जमशेदपुर(ब्यूरो)। हमेशा चर्चा में रहने वाले एमजीएम अस्पताल का एक और जबरदस्त कारनामा सामने आया है। इस बार तो यहां के डॉक्टर्स ने हद ही कर दी है। डॉक्टरों ने पिता का डेथ सर्टिफिकेट बनाने के बजाय बेटे का ही डेथ सर्टिफिकेट तैयार कर दिया है। डॉक्टरों की इस लापरवाही ने एक बार फिर से एमजीएम अस्पताल की सक्रियता की पोल तो खोल ही दी है, लेकिन इससे एक परिवार की परेशानी भी बढ़ गई है। अब कागजात में मृत घोषित संदीप तंतुबाई खुद को जीवित साबित करने के लिए अधिकारियों तक दौड़ लगा रहा है वहीं दूसरी ओर उसे पिता की मृत्यु पर मिलने वाले मुआवजे से भी वंचित होना पड़ रहा है।
17 नवंबर को हुई थी मौत
संदीप ने बताया कि उसके पिता का नाम गणेश तंतुबाई है। उसके पिता गणेश विगत 17 नवंबर को सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे। सभी उन्हें इलाज के लिए लेकर अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
क्या है मामला
कागजात के मुताबिक गणेश नहीं संदीप को मृत अवस्था में ले जाया गया था अस्पताल। इस स्थिति में डॉक्टरों द्वारा पेपर तैयार किया जाता है और उस पेपर पर यह स्थिति का ब्योरा दिया जाता है। संदीप को जो पेपर दिया गया, उसपर ब्राउट डेड लिखा हुआ है और उस कागज पर पिता की जगह संदीप का ही नाम लिखा हुआ है। कहने का तात्पर्य यह है कि उस कागजात के मुताबिक संदीप के पिता गणेश को नहीं बल्कि संदीप को ही मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया था। एमजीएम अस्पताल के चिकित्सकों ने अपने इस कारनामे से पिता गणेश तंतुबाई की जगह पुत्र संदीप तंतुबाई को ही मृत घोषित कर दिया।
पिता का बनाएं डेथ सर्टिफिकेट
संदीप ने कहा कि वह जीवित है और कागजातों में सुधार के लिए पिछले एक महीने से एमजीएम अस्पताल के चक्कर काट रहा है। इस संबंध में उसने अस्पताल अधीक्षक को पत्र लिखकर खुद को जीवित बताते हुए पिता के नाम पर सर्टिफिकेट बनाने की गुहार लगाई है।
पोस्टमार्टम किया पिता का डेथ सर्टिफिकेट बेटे का
यहां एक अहम सवाल यह भी उठता है कि पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर को यह कैसे पता नहीं चला कि वह बुजुर्ग है या युवा, क्योंकि उन्होंने 52 साल के बुजुर्ग गणेश तंतुबाई का पोस्टमार्टम किया और डेथ सर्टिफिकेट बना दिया 22 साल के संदीप तंतुबाई का। इससे यह भी साबित होता है, कि पोस्टमार्टम हाउस में भी केवल खानापूर्ति ही की जाती है। मृतक की सही तरीके से जांच नहीं की जाती।मुझे आज शाम इस मामले की जानकारी मिली है। पेपर पर ब्राउट डेड लिखा गया है। आखिर ऐसा कैसे और किस परिस्थिति में हुआ, इसकी जांच की जा रही है।
-रविंद्र कुमार, अधीक्षक, एमजीएम अस्पताल, जमशेदपुर