जमशेदपुर (ब्यूरो): स्थानीय लोगों का कहना है कि सोनारी के दोमुहानी में जमशेदपुर नोटिफाइड एरिया कमिटी (जेएनएसी) की ओर से वर्षों से कचरा फेंका जा रहा है। इससे यहां कचरे का पहाड़ बन गया है। इस क्षेत्र में 50 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं और कचरों के अंबार के कारण उन्हें काफी परेशानी भी हो रही है, लेकिन इसकी परवाह किसी को नहीं है। वर्तमान में मरीन ड्राइव के किनारे के क्षेत्र को डेवलप किया जा रहा है और वहां बड़े-बड़े अपार्टमेंट और कॉम्प्लेक्स भी बन चुके हैं और नए बन रहे हैं, लेकिन कचरे का यह पहाड़ क्षेत्र की खूबसूरती को नष्ट करने के साथ ही वहां प्रदूषण की संभावना को भी प्रबल कर रहा है।
नहीं हुआ कोई समाधान
स्थानीय लोगों का कहना है कि कचरा के सडऩे के बाद दुर्गंध से लोगों का रहना दूभर हो गया है। लोगों द्वारा कई बार ज्ञापन सौपकर वहां कचरा डंप नहीं करने की मांग की गई है, लेकिन अधिकारियों ने एक नहीं सुनी। जगह का अभाव बताकर कचरा डंप करने का कार्य जारी है। यही नहीं अभी तक वैकल्पिक कदम भी नहीं उठाया गया है। वर्तमान में कोरोना के नए वेरिएंट के आने की आशंका बनी हुई है। एक तरफ कोरोना प्रोटोकॉल पालन करने की बात की जाती है, वहीं दूसरी तरफ कचरे का जमाव, वह भी जनसंख्या के घनत्व वाले स्थल में होना गंभीर स्थिति की ओर इशारा कर रहा है।
जेएनएसी द्वारा सोनारी में दोमुहानी के पास कचरा फेंकने से यहां कचरे का पहाड़ बन गया है। इससे आसपास के लोगों का जीना मुश्किल हो रहा है। दोमुहानी दो नदियों का संगम और पवित्र स्थल है, वहीं बगल में कचरे का अंबार, अत्यंत चिंताजनक एवं निंदनीय है। बार-बार मांग करने के बावजूद कार्रवाई न होना भी सवाल खड़े कर रहा है।
दुखु मछुआ, संरक्षक, जमशेदपुर महानगर बस्ती कल्याण समिति
गंदगी और दुर्गंध से जीना दूभर हो गया है। जेएनएसी एवं जिला प्रशासन को कई बार आवेदन दिया गया, लेकिन कोई कदम नहीं उठाए जाने के कारण स्थानीय लोगों का जीवन जानवरों जैसा हो गया है। कचरे का जमाव और कोरोना के नए वेरिएंट की आशंका से हम डरे हुए-सहमे जीने को मजबूर हैं।
दुर्गा मार्डी, स्थानीय निवासी
आसपास घनी आबादी है, लेकिन कचरे के कारण सभी को बीमारी की आशंका बनी रहती है। इसके समाधान के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया जा रहा है। अगर समस्या का समाधान के लिए कोई कदम जल्द ही नहीं उठाया जाएगा तो स्थिति गंभीर हो जाएगी।
मालती मछुआ, स्थानीय निवासी
गंदगी के कारण दुर्गंध से हमें काफी परेशानी होती है। घर के अंदर भी रहना मुश्किल हो रहा है। बच्चों और बुजुर्गों को दुर्गंध से सांस लेने में काफी तकलीफ होती है। मरे हुए जानवरों को भी कचरा जमाव कारण यहीं फेंक दिया जाता है। कुत्ते मृत जानवरों को खाकर पागल सा हो जाते हैं और रात को लोगों पर भी हमला करते हैं। इस तरह की घटना एक-दो बार हो चुकी है।
चुनाराम बास्के, स्थानीय निवासी
घनी आबादी वाले क्षेत्र में कूड़ा फेंकना प्रशासनिक अधिकारियों और सरकार की लापरवाही है, जो यह दिखाता है कि सरकार को जनहित से कोई सरोकार नहीं है। क्षेत्रीय लोगों के विरोध के बावजूद इस तरह की मनमानी अत्यंत चिंताजनक है।
यशोदा बाई, स्थानीय निवासी