छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल अपनी करतूतों की वजह से एक बार फिर सुर्खियों में आया। गुरुवार की सुबह करीब छह बजे इलाज के अभाव में एक मरीज ने तड़प-तड़पकर जान दे दी। बुधवार को रातभर परिजन डॉक्टर से लेकर नर्सो तक का चक्कर लगाते रहे। इलाज के लिए उनसे गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी को मरीज पर दया नहीं आई और आखिरकार उसने दम तोड़ दिया।
नहीं पसीजा दिल
नीमडीह निवासी रसना सिंह (43) को पांच सिंतबर को मेडिकल वार्ड में भर्ती कराया गया था। बुधवार की दोपहर डॉक्टरों ने उसे देखा और खून चढ़ाने की सलाह दी। इसके बाद परिजन ब्लड बैंक में खून लेने चले गए। वहां से आने के बाद वार्ड में एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। परिजन खून लेकर नर्स के पास पहुंचे तो उन्होंने कहा कि अभी कोई डॉक्टर नहीं है, सुबह छह बजे चढ़ेगा। इसी दौरान सुबह चार बजे मरीज की स्थिति अत्यंत गंभीर हो गई। परिजन घबराकर दोबारा नर्सो के पास पहुंचे तो वह ड्यूटी रूम में मोबाइल पर वीडियो गेम खेल रही थी। इस दौरान परिजन ने खून चढ़ाने की गुहार लगायी तो उन्होंने कहा कि एक बार बोला न सुबह छह बजे चढ़ेगा। इसके बाद परिजन इमरजेंसी विभाग में डॉक्टर को बुलाने के लिए चले गए। वहां पर तैनात एक डॉक्टर ने कहा कि सुबह 10.30 बजे खून चढ़ेगा। वहां से परिजन जैसे ही मेडिकल वार्ड पहुंचे कि मरीज अंतिम सांस चल रही थी। करीब 5.50 बजे उसकी जान चली गई। इससे मरीज के परिजन आक्रोशित होकर हंगामा करने लगे और दोषी डॉक्टर व नर्सो पर कार्रवाई की मांग की। इसके बाद मौके पर होमगार्ड के जवानों ने पहुंचकर मामले को शांत कराया।
बीमारी का भी पता नहीं चला
मृतक के परिजनों ने बताया कि मरीज को 5 सिंतबर को भर्ती कराया गया था। उसी दिन पैथोलॉजी जांच के लिए नमूना लिया गया। लेकिन, 11 सिंतबर की दोपहर 12 बजे तक उसकी रिपोर्ट की जानकारी देने वाला कोई नहीं मिला। जबकि इसके लिए नर्स व डॉक्टर से बार-बार पूछा गया। हर कोई अंजान बनते रहा। अंत में परिजन बागबेड़ा के उप मुखिया सुनील गुप्ता को इसकी जानकारी दी। इसके बाद वह आए और अधीक्षक डॉ। आरके मंधान से मिले। साथ ही लिखित शिकायत भी की। तब जाकर रिपोर्ट ढूंढ़ी गई।
इस मामले की जांच की जाएगी। संबंधित डॉक्टर, नर्स सबसे इस मामले में पूछताछ की जाएगी। अगर, इसमें कोई दोषी पाया गया तो उसपर उचित कार्रवाई भी होगी। हमारी प्राथमिकता मरीजों को बेहतर चिकित्सा प्रदान करना है। इसके लिए जरूरी दिशा-निर्देश भी दिया जा चुका है।
- डॉ। आरके मंधान, अधीक्षक, एमजीएम
यह घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है। अस्पताल में भर्ती होने के बाद अगर किसी मरीज की मौत इलाज के अभाव में होती है तो इससे दुखद और क्या हो सकता है? इसकी जांच कर कार्रवाई की मांग की गई है। खून आने के बावजूद भी मरीज को नहीं चढ़ सका।
- सुनील गुप्ता, उप-मुखिया, बागबेड़ा