JAMSHEDPUR: लंबे इंतजार के बाद टाटानगर स्टेशन से पहली लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) लेकर ऑक्सीजन एक्सप्रेस शाम सवा छह बजे रवाना हुई। ग्रीन कॉरिडोर से यह ट्रेन सुबह लगभग 11 बजे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचेगी।
देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने और ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार व रेलवे बोर्ड ने मिलकर ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलाया। इसकी मदद से जहां भी पर्याप्त ऑक्सीजन है वहां से ऑक्सीजन लेकर जरूरतमंद शहरों तक पहुंचाया गया। टाटानगर स्टेशन पर 19 अप्रैल को ही बॉडी फ्लैट रैक (बीएफआर) पहुंच चुका था लेकिन कंटेनर की कमी को देखते हुए 14 दिन बाद ऑक्सीजन एक्सप्रेस रवाना हुआ। सोमवार सुबह एक ट्रेलर पर दो-दो कंटेनर को ¨लडे से लिक्विड ऑक्सीजन भरकर पहले बर्मामाइंस एफसीआई गोदाम छोर में स्थित रेलवे यार्ड पर लाया गया। फिर इन्हें बड़े क्रेन की मदद से 66 टन की क्षमता वाली माल गाड़ी पर लोड किया गया। एक डिब्बे में दो-दो कंटेनर रखकर उन्हें सील किया गया। ऑक्सीजन एक्सप्रेस को विदाई देने के लिए को¨चग डिपो ऑफिसर (सीडीओ) एम मंडल व टाटानगर स्टेशन के एरिया रेल मैनेजर विनोद कुमार सहित ¨लडे के वरीय अधिकारी उपस्थित थे। उम्मीद की जा रही है कि एक-दो दिन में फिर से एक ऑक्सीजन एक्सप्रेस टाटानगर स्टेशन से रवाना होगी।
अडानी ग्रुप से आया मोबाइल कंटेनर
टाटानगर में क्रायोजेनिक कंटेनर या लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की ढुलाई के लिए बड़े 30 टन वाले कंटेनरों का अभाव है। ऐसे में दो दिन पहले लिक्विड ऑक्सीजन की बढ़ती जरूरत को देखते हुए केंद्र सरकार की पहल पर गुजरात के अडानी ग्रुप से 10 छोटे मोबाइल कंटेनर मंगवाए। हर एक कंटेनर की क्षमता आठ टन है।
सेफ्टी का रखा गया पूरा ख्याल
ऑक्सीजन एक्सप्रेस में सेफ्टी का पूरा ख्याल रखा गया। हर एक टैंकर को पहले लकड़ी को दो बड़े-बड़े गुल्लक पर रखा गया। फिर इन्हें स्टील स्ट्रीप से बांध कर टाइट किया गया ताकि रास्ते में किसी तरह की जर्किंग में टूटे नहीं। इसके बाद बोरी में रखे बालू से सभी टैंकरों को एहतियात के रूप में जाम भी किया गया।
बैकअप टीम भी साथ हुई रवाना
ऑक्सीजन एक्सप्रेस के पीछे एक स्लीपर भी लगी हुई थी। इस बॉगी में रेलवे पुलिस फोर्स (आरपीएफ) की टीम के अलावा इंजीनिय¨रग व मैकेनिकल विभाग की टीम भी रवाना हुई। सेफ्टी नियमों के अनुसार कंटेनर में जो प्रेशर मीटर लगा है उसकी जांच करना है। साथ ही किसी तरह की तकनीकि परेशानी आने पर उसे सुधारा जा सके।