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JAMSHEDPUR: सोनारी निवासी लक्ष्मी दास 47 शहर की महिलाओं के विकास और बाल कल्याण के लिए अभूतपूर्व काम कर आदर्श स्थापित किया है। लक्ष्मी दास सोनारी स्थित आदर्श सेवा संस्थान में बाल कल्याण समिति की सदस्य के रूम में काम कर रही हैं। उन्होंने अरबन डेवलपमेंट के क्षेत्र में काम कर प्रदेश के आधा दर्जन जिलों के 100 से ज्यादा स्लम बस्तियों को साफ बनाया है। महिला अधिकारों के लिए सदैव तत्पर रहने के कारण 2016 में भारत सरकार ने उन्हें संयुक्त राष्ट्रसंघ अमेरिका में महिला कल्याण कार्यक्रम के लिए भेजा। जहां पर उन्होंने अनवेट मदर की समस्याओं का जिक्र कर संयुक्त राष्ट्र संघ में इस समस्या को प्रबलता से उठाया। एक मध्यम वर्गीय परिवार में पली बढ़ी लक्ष्मी की शिक्षा बिष्टुपुर स्थित वूमेंस कॉलेज में हुई।
1996 में हुई थी शादी
लक्ष्मी दास बताती हैं कि उनका विवाह 1996 में सोनारी स्थित पॉल्ट्री फार्म कारोबारी शंकर सरकार के साथ हुई थी। 1999 में कारोबार की दुश्मनी के चलते दो लोगों ने पति के सिर पर हमला किया जिससे उनकी मौत हो गई। उस समय उन्हें एक बेटा और एक बेटी थी। पति की हत्या के सदमे से बाहर निकलने और हत्यारों को सजा दिलाने के लिए उन्होंने पौढ़ शिक्षा के माध्यम से लोगों को शिक्षा देने का काम शुरू किया। जीवन से हार न मानते हुए लक्ष्मी दास ने न सिर्फ पति के हत्यारों को सजा दिलाई, बल्कि आदर्श सेवा संस्थान से जुड़कर महिलाओं और उनके बच्चों के विकास के लिए ही अपना जीवन न्योछावर कर दिया। लगभग 20 साल से लक्ष्मी दास बाल विकास और महिलाओं की हमदर्द बनकर उनकी सहायता कर रही हैं। लक्ष्मी दास कहती हैं कि वो साइकोलॉजी के माध्यम से लोगों की समस्याओं के बारे में जानना चाहती हैं।
अनवेट मदर के बच्चों को दी शरण
लक्ष्मी बताती हैं कि आज भी आदिवासी इलाकों में महिलाओं के सामने अनवेट मदर बनने की सबसे बड़ी समस्या है। ऐसी महिलाओं से कोई शादी नहीं करता है। जिससे अपने जीवन के पालन-पोषण के लिए उन्हें खुद ही काम करना होता है। काम करने के दौरान अपने छोटे बच्चों को साथ लेकर काम करने में भारी दिक्कत को देखकर संस्थान ने ऐसी अनवेट मदर के बच्चों को पालने की व्यवस्था की जिनकी मां काम करती हैं। वहां बच्चों को पालन पोषण और उनको शिक्षित किया जा रहा है।
आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में चल रहा प्रोग्राम
स्लम बस्तियों में साफ-सफाई के लिए लक्ष्मी प्रदेश के छह जिलों में काम कर रही हैं। प्रदेश के जमशेदपुर, रांची, धनबाद, बोकारो, चाईबासा और हजारीबाग में 100 से ज्यादा स्लम बस्तियों की साफ-सफाई का काम किया। इसके बाद चाइल्ड लाइन की स्थापना की गई, जहां पांच सौ बच्चों को शरण दी जा रही हैं। फिलहाल उनका बेटा देवाशीष सरकार कोलकाता स्थित आईईएम से बीटेक और बेटी देवश्री सरकार बीकाम की पढ़ाई कर रहे हैं।