छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ। नितिन मदन कुलकर्णी गुरुवार को खासमहल स्थित सदर अस्पताल पहुंचे तो अफरा-तफरी मच गई। 2.45 बजे वह सदर अस्पताल पहुंचे। सबसे पहले उनकी नजर मुख्य गेट पर लगे आयुष्मान भारत के स्टॉल पर पड़ी। इस स्टॉल पर कोई भी कर्मचारी मौजूद नहीं था। इसके बाद अंदर आयुष्मान भारत काउंटर पर पहुंचे। जहां पर मरीजों की संख्या देखकर असंतुष्ट दिखे। उन्होंने आयुष्मान भारत योजना का लाभ अधिक से अधिक मरीजों को देने की बात कहीं। सचिव ने पूछा कि अस्पताल में कितने मरीज भर्ती है। जवाब मिला कि 70 से 80. इसमें एक-दो मरीज ही आयुष्मान से जुड़े थे।

डे केयर का जायजा

इसके बाद डे केयर सेंटर पहुंचे। इस सेंटर को बेहतर ढंग से सजावट करने को कहा। सचिव ने रांची डे केयर की की सराहना करते हुए कहा कि यहां पर आने वाले हर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान होनी चाहिए। सचिव ने सदर अस्पताल की सराहना की। कहा कि यहां पर सबकुछ व्यवस्थित ढंग से है। हालांकि, डॉक्टरों की कमी जरूर है। इसके लिए जिला स्तर पर डॉक्टरों की बहाली करने का निर्देश दिया गया है। विभाग ने दो डॉक्टरों की नियुक्त सदर अस्पताल में की थी लेकिन वह अबतक योगदान नहीं दे सके हैं। सचिव ने सदर अस्पताल में जो खामियां है उसे 15 जनवरी तक दूर करने का निर्देश दिया है।

क्यों छुपा रखीं है कंडम गाडि़यां

सचिव डीइआइसी (जिला तत्काल रोकथाम केंद्र) पहुंचे तो बंद मिला। इस दौरान एक मरीज के परिजन ने सचिव से शिकायत किया कि सर, पांच दिन से केंद्र बंद है। मरीज आकर लौट रहे हैं। सचिव ने इसे गंभीरता से लिया। इसके बाद वह आयुष विभाग के ओपीडी देखना चाहते थे। लेकिन वह बंद मिला। इस दौरान उन्होंने पूछा कि आयुष पदाधिकारी कौन है, इसका जवाब उन्हें नहीं मिल सका। ब्लड बैंक के पास पहुंचे तो वह भी बंद था। इस दौरान उनकी नजर कंडम एंबुलेंस पर पड़ गई। इसे देखते हुए उन्होंने कहा कि क्यों छुपा रखें हो कंडम गाडि़यां। इसे तत्काल निष्पादन करें। करीब पांच मिनट तक वह ब्लड बैंक के बाहर खड़े रहे। ताला खुलने के बाद वह अंदर गए और देखा। इसके बाद उन्होंने जल्द से जल्द शुरू करने का निर्देश दिया।

जो दवा केंद्र पर मौजूद है उसे नहीं खरीदे

सचिव ने सदर अस्पताल व जन औषधि केंद्र को समन्वय के साथ काम करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि बहुत एसी दवा अस्पताल में मौजूद नहीं होती है। वैसी दवाओं की सूची जन औषधि केंद्र में होनी चाहिए। ताकि मरीजों को आसानी से मिल सके और केंद्र का कारोबार भी बढ़ सके। सदर अस्पताल की जन औषधि केंद्र को संचालित करने में प्रतिमाह करीब तीस हजार रुपये खर्च है और दवा 400-500 रुपये का ही बिकता है।

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