जमशेदपुर : एक्सएलआरआई-जेवियर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के एक्स डायरेक्टर फादर ई। अब्राहम एसजे का बुधवार की सुबह एक्सआइएम भुवनेश्वर में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। करीब 70 वर्षीय फादर अब्राहम एक्सएलआरआई (पीजीडीपीएमआईआर-1978) के पूर्व छात्र भी थे। फादर अब्राहम एक्सएलआरआई के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले निदेशक थे। निदेशक के रूप में उनका कुल कार्यकाल 1989 से 1994 और 2008 से 2019 तक करीब 16 वर्ष का था।
कई बोर्ड में सदस्य रहे
उनका अंतिम संस्कार 16 जुलाई को जमशेदपुर में किया जाएगा।
फादर अब्राहम की देश के जाने-माने मैनेजमेंट गुरु व एजुकेशनलिस्ट के रूप में पहचान थी। उन्हें अकादमिक शासन में एक प्रख्यात विचारक के रूप में माना जाता था, जिन्होंने भारत में प्रबंधन शिक्षा में अत्यधिक योगदान दिया है। वे नेशनल एचआरडी नेटवर्क के संस्थापक-सचिव और इंडियन एसोसिएशन ऑफ ऑटोनॉमस बिजनेस स्कूलों के संस्थापक-अध्यक्ष थे। वे इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ जेसुइट बिजनेस स्कूल्स और एसोसिएशन ऑफ एशिया पैसिफिक बिजनेस स्कूल बोर्ड में भी थे। वे एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैनेजमेंट स्कूल्स के अध्यक्ष रहे और आइआरएमए में बोर्ड के सदस्य थे। वे राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) के सदस्य और अखिल भारतीय प्रबंधन अध्ययन बोर्ड के सदस्य भी रहे।
मिले हैं कई पुरस्कार
फादर अब्राहम ने एक्सएलआरआई जमशेदपुर, सेंट जेवियर यूनिवर्सिटी कोलकाता, सेंट जेवियर यूनिवर्सिटी भुवनेश्वर और एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, मनीला जैसे कई भारतीय और विदेशी बिजनेस स्कूलों में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य के रूप में कार्य किया। प्रबंधन शिक्षा में उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं।
मानगो के तरणजीत का हुआ अंतिम संस्कार
फिलीपींस के मनीला में अज्ञात हमलावरों द्वारा रविवार को मारे गए मानगो गुरुद्वारा रोड निवासी तरणजीत सिंह के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार बुधवार को मनीला में धार्मिक रस्मो-रिवाज के साथ कर दिया गया। इससे पहले उसकी मां जसवीर कौर और स्वजनों की इच्छानुसार उसे दूल्हे की तरह सजाया गया था। सिर पर सेहरा सजाया गया था। कलाई पर धागे बांधे गए थे। जमशेदपुर में उसके ननिहाल में नाना गुरदयाल सिंह, मामा गुरदीप सिंह पप्पू, मां जसवीर कौर और सभी रिश्तेदारों ने दूल्हे की तरह सजाने से लेकर अंतिम संस्कार को मोबाइल पर आनलाइन देखा, जहां जरूरत होने पर तरणजीत सिंह के छोटे मामा कुलदीप सिंह को मनीला में निर्देश देते रहे।