JAMSHEDPUR: दिवाली को लेकर बजारों में रौनक दिखने लगी है, लेकिन शहर के पटाखा बाजार में चहल-पहल गायब है। रविवार को जुगसलाई के पटाखा बाजार में भीड़ कम दिखी। पटाखा मार्केट के डाउन रहने का कारण बारुद और पटाखा में बनाने में इस्तेमाल होने वाले समानों के दाम में वृद्धि को माना जा रहा है। जुगसलाई बाजार में पिछले साल की तुलना में रौनक नहीं दिख रही है।
10 से पांच हजार तक के पटाखे
शहर में जुगसालाई के साथ ही आम बागान साकची और जी टाउन हॉल बिष्टुपुर भी पटाखे की दुकाने सजाई जाती है। दोनों स्थानों पर रविवार से बिक्री शुरू हो गई। बजार में 10 से लेकर 5000रुपए तक के पटाखे उपलब्ध हैं। जुगसलाई की कई दुकानों में ग्रीन पटाखे देखने को मिले। इस पटाखों की खासियत यह है कि यह लहसुन की तरह होते हैं और दीवार जमीन या किसी कठोर वस्तु में तेजी से मारने पर हल्की आवाज के साथ धुआं बिल्कुल नहीं छोड़ते।
लाइसेंस के फेर में फंसे
पटाखों की ब्रिक्री के लिए व्यापारियों को लाइसेंस के साथ ही फायर डिपार्टमेंट और एसडीओ से परमीशन की जरूरत होती है। परमीशन और लाइसेंस के चक्कर में शहर में कम ही व्यापारी पटाखों का कारोबार करते हैं। शहर में विस्फोटक रखने में भी खतरे के चलते भी लोग लाइसेंस नहीं लेते हैं।
शहर में पटाखो का रेट
आइटम कीमत
बंदूक 60-400
चकरी 280-520
अनार 40-600
मस्ताब 70-100
रॉकेट 40-400
चटाई 70-300
लहसुन 15
फुलझड़ी 160
सुतली बम 100
ऊन बम 40-60
सीको पटाखा 10
चाकलेट बम 40
(कीमत रुपए में)
22 जगहों पर पटाखे की 365 दुकानें
इस दीपावली में शहर में 365 दुकानें लगाई जाएंगी। इसके लिए जिला प्रशासन ने पटाख्रों की दुकानों को अस्थायी लाइसेंस जारी कर दे दिया है। हर दुकानदारों को आग से बचाव के तमाम इंतजाम करने होंगे तथा एक दुकानदार 50 किलोग्राम पटाखे ही रख सकता है। दुकान लगाने का लाइसेंस 15 नवंबर का तक जारी रहेगा।
कहां कितनी दुकानें
साकची आम बागान -90
जी टाउन बिष्टुपुर - 50
बारीडीह दुर्गापूजा मैदान -25
आरपी पटेल स्कूल मैदान जुगसलाई - 14
बर्मामाइंस दुर्गापूजा मैदान -19
सबुज कल्याण संघ टेल्को - 35
एन टाइप मैदान टेल्को -08
मानगो गांधी मैदान - 23
गोलमुरी सर्कस मैदान -23
कदमा गणेश पूजा मैदान -29
राम मंदिर सोनारी -14
गढ्डा मैदान सिदगोड़ा -13
भालूबासा हरिजन विद्यालय के सामने -5
बिरसा नगर संडे मार्केट - 5
बाजार में पटाखे की बढ़ी हुई कीमतों की वजह से बाजारो में भीड़ नहीं दिख रही है। बचपन में 100 रुपए में ढेर सारे पटाखे मिल जाते थे, लेकिन दाम बढ़े होने से तीन से चार पटाखे ही मिल पा रहे हैं।
अमित सिंह पटेल, जुगसलाई
हम लोग इस बार बिना पटाखा जलाए ही दीवाली मनाएंगे। इससे प्रर्यावरण और पैसे दोनों की बचत होगी। पटाखों के दाम में तेजी से हो रही वृद्धि के चलते एक से दो हजार रुपए पटाखा फोड़ने में चले जाते हैं। इसको देखते हुए इस बार पटाखा नहीं जलाएंगे।
सुशील कुमार, मानगो