JAMSHEDPUR: दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की ओर से आयोजित मिलेनियल्स स्पीक के तहत मंगलवार को गोलमुरी स्थित एबीएम कॉलेज कैंपस में 'राजनी-टी' परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के माध्यम से मलेनियल्स स्पीक जेनरल इलेक्शन 2019 के 18 से 38 साल वोटर्स के नब्ज को खोजकर लोकसभा चुनाव 2019 में चुनाव के मुद्दों पर युवाओं की राय ली गई। परिचर्चा के दौरान 'जीएसटी से देश को क्या मिला लाभ' विषय पर युवाओं ने अपने विचार व्यक्त किए। युवाओं ने जीएसटी लागू करने को सरकार की अच्छी पहल बताया, लेकिन इसकी वजह से कई सामानों के दामों की वृद्धि पर चिंता भी व्यक्त की। मिलेनियल्स ने कहा कि सरकार ने इसे देश की सबसे बड़ी आर्थिक नीति के रूप में प्रयोग किया। जिससे देश में बनने वाले सभी उत्पादों से केंद्र और राज्य सरकार टैक्स वसूलने में सफल हुई है। युवाओं ने कहा कि देश में पैकिंग कारोबार का चलन बढ़ा, जिसके फलस्वरूप गरीब लोगों पर टैक्स का बोझ बढ़ रहा है। जीएसटी की देन है कि आज एक किलो गुड़ लेने पर भी पांच प्रतिशत जीएसटी देना पड़ रहा है। युवा बोले कि सरकार को चाहिये कि जितनी भी दैनिक वस्तुएं हैं, उनपर जीएसटी की दरें घटाई जाएं। मिठाइयां, दवा, किताबों, खाद्य सामग्री से जीएसटी का रेट कम किए जाएं। इससे देश के साथ ही मध्यम वर्ग के परिवारों की जिदंगी की गाड़ी आसानी से चल सके।
पहल की सराहना की
चर्चा के दौरान युवाओं ने सरकार की पहल की सराहना करते हुए कहा कि एक टैक्स होने से राज्यों की सीमाओं पर कर के नाम पर उगाही बंद हुई है। पहले व्यापारी वैट बचाने के लिए बिल नहीं देते थे, जिससे लोगों को राहत मिली है। वहीं पैसे बचाने के चक्कर में लोग बिल नहीं लेते थे जिससे सामान खराब होने पर दुकानदार कस्टमर्स की बात नहीं सुनते थे इससे निजात मिली है।
हालात में होगा सुधार
युवाओं ने जीएसटी पर विचार रख आगामी लोकसभा चुनाव का बड़ा मुद्दा माना। युवाओं ने कहा कि यह तो सच है कि जीएसटी के माध्यम से केंद्र और राज्य दोनों को टैक्स का बड़ा साधन मिल चुका है। पहले सरकार को कुछ विशेष व्यापार से ही टैक्स मिलता था, लेकिन जीएसटी लगने से केंद्र और राज्य दोनों ही सरकार को सामान रूप से कर की प्राप्ति हो रही है। वहीं, व्यापारी और आम लोगों को भी अलग-अलग टैक्स पे करने से राहत मिली है। उधर, युवा व्यापारियों ने कहा कि जीएसटी प्रक्रिया बेहद जटिल होने से यह बिना पढ़े लिखे व्यापारियों को समझ में नहीं आ रहा है। इसका फायदा बीच के लोग उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी फाइल करने में ही व्यापारियों का अच्छा पैसा खर्च हो रहा है। व्यापारियों ने कहा कि यह सहज है कि देश के विकास में हर नागरिक का योगदान होना चाहिये। जब देश की जनता इतना सहयोग कर रही है तो सरकार का भी फर्ज है कि वह लोगों की अधिक से अधिक मदद करे।
युवा नहीं दिखे एकमत
जीएसटी के फायदे और नुकसान में युवाओं में खासा मतभेद देखने को मिला। एक वर्ग के युवाओं ने इसे सरकार की सफलता मानते हुए देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया तो एक वर्ग ने सरकार की उपेक्षा करते हुए जीएसटी को गरीबों के लिए अभिशाप बताया। युवाओं ने कहा कि जिन चीजों के दाम जीएसटी आने से कम हो जाएंगे ऐसी चीजों में जीएसटी क्यों नहीं लगाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर युवाओं ने इसे देश के विकास का घोतक बाताया।
नियमों व दरों में हो कमी
चर्चा के दौरान सभी मिलेनियल्स का एक ही मत रहा कि जीएसटी देश के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन सभी युवाओं का कहना है कि सरकार जीएसटी के नियमों को सरल बनाये जिससे कम पढ़े लिखे व्यापारियों को इसका गणित समझ में आ सके। युवाओं ने कहा कि सरकार कुछ मूलभूत चीजों में दरों की कमी करें जिससे आम लोगों पर टैक्स का ज्यादा बोझ न पड़ सके। युवाओं ने कहा सरकार की किसी भी दल की देश और समाज का विकास सर्वोपरि है। अगले चुनाव में वोटर्स जीएसटी के फायदे और नुकसान को ध्यान में रखकर वोट करेंगे।
