छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : कोल्हान विश्वविद्यालय वोकेशनल सेल की बैठक प्रोफेसर डॉ। शुक्ला माहांती की अध्यक्षता में आयोजित हुई। बैठक में अनुपस्थित रहने वाले वर्कर्स कॉलेज जमशेदपुर, काशी साहू कॉलेज सरायकेला के प्राचार्य व वोकेशनल कोर्डिनेटर के अनुपस्थित रहने के कारण बजट को लंबित रख दिया गया। कुलपति ने दोनों कॉलेज के प्राचार्य को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।
तीन कोर्सेज को फंड
बैठक में टाटा कॉलेज चाईबासा, महिला कॉलेज चाईबासा, को-ऑपरेटिव कॉलेज, गेजुएट कॉलेज, बहरागोड़ा कॉलेज, जेएनएल कॉलेज चक्रधरपुर के कुल बजट 5 करोड़ 30 लाख की स्वीकृति प्रदान कर दी गई। बैठक में रजिस्ट्रार डॉ। एसएन सिंह, वित्त सलाहकार मधुसूदन, वित्त पदाधिकारी सुधांशु कुमार, प्रॉक्टर डॉ। एके झा, वोकेशनल कोर्डिनेटर डॉ। संजीव आनंद, मंगलेश्वर भगत के साथ-साथ विभिन्न कॉलेज के प्राचार्य उपस्थित थे।
वीमेंस कॉलेज का बजट पेंडिंग
वीमेंस कॉलेज का जमशेदपुर के बजट को लंबित रखा गया। वीमेंस यूनिवर्सिटी के कारण कॉलेज के बजट को फिलहाल स्थगित रखा गया है। वीमेंस यूनिवर्सिटी के शिलान्यास कार्यक्रम के बाद इस बजट की समीक्षा की जायेगी।
किस कॉलेज का कितना बजट
कोर्स बीएड
1. महिला कॉलेज चाईबासा - 80.52 लाख
2. ग्रेजुएट कॉलेज - 75. 45 लाख
3. को-ऑपरेटिव कॉलेज - 74. 60 लाख
4. बहरागोड़ा कॉलेज - 82.90 लाख
5. विश्वविद्यालय - 32. 30 लाख
कोर्स : बीसीए
1. टाटा कॉलेज चाईबासा - 16.40 लाख
2. महिला कॉलेज चाईबासा - 9.33 लाख
3. जेएलएन कॉलेज चक्रधरपुर - 4. 31 लाख
4. ग्रेजुएट कॉलेज - 9.90 लाख
5. को-ऑपरेटिव कॉलेज - 82.08 लाख
कोर्स : बीएससी आइटी
1. जेएलएन कॉलेज चक्रधरपुर - 4.31 लाख
2. को-ऑपरेटिव कॉलेज - 41. 09 लाख
कोर्स : बीबीए
1. को-ऑपरेटिव कॉलेज - 45 लाख
2. पीजी डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स एंड बिजनेस मैंनेजमेंट - 6. 05 लाख
समस्याओं का नहीं हो रहा समाधान
इधर, कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा के सीनेट हॉल में छात्र संघ के प्रतिनिधियों के साथ शुक्रवार को बैठक हुई। इसकी अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर डॉ। शुक्ला माहांती ने की। विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों की बातों को सुनने के बाद छात्र संघ के प्रतिनिधि सुबोध महाकुड़ ने कहा कि कॉलेजों में समस्याओं का अंबार लगा हुआ, फिर भी निरीक्षण में पदाधिकारियों को कुछ नहीं मिलता। विश्वविद्यालय कहता है कि कॉलेज में शिक्षक हैं, पर कॉलेज के प्राचार्य बतातें है कि उनके यहां शिक्षकों की कमी है।