JAMSHEDPUR : टाटा मोटर्स की तर्ज पर टाटा स्टील में भी लीव बैंक बनेगा। कंपनी प्रबंधन और टाटा वर्कर्स यूनियन के संयुक्त प्रयास से इस दिशा में कवायद शुरू हो गई है। टाटा स्टील में ग्रेड रिवीजन पहली जनवरी 2018 से लंबित है। विश्वस्त सूत्रों की माने तो नए वेतन समझौते के साथ ही कंपनी में लीव बैक अस्तित्व में आ जाएगा। टाटा स्टील में कार्यरत सभी कर्मचारी इस बैंक में अपनी एक-एक छुट्टी दान करेंगे। इससे जमा होने वाली छुट्टियों को बीमार चल रहे वैसे कर्मचारियों को मदद मिलेगी। जिनकी छुट्टियां खत्म होने के बाद कंपनी से वेतन मिलना बंद हो गया है। जिसके कारण कर्मचारी और उनका परिवार आर्थिक संकट में हैं।
कमिटी का जल्द गठन
हालांकि वर्तमान में ऐसे कर्मचारियों को टाटा वर्कर्स यूनियन द्वारा संबधित कर्मचारी को ठीक होने तक प्रतिमाह दस दिन का बेसिक व डीए का भुगतान यूनियन कोष से दिया जाता है, लेकिन लीव बैंक अस्तित्व में आने से यूनियन पर पड़ने वाला आर्थिक दबाव खत्म हो जाएगा। हालांकि बीमार कर्मचारी को लीव बैंक से कितनी छुट्टियां मिलेंगी। इसे तय करने के लिए लीव कमेटी का भी गठन होगा। टाटा मोटर्स, जमशेदपुर प्लांट में पहली जनवरी 2019 से लीव बैंक अस्तित्व में आ चुका है।
छुट्टियां नहीं होंगी लैप्स
टाटा स्टील में कार्यरत सभी कर्मचारियों की छुट्टियां एक समय के बाद लैप्स हो जाती हैं, लेकिन इस बैंक की खासियत होगी कि इसमें जमा छुट्टियां लैप्स नहीं होंगी। जब संबधित कर्मचारी स्वस्थ होकर नियमित ड्यूटी शुरू करेगा तो उसे लीव बैंक से कर्ज के तौर पर ली गई छुट्टियों को बिना किसी ब्याज या सूद के वापस करनी होगी।
सहयोग राशि बढ़कर होगी 50 रुपये
टाटा स्टील में जब किसी कर्मचारी की कंपनी के अंदर किसी दुर्घटना में या कंपनी से बाहर भी स्वभाविक मौत होती है तो हर एक कर्मचारी सहयोग राशि के रूप में संबधित परिवार को 30 रुपये की आर्थिक मदद देता है। कमेटी मेंबरों में चर्चा है कि उक्त राशि को बढ़ाकर 50 रुपये किया जा रहा है क्योंकि 30 रुपये से लगभग चार लाख रुपये ही जमा होते हैं। सहयोग राशि में बढ़ोतरी होने से पीडि़त परिवार को एक बड़ी राशि मिलने से उनकी बहुत मदद हो जाएगी। क