बहुत कम आते हैं applications Certificateग लेकर मैरिज को बनाएं legal
आम तौर पर लोग पारंपरिक रीति रिवाज से मैरिज तो कर लेतें हैं लेकिन कभी भी मैरिज का रजिस्ट्रेशन करवाने की जरूरत नहीं समझते हैं। मैरिज रजिस्ट्रेशन करवाना केवल आपकी जिम्मेदारी ही नहीं बल्कि एक फायदे का सौदा भी है। सेंट्रल कैबिनेट के द्वारा मैरिज रजिस्ट्रेशन
को मैंडेटरी किये जाने के बाद से मैरिज सर्टिफिकेट कई जगहों पर डॉक्यूमेंट के तौर पर मांगा जाता है।
बहुत कम आते हैं applications
सेंट्रल कैबिनेट ने लॉ मिनिस्ट्री के उस ऑर्डर पर मंजूरी की मुहर लगा दी है, जिसमें मैरिज रजिस्ट्रेशन मैंडेटरी करने की बात कही गई है। इस ऑर्डर के अकॉर्डिंग अगर किसी कपल के पास मैरिज सर्टिफिकेट नहीं है, तो उसकी शादी को लीगल नहीं माना जाएगा। एडवोकेट देवेंद्र सिंह ने बताया कि पहले डाइवोर्स जैसे केसेज में गवाहों के दम पर केस जीत लिये जाते थे, पर अब मैरिज सर्टिफिकेट की डिमांड की जाती है। सर्टिफिकेट ही सुनवाई का आधार होता है।
खर्चा 7.5 रुपए फिर भी नहीं applicants
बात गंभीर भी है और हास्यास्पद भी। जी हां मैरिज रजिस्ट्रेशन बनवाने में कुल 7.5 रुपए का खर्च आता है, और तो और इसके लिए आपको ज्यादा दौड़-भाग करने की भी जरूरत नहीं है। पर इन सब बातों के बावजूद भी लोग मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने से जी चुराते हैं। रजिस्ट्रार अशोक कुमार सिंह ने बताया कि मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आपको केवल दो बार ही मैरिज रजिस्ट्रार ऑफिस आना पड़ता है। एक बार अप्लीकेशन देने और दूसरी बार सर्टिफिकेट लेने के लिए।
रेसियो 25 परसेंट फिर भी स्टेट में सेकेंड अव्वल
सिर्फ सिटी ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड में मैरिज रजिस्ट्रेशन को लेकर लोगों को अवेयरनेस लेवल काफी कम है। स्टेट में मैरिज रजिस्ट्रेशन को लेकर गिरे हुए ग्राफ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिटी में केवल 25 परसेंट न्यूलीवेड कपल्स ही वक्त रहते मैरिज रजिस्ट्रेशन करवाते हैं, इसके बावजूद जमशेदपुर सिटी स्टेट में मैरिज रजिस्ट्रेशन को लेकर दूसरे नंबर पर काबिज है। जबकि पहले नंबर पर सिटी की कैपिटल रांची है। मैरिज रजिस्ट्रार अशोक कुमार सिंह ने बताया कि सेक्शन 15 के अकॉर्डिंग चाहे न्यूलीवेड हो या फिर अर्लीवेड, उसे मैरिज सर्टिफिकेट लेना जरूरी है।
क्यों नहीं बनवाते marriage certificate
मैरिज रजिस्ट्रार अशोक कुमार सिंह का कहना है कि दरअसल मैरिज सर्टिफिकेट को किसी आईडी प्रूफ के तौर पर काउंट नहीं किया जाता है और तो और गिनी-चुनी जगहों पर ही मैरिज सर्टिफिकेट की डिमांड की जाती है। ऐसे में लोग मैरिज सर्टिफिकेट को बनवाना उतना जरूरी नहीं समझते। उन्होंने बताया कि एक बड़ी प्रॉलम ये भी है कि मैरिज रजिस्ट्रेशन बनवाने को लेकर कोई मैक्सिमम ड्यूरेशन फिक्स नहीं है। कोई कितने दिन बाद भी चाहे मैरिज सर्टिफिकेट बनवा सकता है। कई लोग तो 20-25 साल बाद मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आते हैं। मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने के लिए कुछ ड्यूरेशन फिक्स होनी चाहिए।
क्या है process
स्पेशल मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज रजिस्ट्रेशन रूल्स अलग-अलग हैं। अगर आपकी शादी हिंदू मैरिज रजिस्ट्रेशन रूल्स के तहत हुई है और आपको मैरिज सर्टिफिकेट बनवाना है, तो इसके लिए आपको आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ, एज प्रूफ और चार फोटोज लेकर मैरिज रजिस्ट्रार ऑफिस आना होगा। यहां पर महज साढ़े सात रुपए फीस जमा की जाती है। इसके बाद 30 दिनों के लिए आपको मैरिज सर्टिफिकेट हैंडओवर कर दिया जाता है। स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी कोर्ट में होती है। इसके लिए दो लोग एडीएम सिटी के पास अप्लीकेशन देते हैं। इसके बाद लोकल
थाने के द्वारा दोनों ही पक्षों की इंक्वायरी होती है। इस दौरान 35 दिन का समय नो ऑजेक्शन के लिए दिया जाता है। ऑजेक्शन न होने की स्थिति में ही शादी कराई जाती है और शादी के साथ ही मैरिज सर्टिफिकेट प्रोवाइड कर दी जाती है।
मैरिज सर्टिफिकेट आपकी शादी को लीगल बनाता है। यह कई जगहों पर काम आता है। शादी के बाद जल्द ही ये सर्टिफिकेट बनवा लेना चाहिए, ताकि ऐन मौके पर आपको इसके लिए दौडऩा न पड़े।
-अशोक कुमार सिंह,
सब रजिस्ट्रार, जमशेदपुर
Report by : rajnish.tiwari@inext.co.in