जमशेदपुर (ब्यूरो): ठंड का मौसम आते ही सिटी में माइग्रेटरी बर्ड का आना शुरू हो जाता है। ये पक्षी आम तौर पर टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क स्थित जयंती सरोवर के साथ ही चांडिल डैम, डिमना लेक के अलावा सीतारामपुर डैम में भी दिखते हैं। टाटा जू के क्यूरेटर डॉ एसके महतो ने बताया कि पिछले तीन साल में जुबिली पार्क स्थित जयंती सरोवर में 9 प्रजातियों के पक्षी देखे गए हैं। इनमें सारे इंडियन बर्ड ही हैं। इन पक्षियों में व्हीस्लिंग टिल, गढ़वाल, कॉमन पोचार्ड, क्रस्टेड पोचार्ड आदि बर्ड शामिल हैं। हालांकि इस साल जयंती सरोवर में कम पक्षी दिख रहे हैं। उन्होंने बताया कि ये पक्षी फरवरी सेकेंड वीक से वापस जाना शुरू कर देते हैैं

बायो इंडिकेटर कहा जाता है

ठंड की शुरुआत होते ही सिटी में पक्षियों का आना शुरू हो जाता है। इन पक्षियों को माइग्रेटरी विंटर विजिटर भी कहते हैं। चूंकि ठंड की शुरुआत होते ही ये आना शुरू कर देते हैं, इसलिए इन्हें बायो इंडिकेटर भी कहा जाता है। आम तौर पर ये सभी इंडियन बर्ड ही हैं जो अपने क्षेत्र में बर्फ जमने पर माइग्रेट करना शुरू कर देते हैं।

श्रीलंका के पक्षी चांडिल डैम में

डॉ एसके महतो के मुताबिक श्रीलंका का एक पक्षी बार हेडेड गूज और सी गुल भी चांडिल डैम में देखा गया है। यह एक हाई फ्लाइंग बर्ड है। इसी तरह डिमना लेक में कॉटन पिगमी गूज और फिजेंट टेल जकाना के अलावा सीतारामडेरा डैम में टफ्टेड डक देखने को मिला है।

यूरेशिया और यूरोप से भी आते हैं

यूरेशिया का एक पक्षी रेड नेप्ड आइडिस बर्ड डिमना में देखा गया। इसके अलावा यूरेशिया का टफ्टेड डक, रेड पोचार्ड यूरोप और सेंट्रल एशिया से जुड़ा है। एसके महतो कहते हैं कि ये बर्ड खाना और प्रजनन के लिए माइग्रेट करते हैं। इनके स्थान बदलने से मौसम परिवर्तन की भी जानकारी मिलती है।

मौसम बदलते ही खाने के तलाश में पक्षी उडक़र दूसरी जगह चले जाते हैं। जयंती सरोवर में पिछले तीन साल में 9 प्रजाति के पक्षी देखे गए हैं। इनके अलावा चांडिल, डिमना आदि जगहों पर भी कई प्रजातियों के पक्षी देखने को मिले हैं।

-डॉ एसके महतो, क्यूरेटर, टाटा जू सह मेंबर, स्टेट बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ, झारखंड