JAMSHEDPUR : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्थानीय भाषा को विशेष महत्व दिया गया है। इससे राज्य के सभी भाषाएं समृद्ध होंगी। अब उन भाषाओं को वैज्ञानिक ²ष्टिकोण मिलेगा। झारखंड जैसे जनजातीय बहुल राज्य को भी इस शिक्षा नीति में ध्यान रखा गया है। यह बातें गोलमुरी स्थित एबीएम कॉलेज द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विषय पर गुरुवार को आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय जनजातीय कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने कही। उन्होंने कई तरह के आयोग का जिक्र करते हुए कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से हमारा राष्ट्र सक्षम, तकनीकी रूप से दक्ष तथा मजबूत होगा। यह भी कहा कि मैकाले की शिक्षा नीति से जो छात्रों पर बोझ पड़ा था उससे छात्र बचेंगे। उन्होंने लगभग 45 मिनट तक अपनी बातों को रखते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में कोल्हान की संस्कृति, स्थानीय खनिज, भाषा एवं स्थानीय इनोवेशन पर भी जोर दिया गया। कहा कि उनके द्वारा झारखंड जैसे राज्य के लिए प्रस्तुत किए गए सभी तरह के सुझाव इसमें शामिल हैं। इससे यहां के छात्रों को आगे फायदा होने वाला है। उन्होंने शिक्षक एवं छात्रों को सलाह दी कि वे आने वाले कल की ¨चता करें। यह अफसोस न रहे कि आपने कल के लिए कुछ नहीं किया। आपका एक सकारात्मक प्रयास आने वाली पीढ़ी का मार्गदर्शन करेगी।
रह गया अफसोस
उन्होंने झारखंड के अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि उनके पास बीआइटी मेसरा और डेनमार्क का एक प्रतिनिधिमंडल वर्ष 2005 में आया था। इन लोगों ने उन्हें उस दौरान बताया था कि आने वाल कल वायरलेस टैक्नोलॉजी का है, इस कारण झारखंड में वायरलेस टेक्नोलॉजी रिसर्च एवं इनोवेशन पार्क का निर्माण होना चाहिए। उन्होंने इसके लिए प्रयास भी किया। कई दौर की बातचीत भी हुई, लेकिन तब तक उनकी सरकार चली गई। अफसोस रह गया कि यह पार्क निर्माण नहीं हो पाया। आज पता चल रहा है कि यह पार्क कितना जरूरी था। आज सारा कुछ वायरलेस टैक्नोनॉजी से हो रही है। चाहे वह घर की आवश्यकताओं को पूरा करने की बात हो या फिर पढ़ाई लिखाई करने की बात हो। चाहे वह चिकित्सा सुविधा करने की बात तथा कंपनियों के कार्य की बात हो। सब कुछ कुछ इस टेक्नोलॉजी से ही हो रहा है।
शिक्षा में न हो भेदभाव : वीसी
एबीएम कॉलेज द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के वेबिनार के मुख्य संयोजक कोल्हान विश्वविद्यालय के वीसी प्रोफेसर डॉ गंगाधर पंडा ने कहा कि राजा हो या रंक सभी को एक समान शिक्षा मिलनी चाहिए। उन्होंने नई शिक्षा नीति व इससे पहले के गठित विभिन्न तरह के आयोग पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत को जानने के लिए वैदिक वांग्मय का अध्ययन जरूरी है। इसमें राजा हो या रंक सभी एक ही गुरुकुल में पढ़ते हैं। यानि जहां कृष्ण पढ़ते थे वहीं सुदामा भी पढ़ते थे। शिक्षा भेदभाव नहीं होना चाहिए। ऊंच-नीच, जातिगत भेदभाव तो बिल्कुल नहीं है। अगर भेदभाव हुआ तो कर्ण जैसे योद्धा की अनदेखी होगी, परिणामस्वरूप महाभारत तय है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस भेदभाव को दूर करेगी तथा रिसर्च एवं नवाचार शिक्षा को बढ़ावा देगी, जो आज के समय की मांग है। इस शिक्षा नीति में सिद्धांत से ज्यादा प्रयोग पर बल दिया गया है। शोध गतिविधि को बढ़ावा मिला है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रकाश डाला
वेबिनार के अध्यक्ष व कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ। एसएनसिंह ने स्वागत भाषण करते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। वेबिनार के आयोजक सचिव एवं कॉलेज की प्राचार्या डॉ। मुदिता चंद्रा ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से अधिक से अधिक छात्रों को जोड़ कर इसकी जानकारी दी जाएगी, ताकि हमारे छात्र नई शिक्षा नीति को समझ सके और वह लाभान्वित हो सके। बेबिनार के संयोजक कॉलेज के राजनीति विभाग के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र भारती ने संचालन किया तथा इस वेबीनार ने सहयोग करने के लिए सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों के प्रति आभार प्रकट किया। वेबिनार में विभिन्न राज्यों से 200 से अधिक शिक्षक व छात्र जुड़े हुए थे।
मातृभाषा को सम्मान दिया गया है : प्रोवीसी
एबीएम कॉलेज के वेबिनार में वेबिनार के संरक्षक सह कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रोवीसी प्रोफेसर अरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षाच्नीति में उच्च शिक्षा में शोध हेतु जो प्रारूप तैयार हुआ है वह स्वागत योग्य है। इसमें एमफिल को हटाकर पीएचडी पर विशेष बल दिया गया है। इससे शोधार्थी एवं शोध निर्देश के बीच अच्छा तालमेल बनेगा एवं गुणवत्तापूर्ण शोध कार्य भी बन सकेगा। इसमें मातृभाषा को सम्मान दिया गया है। मातृभाषा से शोध एवं इनोवेशन में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अमेरिका में गुजरातियों के लिए अलग से गुजराती पढ़ाई होती है तो देश में यह क्यों नहीं। मातृभाषा में पढ़ाई से वैज्ञानिक ²ष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा उसे समझने में और आसानी होगी।