्पण कहने वाले प्रेमचंद ने अपने विचारों से पूरी समाज की सोच बदल दी। मुख्य वक्ता डॉ लक्ष्मण प्रसाद ने प्रेमचंद साहित्य के नारी के विभिन्न पात्र का उल्लेख किया। ठाकुर का कुआं, बड़े घर की बेटी, पंच परमेश्वर, गोदान इत्यादि के सशक्त नारी पात्रों के संदर्भ में बताया।
नाटक का मंचन
तुम नारी नहीं नारायणी हो विषय पर छात्रआओं ने रैंप वॉक किया। इसमें प्रथम स्थान अर्थशास्त्र की सुप्रीति किस्कू, द्वितीय स्थान हिन्दी की मोंद्रीता चटर्जी और तृतीय स्थान पर बायोटेक की मंतशा तबरेज रहीं। कुलपति प्रो। डॉ। अंजिला गुप्ता द्वारा इन्हें प्रमाण पत्र सौंपा गया। वहीं हिन्दी स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष की छात्राओं द्वारा पंच परमेश्वर नाटक का मंचन किया गया।
इनकी रही मौजूदगी
स्वागत भाषण कार्यक्रम समन्वयक डॉ पुष्पा, संचालन डॉ। नूपुर मिंज और डॉ। प्रणिता और धन्यवाद ज्ञापन दर्शन शास्त्र की अमृता कुमारी द्वारा किया गया। मौके पर वाणिज्य संकायाध्यक्ष डॉ दीपा शरण, पूर्व अध्यक्ष हिन्दी विभाग डॉ लक्ष्मण प्रसाद, सीवीसी डॉ, अत्रपूर्णा झा, आईक्यूएसी डायरेक्टर डॉ रत्ना मित्रा, डॉ नूपुर थी, वित्त पदाधिकारी डॉ जावेद अहमद, डॉ सुनीता, डॉ जया, अभिलाषा, सिन्धु, डॉ अनामिका, डॉ विश्वराज, रितेश, संगीता एवं तपन सहित अन्य मौजूद रहे।
विवेक विद्यालय में मनी मुंशी प्रेमचंद की जयंती
छोटा गोविंदपुर स्थित विवेक विद्यालय में आज हिंदी विभाग द्वारा च्हिंदी साहित्य के उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंदच् की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के प्राचार्य अवधेश सिंह, उपस्थित शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं बच्चों ने मुंशी प्रेमचंद के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। विद्यालय के बच्चों ने अपनी प्रस्तुति में मुंशी प्रेमचंद की जीवनी तथा हिंदी साहित्य में उनका महत्वपूर्ण योगदान एवं उनकी ख्यातियों पर प्रकाश डाला। उनके द्वारा रचित उपन्यास एवं कहानी जैसे पूस की रात, गोदान, ईदगाह, पंच परमेश्वर आदि विख्यात रचनाओं द्वारा समाज को दिए जाने वाले संदेशों पर भी चर्चा हुई। प्राचार्य अवधेश सिंह ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासकार एवं रचनाकार रहे, तथा आज भी उनकी रचनाएं अपनी यथार्थता को व्यक्त करती हैं। समाज की कुरीतियों एवं उनके विचारों के प्रति मुंशी प्रेमचंद की प्रत्येक रचना एक दर्पण का काम करती है। उन्होंने मुंशी प्रेमचंद को नमन किया और हिंदी साहित्य में मुंशी प्रेमचंद के योगदान के लिए अपनी कृतज्ञता व्यक्ति की।