जमशेदपुर (ब्यूरो) : सरायकेला-खरसावां जिला के गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत मोहनपुर स्थित अरका जैन विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में सोमवार को 1800 विद्यार्थियों के बीच डिग्री का वितरण किया गया। इस दौरान 31 टॉपर्स को गोल्ड मेडल प्रदान किया गया। दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर राज्यपाल रमेश बैस शामिल हुए। दीक्षांत समारोह में
राज्यपाल ने विद्यार्थियों के बीच 31 गोल्ड मेडल बांटे। इसके अलावा 4 पीएचडी स्कॉलर छात्रों को डॉक्टरेट की उपाधि दी गई। इस दौरान कुल 1800 छात्र-छात्राओं के बीच डिग्री सर्टिफिकेट बांटे गए। दीक्षांत समारोह में जमशेदपुर सांसद विद्युत वरण महतो, पश्चिम सिंहभूम सांसद गीता कोड़ा, अरका जैन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एसएस रजी सहित अन्य मौजूद थे।
विकसित राज्य बने झारखंड
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि झारखंड प्राकृतिक संपदा संपन्न राज्य है और इसे देश के विकसित राज्यों की सूची में लाने की दिशा में सोचना होगा। छात्रों की ओर मुखातिब होते हुए राज्यपाल ने कहा कि उन्हें रोजगार लेने की बजाय रोजगार देने की सोच पैदा करनी होगी। शिक्षण संस्थानों की भूमिका पर कहा कि उनका कार्य केवल डिग्री बांटने तक नहीं बल्कि जीवन में प्रतिभा पैदा करने की ललक दिखाने और व्यक्तित्व विकास पर जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य के शिक्षण संस्थानों में विद्या का बेहतर वातावरण बने, इसका प्रयास हो रहा है।
खुद साबित करना होगा
उन्होंने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों के प्रति लोग सशंकित रहते हैं। लोगों में विश्वास पैदा करने के लिए निजी विश्वविद्यालयों को खुद को साबित करना होगा, ताकि विद्यार्थी एक सामाजिक और सुसंस्कृत नागरिक के रूप मे विकसित हो सकें, उनमें मातृभूमि के प्रति प्रेम की भावना हो, युवाओं में रचनात्मक भूमिका पर कार्य हो और यह सब यानी युवाओं को सही दिशा देने का कार्य शिक्षण संस्थानों पर ही है।
क्वालिटी एजुकेशन पर दें ध्यान
राज्य में शिक्षा व्यवस्था के मुद्दे पर राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत समारोह के लिए विद्यार्थी इंतजार करते हैं, जिनको मिल रहा है, वे काफी खुश होते हैं, लेकिन क्वांटिटी नहीं क्वालिटी एजुकेशन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अक्सर सुनने में आता है कि प्राइवेट यूनिवर्सिटी में क्लास नहीं होते, केवल डिग्री बंट जाती है। इस तरह की कई शिकायत मिलती रहती हैं। कहा कि जब से वे आए हैं, यहां की शिक्षा व्यवस्था की कमियों को दूर कर स्टैंडर्ड को सुधारने की दिशा में काम चल रहा है, ताकि विद्यार्थी बाहर न जाएं।
उनके आने से हुई नियुक्तियां
शिक्षकों की कमी की समस्या पर राज्यपाल ने कहा कि जब वे यहां आए, उस वक्त 42 कॉलेजों में प्राचार्य नहीं थे। रजिस्ट्रार और एग्जाम कंट्रोलर नहीं थे। एक्टिंग कुलपति के जरिए केवल 25 प्रतिशत पदों पर काम हो रहा था। राज्यपाल ने कहा कि उनके आने तक जेपीएससी में सदस्य नहीं थे। फिर नियुक्ति हुई। उन्होंने कहा कि उनके आने के बाद से अब तक 400 से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति की गई हैं। कहा कि शिक्षा कि दिशा में आगे और बेहतरी के काम होते रहेंगे।