जमशेदपुर : एक्सएलआरआई जेवियर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के पूर्व निदेशक फादर ई। अब्राहम एसजे का अंतिम संस्कार मानगो के जीसु भवन कैंपस के जेसुएट कब्रिस्तान में शुक्रवार को हो गया। मौके पर जमशेदपुर जेसुएट प्रो¨वस के कई फादर, ब्रदर, सिस्टरस के अलावा अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। सारे कार्यक्रम कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए किया गया। अंतिम संस्कार के कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण जूम व यू-ट्यूब पर किया गया। इस कारण देश-विदेश के लोगों ने भी प्रख्यात शिक्षाविद फादर ई अब्राहम को श्रद्धासुमन अर्पित किया। साथ ही शोक संवेदना प्रकट की। बता दें कि उनका निधन 14 जुलाई को भुवनेश्वर में हो गया था। 15 जुलाई को शव जमशेदपुर लाया गया था। फादर अगस्टीन ने बताया कि उनकी इच्छानुसार ही जमशेदपुर में उन्हें दफनाया गया। उनका जमशेदपुर से गहरा लगाव था।
कैंपस से शुरू हुई अंतिम यात्रा
शुक्रवार की सुबह अंतिम संस्कार यात्रा एक्सएलआरआइ कैंपस जमशेदपुर से प्रारंभ हुई। यहां सबसे पहले एक्सएलआरइ के शिक्षकों, कर्मियों एवं उनके करीबी दोस्तों ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया। यह कार्य प्रभु हॉल में आयोजित किया गया। जूम के सहारे सभी लोगों ने इस कार्यक्रम को देखा। यहां सारे कार्यक्रम फादर पॉल, फादर डोनाल्ड, फादर सोमी, फादर जेम्स कलापुरा की देखरेख में आयोजित हुए। इसके बाद लोयोला स्कूल में बरियल मास का आयोजन किया गया। इस मास में विधि-विधान से फादर अब्राहिम के पार्थिव शरीर को अंतिम नमन किया गया तथा प्रभु यीशु को इसके लिए धन्यवाद दिया गया। सामूहिक प्रार्थना का आयोजन किया गया। प्रभु यीशु का संदेश संगीत के माध्यम से सुनाया गया। यहां सारे कार्यक्रम रांची से आए आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो, जमशेदपुर डायस के बिशप फादर तेलोस्फोर बिलुंग एवं प्रो¨वशियल फादर जेरी कुटीन्हो की देखरेख में आयोजित किए गए।
सबसे लंबे समय तक रहे निदेशक
यहां फादर अगस्टीन ने फादर इ अब्राहिम की जीवनी से संक्षिप्त परिचय कराया तथा कैसे उन्होंने शिक्षा अर्जित की.च्उच्च शिक्षा के विकास के लिए कार्य किया। उन्होंने कहा कि 70 वर्षीय फादर अब्राहम एक्सएलआरआई (पीजीडीपीएमआईआर-1978) के पूर्व छात्र भी थे। फादर अब्राहम एक्सएलआरआई के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले निदेशक थे। निदेशक के रूप में उनका कुल कार्यकाल 1989 से 1994 और 2008 से 2019 तक का था। फादर अब्राहम भारत के प्रबंधन शिक्षाविदों में शीर्ष व्यक्तित्व थे। उन्हें अकादमिक शासन में एक प्रख्यात विचारक के रूप में माना जाता था, जिन्होंने भारत में प्रबंधन शिक्षा में अत्यधिक योगदान दिया है। वे नेशनल एचआरडी नेटवर्क के संस्थापक-सचिव और इंडियन एसोसिएशन ऑफ ऑटोनॉमस बिजनेस स्कूलों के संस्थापक-अध्यक्ष थे।