JAMSHEDPUR: महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल की व्यवस्था एक बार फिर से चरमरा गई है। सोमवार से सभी सीनियर रेजीडेंट व ट्यूटर डॉक्टर कलमबंद हड़ताल पर चले गए। इसका असर पहले ही दिन देखने को मिला। ओपीडी से करीब डेढ़ सौ से अधिक मरीजों को बिना इलाज कराए ही लौटना पड़ा। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि सोमवार को भीड़ अधिक होने की वजह से सभी मरीजों को इलाज नहीं मिल सका। उन्हें शाम में दोबारा बुलाया गया है।
मिल रहा सिर्फ आश्वासन
सीनियर रेजीडेंट डॉक्टरों का कहना है कि तीन माह पूर्व एमजीएम सहित धनबाद, हजारीबाग, दुमका, पलामू के मेडिकल कॉलेजों में करीब डेढ़ सौ डॉक्टरों की नियुक्त हुई। तब नियमित वेतन के साथ-साथ बढ़े हुए वेतन देने का आश्वासन उन्हें मिला था। लेकिन पहले माह जब वेतन नहीं मिला तो डॉक्टरों का समूह राज्यपाल सहित स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों से भी मिलकर अपनी समस्या रखीं थी। इसके बावजूद भी तीन माह बीत गए लेकिन उन्हें सिर्फ आज-कल का आश्वासन मिलते रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि 11 नवंबर तक अगर उन्हें बढ़ोतरी व वेतन नहीं मिला तो वे लोग पूरी तरह से हड़ताल पर जाने को मजबूर होंगे। इमरजेंसी सेवा व ऑपरेशन करना भी बंद कर देंगे। एमजीएम में सीनियर रेजीडेंट व ट्यूटर डॉक्टरों की संख्या करीब 40 है।
सिस्टम पर सवाल
डॉक्टरों का कहना है कि जब वे लोग रांची स्थित रिम्स में पढ़ाई कर रहे थे तो उन्हें 80 हजार रुपये मिलता था, लेकिन एमजीएम अस्पताल में सीनियर रेजीडेंट बनाकर भेजा गया तो उन्हें 60 हजार रुपये वेतन मिल रहा है। डॉक्टरों ने राज्य सरकार के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि बिहार, बंगाल सहित अन्य प्रदेशों में सीनियर रेजीडेंट डॉक्टरों का वेतन 80 हजार रुपये से अधिक है।
मरीजों ने काटा बवाल
ओपीडी में मरीजों की लंबी कतार लगी रही। एक बजे दिन के बाद ओपीडी से डॉक्टर उठकर चले गए और मरीजों की लाइन लगी रही। डॉक्टर नहीं मिलने से मरीजों ने हंगामा किया। सबसे अधिक भीड़ मेडिसीन ओपीडी में लगी थी। उसमें सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार के सबसे अधिक मरीज शामिल हैं। मरीज इलाज कराने के लिए दूर-दूर से आए थे।