जमशेदपुर (ब्यूरो) : बिष्टुपुर गोपाल मैदान में स्वदेशी मेला शुरू हो गया है। मेला 8 से 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसका उद्घाटन शनिवार की शाम हुआ, लेकिन अभी तक मेले में स्टॉल पूरी तरह से तैयार नहीं हुए हैं। स्टॉल लगाने के लिए यूपी सहित अन्य जगहों से आए स्टॉल धारक खुद ही स्टॉल को सही करने में लगे नजर आए। खास बात यह है कि आयोजकों ने स्टॉल धारकों से मोटी रकम तो ले ली, लेकिन सुविधा के नाम पर उन्हें कुछ नहीं दिया गया है। इससे उनमें नाराजगी साफ नजर आ रही है।

लगे हैं 400 स्टॉल

आयोजकों ने मेले में करीब 300 से 400 स्टॉल लगाने का दावा किया जा रहा है। यहां कुछ टेंट बनाए गए हैं और उसके अंदर पार्टिशन कर जगह दे दिया गया है। बाकी काम स्टॉल संचालकों को करने है। जगह के अलावा उन्हें कोई सुविधा नहीं दी गई है। इस कारण स्टॉल धारक काफी परेशान हो रहे हैं। उनका कहना है कि उनसे मोटी रकम तो ले ली गई, लेकिन कोई सुविधा नहीं दी गई।

इंतजाम है नाकाफी

स्वदेशी मेला के आयोजकों का कहना है कि उनके द्वारा गोपाल मैदान में 300 स्टॉल बनाए गए हैं, जबकि करीब 100 लोगों को ओपन स्पेस दिए गए हैं, जहां स्टॉल बनाए गए हैं। सबसे ज्यादा परेशानी इन्ही लोगों को होती है। बारिश के कारण उन्हें सामानों के खराब होने का डर बरकरार है। हालांकि मेला के आयोजकों का कहना है उन्हें सामान ढंकने के लिए तिरपाल दिया जाता है।

15 से 30 हजार दिए

स्टॉल धारकों के मुताबिक जो स्टॉल आयोजकों द्वारा बनाकर दिए गए हैं, उनसे प्रति स्टॉल 30 हजार रुपए लिए गए हैं। इनके अलावा मैदान में स्टॉल लगाने वालों से 22 हजार और ओपन स्टॉल धारकों से करीब 15 हजार रुपए लिए गए हैं। अगर मिनिमम अमाउंट के आधार पर भी 400 स्टॉल से मिली राशि का हिसाब लगाएं तो यह 45 लाख रुपए तक जाती है। इसके बावजूद स्टॉल धारकों को कोई खास सुविधा नहीं दी जाती।

नहीं है टॉयलेट

मेले में हजारों दुकानदार हैं। और मेला घूमने भी हजारों लोग आते हैं, लेकिन यहां आयोजकों की ओर से टॉयलेट की व्यवस्था तक नहीं की गई है। आयोजकों का कहना है कि मैदान में मौजूद जिम के टॉयलेट को महिलाओं के इस्तेमाल के लिए रखा गया है, जबकि मैदान के बाहर रोड के किनारे बने यूरिनल का उपयोग दुकानदार और मेला घूमने आने वाले लोग कर सकते हैं। ऐसा केवल स्वदेशी मेला में ही नहीं, बल्कि गोपाल मैदान में लगने वाले हर मेले की व्यवस्था है। आयोजक स्टॉल संचालकों से जगह के नाम पर मोटी रकम तो ऐंठ लेते हैं, लेकिन उन्हें सुविधा के नाम पर कुछ नहीं दी जाती।

खुले हैं बिजली के तार

इसके अलावा मैदान में बिजली की जो व्यवस्था है, वह भी खतरनाक है। तार खुले हैं, जिससे करंट लगने का खतरा मंडरा रहा है। इसे देखने वाला भी कोई नहीं है।