जमशेदपुर(ब्यूरो): जमशेदपुर के अधिकांश क्षेत्रों में मकान, फ्लैट्स की रजिस्ट्री के लिए निर्धारित मूल्य वास्तविक मूल्य से अधिक है। क्षेत्र में फ्लैट की जो मार्केट वैल्यू है, रजिस्ट्री विभाग द्वारा उससे कहीं ज्यादा शुल्क रजिस्ट्री के लिए वसूला जा रहा है। सिंहभूम चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने प्रधान सचिव, भू राजस्व विभाग, झारखंड सरकार का ध्यान आकर्षित कराया है।
रजिस्ट्री शुल्क अलग-अलग
इतना ही नहीं नए मकान या फ्लैट के लिए जो निर्धारित रजिस्ट्री शुल्क है वही शुल्क पुराने मकान और फ्लैट्स का भी लिया जा रहा है। इस मामले में सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स ने आपत्ति जताई है। चैंबर का कहना है कि एक ही स्थान पर नए और पुराने मकान या फ्लैट का रजिस्ट्री मूल्य एक समान नहीं होना चाहिए।
सरकारी कीमत है ज्यादा
जानकारी के मुताबिक बिष्टुपुर क्षेत्र में नए फ्लैट्स का वास्तविक मूल्य लगभग 6000 रुपए प्रति वर्ग फीट है, लेकिन सरकारी निर्धारित मूल्य 7300 रुपए प्रति वर्ग फीट है जो कि काफी अधिक है। इतना ही नहीं इसी क्षेत्र में पुराने फ्लैट्स की रजिस्ट्री का भी मूल्य 7300 रुपए प्रति वर्गफीट है, जबकि उसका बाजार मूल्य 4000 से 4500 रुपए है। यह तो महज एक बानगी है। कमोवेश शहर के ज्यादातर क्षेत्रों की यही स्थिति है।
पहल करने की मांग
सिंहभूम चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष विजय आनंद मूनका एवं मानद महासचिव मानव केडिया ने बताया कि इस मामले में झारखंड सरकार के भू-राजस्व विभाग के प्रधान सचिव केके सोन को पत्र लिखकर मामले से अवगत कराते हुए इस मामले में ध्यान देने को कहा गया है, ताकि आम नागरिकों को किसी तरह की परेशानी न हो और उन्हें नए और पुराने मकान की रजिस्ट्री के लिए एक समान कीमत का भूगतान न करना पड़े। इतना ही नहीं चैंबर ने मामले में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, विधायक सरयू राय, मंगल कालिंदी, झारखंड सरकार के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह और जिला की उपायुक्त विजया जाधव को भी मामले की जानकारी देते हुुए इस दिशा में पहल करने की मांग की है।
सर्टिफिकेट देने पर मिल सकती है छूट
रजिस्ट्रेशन सॉफ्टवेयर में डेप्रिसिएशन सर्टिफिकेट का प्रावधान है। यह किसी ऑथराइज बॉडी जैसे भवन निर्माण विभाग या नगर निगम द्वारा जारी किया जाता है, लेकिन किसी भी ओनर द्वारा यह सर्टिफिकेट जमा नहीं किया जाता है। इस वजह से उन्हें एक समान शुल्क देना पड़ रहा है।


एक ही क्षेत्र में नए मकान या फ्लैट की रजिस्ट्री शुल्क एक समान लेना तर्कसंगत नहीं है। मूल्य निर्धारण में बदलाव की आवश्यकता है। इसके लिए जानकारों, विशेषज्ञों, स्टेक होल्डरों से चर्चा के बाद ही सरकार द्वारा रजिस्ट्री शुल्क निर्धारित किया जाना चाहिए।
विजय आनंद मूनका, अध्यक्ष सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स

अगर ऑथराइज्ड बॉडी से डेप्रिसिएशन सर्टिफिकेट लेकर आने पर शुल्क कम हो जाता है। सॉफ्टवेयर में भी इसका प्रावधान है। इससे भवन की अवधि के मुताबिक 10 परसेंट से 50 परसेंट तक सर्किल रेट के मुताबिक छूट मिल सकती है।
-धर्मेंद्र उपाध्याय, डिस्ट्रिक्ट सब रजिस्ट्रार, जमशेदपुर