JAMSHEDPUR: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आई नेक्स्ट ने आजादी के दीवानों की तलाश की। इनका जुनून ऐसा है कि इसके लिए किसी भी हद तक लड़ाई लड़ सकते हैं। क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों से लड़ कर देश को आजादी दिलाई थी और ये दीवाने खराब सिस्टम के खिलाफ लड़ कर लोगों को न्याय दिला रहे हैं। आई नेक्स्ट इस इंडिपेंडेंस डे पर ऐसे ही दो आजादी के दीवानों के बारे में बता रहा है, जिन्होंने एक पूरे सिस्टम के खिलाफ अकेले जंग की शुरुआत की। डॉ उमेश कुमार अशिक्षा और सदन कुमार ठाकुर बाल मजदूरी के खिलाफ छेड़ दी है जंग।
अशिक्षा के खिलाफ लड़ाई
देश को आजाद हुए म्8 साल पूरे हो रहे हैं, मगर एक ऐसा अंधेरा है, जिसने हमें अभी भी गुलामी से उबरने नहीं दिया है। वह है अशिक्षा। अभी भी कई एरिया ऐसे हैं, जहां लोगों के लिए काला अक्षर भैंस बराबर है। उन्हें अब भी गुलामी और आजादी में कोई फर्क नहीं है। ऐसे ही हजारों लोगों को आजादी दिलाने के लिए शहर के डॉ। उमेश कुमार ने एक जंग छेड़ रखी है। बस्ती-बस्ती जाकर न सिर्फ लोगों को एजुकेशन के प्रति अवेयर करते हैं, बल्कि उनके बच्चों का सरकारी ही नहीं बल्कि प्राइवेट और बेहतर से बेहतर स्कूल में दाखिला करा रहे हैं। डॉ। उमेश के पिछले 7 साल के प्रयास से जमशेदपुर में क्08ख् गरीब बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया है। इसके लिए डॉ। उमेश को खराब सिस्टम के खिलाफ न सिर्फ विरोध करना पड़ा, बल्कि अनशन से लेकर लाठियां तक खानी पड़ीं। मगर डॉ। उमेश ने दृढ़ संकल्प कर रखा है कि इस अशिक्षा रूपी गुलामी से इन बच्चों को आजादी दिलानी है। डॉ। उमेश का यह प्रयास लगातार जारी है।
बाल मजदूरी की तोड़ रहे जंजीर
सैलून चलाने वाले सदन कुमार ठाकुर आरटीआई कार्यकर्ता हैं। आरटीआई के बूते उन्होंने कई बाल श्रमिकों का भला किया है। आरटीआई से निकली सूचनाओं के बूते उन्होंने सरकार को ऑपरेशन मुस्कान चलाने पर मजबूर किया। यह आपरेशन मुस्कान जमशेदपुर में भी चल रहा है। इसके तहत पुलिस बाल श्रमिकों को मुक्त करा रही है। सदन ठाकुर बाल श्रमिकों के पुनर्वास के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। सदन बताते हैं कि ताजा जानकारी के अनुसार जिले में क्क् हजार बाल मजदूर हैं और इनमें से सात हजार बंगाल के हैं। श्रम विभाग से सदन को इंसाफ नहीं मिला तो जिनेवा की अंतर्राष्ट्रीय अदालत तक मामला पहुंचाया। समस्तीपुर के रहने वाले सदन कुमार ठाकुर साकची गोलचक्कर पर एक होटल में प्लेट धोने का काम करते थे। वह चाहते हैं कि बाल श्रमिकों को ऐसे काम से दूर रखा जाए और जो बच्चा पैसे की कमी से तालीम से दूर है उसके लिए सरकार कोई योजना चलाए। सदन ठाकुर ने ख्0क्0 में बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान नामक संस्था कायम की। यही नहीं वे राज्य के क्0 जिलों में नाइट स्कूल चलाते हैं, जिनमें बाल श्रमिकों की पढ़ाई होती है। सदन बताते हैं कि उन्होंने अब तक सूचना के अधिकार के तहत फ्म्भ् आवेदन किया। इसमें से ख्97 में उन्हें सूचना मिली। म्8 में अब तक सूचना नहीं मिली है और इसमें उन्होंने ऊपर के अधिकारियों के यहां अपील कर रखी है।