मेरी बात
लोकसभा चुनाव में जीएसटी भी एक मुद्दा रहेगा। जीएसटी से देश की अर्थव्यवस्था का मजबूती मिलेगी, व्यापारियों के पेपर वर्क और टेक्निकल कार्य में वृद्धि हो गई है। अब हर व्यापारी को बिल काटने के लिए एक कंप्यूटर रखना आवश्यक हो गया है। जीएसटी अभी भी आम आदमी की समझ से परे है। सरकार को चाहिये कि चेंबर के माध्यम से शहर के व्यापारियों को जीएसटी की वर्कशॉप कराकर उसकी जानकारी दी जानी चाहिये।
-प्रेम प्रकाश दुबे
कड़क मुद्दा
जीएसटी से गरीब और निचले तबके के लोगों को कोई लाभ नहीं हुआ है। देश की अर्थव्यस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार को टैक्स की जरूरत होती है। लेकिन सरकार को चाहिये कि वह बोझ गरीब और रोज कमाने खाने वाले लोगों के जीवन पर कम पड़े। मेरी सरकार की मांग है रोज मर्रा की चीजों में में लगने वाली जीएसटी की की दरों को कम किया जाए जिससे आम लोग भी अपना जीवन जीकर सरकार का भी सहयोग कर सके।
अभिषेक सिंह राजपूत
देश के विकास के लिए जीएसटी लागू करना सरकार की अच्छी पहल है। जीएसटी कई विकसित और विकासशील देशों में लागू है। सरकार ने पहले जारी की गई दरों में कटौती भी है जिससे आम जनमानस पर सार्थक प्रभाव हुआ है। सरकार अगर दैनिक उपयोग की वस्तुओं में टैक्स कम करेगी तो गरीब तबके के लोगों को लाभ होगा। सरकार को चाहिये कि नशे की चीजों में वृद्धि कर दैनिक खाद की वस्तुओं पर दरें घटाई जाये।
रीतेश कुमार दुबे
जीएसटी भी आम चुनाव का एक मुद्दा हो सकता है। लोगों को सभी तरह की खरीद में टैक्स पे करना पड़ रहा है। वहीं साथ ही देश के विकास के लिए सरकार का खजाना भर रहा है। देश को विकास की रात में ले जाना प्रत्तेक देशवासी का फर्ज है। सरकार को चाहिये कि जनता के पैसे को उपयोग जनता की भलाई पर किया जाना चाहिये। देश में विकास के कार्य हो रहे है लेकिन अब बात गरीबों के उत्थान की होनी चाहिये।
सूरज कुमार पांडेय
एक देश एक टैक्स का सपना देकर इसे लागू किया गया है। जीएसटी लगने से अब व्यापारी को चार तरह के टैक्स के स्थान पर एक बार ही टैक्स देना पड़ रहा है। इलेक्ट्रानिक सामान में जीएसटी की दरें ज्यादा होने से लोगों को दिक्कत हो रही है। सरकार ने जो टैक्स की दरें पहले दी थी अब उनपर विचार-विमर्श कर सुधार किया जा रहा है। आने वाले समय में दरों में और सुधार की उम्मीद है।
अंकित सिंह
सरकार ने देश में जीएसटी लगाने में जल्दबाजी की है। जीएसटी और एफडीआई विकसित राष्ट्र में ठीक है। आज जहां हम देश के 20 करोड़ लोगों को दो टाइम का खाना नहीं दे पा रहे हैं और विकसित राष्ट्रों से अपनी बराबरी कर रहे हैं। सरकार को चाहिये कि आम आदमी के विकास के लिए जिन चीजों की अवश्यकता है उनको मुहैया कराये। आम चुनाव में लोग जीएसटी को नहीं भूलेंगे।
प्रदीप जयसवाल
हमारे देश में 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग मीडिल क्लास या लोअर मीडिल क्लास के हैं। सरकार का अच्छा प्रयास है कि देश को अगल-अलग तरह के टैक्स से मुक्ति दिलाकर एक ही प्रकार का टैक्स वूसला जाये। लेकिन बाजार में जीएसटी के चलते दरों में हुई वृद्धि को अभी तक कंट्रोल नहीं किया जा सका है। देश में ऐसा भी एक वर्ग है जिसकों टैक्स से फर्क नहीं पड़ता लेनिक सरकार को गरीबों के बारे में भी विचार करना चाहिये।
-प्रकाश कुमार तिवारी
देश में जीएसटी लगाना जरूरी था। आज देश में जीएसटी के स्लैब को 5, 12,18 और 28 प्रतिशत के स्लैब में बांटा गया है। गुड्स लेने में पांच प्रतिशत टैक्स है जबकि मिठाई लेने में 12 से 18 प्रतिशत टैक्स देना होता है। सिंगापुर में भी जीएसटी लगाया है लेकिन वहां पर हर चीज के लिए आपको महज 7 प्रतिशत का ही टैक्स देना होता है। सरकार को चाहिये कि बड़े लोगों के साथ ही गरीबों की जरूरतों पर भी विचार करे।
राहुल कुमार सिन्हा