JAMSHEDPUR: लौहनगरी के अंतराष्ट्रीय तीरंदाज जसपाल और नेशनल आर्चर सरस सोरेन का शव शुक्रवार की दोपहर जब घर पहुंचा तो दोनों परिवार के लोग चीत्कार मारकर रोने लगे। दोनों युवा तीरंदाजों की मौत से पूरा शहर गमगीन हो गया। दोपहर बाद जहां सतपाल के शव को घर से अरदास के लिए साकची गुरुद्वारा लाया गया। अरदास के बाद सतपाल के शव को भुइयांडीह स्थित स्वर्णरेखा घाट में अंतिम संस्कार कर दिया गया। साथ ही सरस सोरेन का अंतिम संस्कार आदिवासी रीति रिवाज के साथ किया गया। सारस के शव को भी स्वर्णरेखा बर्निग घाट में मृतक के भतीजे विशाल सोरेन ने मुखाग्नि दी। इंटरनेशनल तीरंदाजों की अंतिम यात्रा में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, अमरप्रीत सिंह काले, शैलेंद्र सिंह सहित दोनों तीरंदाजों की अंतिम यात्रा में शामिल रहे। बुधवार की सुबह सुबह आठ बजे मध्य प्रदेश के शहडोल के पास सड़क दुघर्टना में दोनों की मौत हो गई थी। गुरुवार देर रात दोनों खिलाडि़यों के आए शव को टीएमएच स्थित मॉर्चरी में रखा गया था।
थम नहीं रहे थे आंसू
तीरंदाज जसपाल सिंह का शव शुक्रवार की दोपहर करीब एक बजे जैसे ही घर पहुंचा। शव को देखकर मां शरणजीत कौर, बहन जसवीर कौर, दादी रंजीत कौर, चाची चाचा व पंजाब से आए रिश्तेदार दहाड़ मार-मार कर रोने लगे। मां व बहन की चीत्कार से माहौल गमगीन हो गया। जसपाल के अंतिम दर्शन करने आए महिलाएं भी अपने आंसू रोक नहीं पाए। यहां तक की पड़ोस की बिल्डिंग में खड़ी महिलाएं भी अपने-अपने घर में ही रोने लगीं। आधा घंटा तक जसपाल सिंह के घर का माहौल पूरी तरह से गमगीन हो गया था।
कोस रहे थे किस्मत को
तीरंदाज सरस सोरेन का शव जैसे ही स्वर्णरेखा प्रोजेक्ट कॉलोनी स्थित घर पर लाया गया। मां विमला मझियाइन जिसे पता भी नहीं था कि उसका पुत्र अब इस दुनिया में नहीं रहा। अचानक जब अपने पुत्र का शव को कफन में लिपटा हुआ देखा खाट से नीचे गिर गयी। वह शव के साथ लिपट कर रोने लगी। पूरी कॉलोनी का महौल गमगीन हो गया। देखते ही देखते बहन, भाभी सीता सोरेन, भाई बीर सिंह सोरेन व पिता गुरुदास सोरेन भी खुद पर काबू नहीं रख पाए और फूट-फूटकर रोने लगे। किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उसका सुखमय परिवार को किसकी नजर लग गयी।