जमशेदपुर (ब्यूरो): पिछले कुछ वर्षों में डेंगू की गंभीरता में काफी वृद्धि हुई है। जमशेदपुर में तो, लगातार डेंगू के मरीज मिलते रहे हैं। बारिश के मौसम में डेंगू सहित अन्य मच्छर जनित बीमारियों का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। रिसर्च रिपोर्ट कहती है कि भारत में हर साल डेंगू के एक लाख से अधिक मामले सामने आते हैं और देश की लगभग आधी आबादी में डेंगू वायरस के विशिष्ट एंटीबॉडी होते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि डेंगू अब कई नए रूपों में सामने आने लगा है। भारत में डेंगू के उपचार के लिए कोई स्वीकृत टीके भी नहीं हैं।
डेंगू के प्रकार
डेंगू वायरस की श्रेणियां सीरोटाइप डेन वी 1, 2, 3 और 4 हैं.शोधकर्ताओं के मुताबिक साल 2012 तक भारत में डेंगू 1 और 3 ज्यादा प्रभावी था, लेकिन हाल के वर्षों में स्ट्रेन 2 ज्यादा प्रभावी हो गया है। वहीं सबसे कम संक्रामक माना जाने वाला स्ट्रेन 4 भी अपनी मौजूदगी का अहसास करा रहा है। वैसे शुरुआती इंफेक्शन के बाद मानव शरीर में उत्पन्न एंटीबॉडी लगभग दो-तीन वर्षों तक सभी सेरोटाइप से पूर्ण सुरक्षा प्रदान करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पिछले दो दशक में डेंगू के मामलों में 8 गुणा से ज्यादा की वृद्धि देखने को मिली है।
बरसात में ज्यादा सक्रिय होते हैं डेंगू के मच्छर
डेंगू के मच्छर बारिश के मौसम में ज्यादा एक्टिव होते हैं, हालांकि अन्य मौसम में भी इनका असर रहता है, लेकिन थोड़ा कम दिखाई देता है। हालांकि बारिश के बाद के महीनों जुलाई से अक्टूबर में डेंगू का प्रकोप कुछ ज्यादा ही रहता है। डेंगू मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं। ये मच्छर दिन में, खासकर सुबह काटते हैं।
आम तौर पर 1-2 सप्ताह में ठीक हो जाता है डेंगू
डेंगू से पीडि़त अधिकांश लोगों में हल्के या कोई लक्षण नहीं होते हैं और 1-2 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। कभी-कभी, डेंगू गंभीर हो सकता है और मृत्यु का कारण बन सकता है। यदि लक्षण दिखाई देते हैं, तो वे आमतौर पर संक्रमण के 4-10 दिन बाद शुरू होते हैं और 2-7 दिनों तक चलते हैं।
कैसे फैलती है डेंगू की बीमारी
डेंगू एक वायरल संक्रमण है जो डेंगू वायरस के कारण होता है। यह वायरस संक्रमित मादा मच्छरों से फैलता है। दरअसल जब एडीज एजिप्टटी मच्छर किसी डेंगू संक्रमित व्यक्ति का खून पीती है तो उसमें मौजूद वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है। जिससे डेंगू तेजी से फैलता है। हर साल सही उपचार के बिना डेंगू से देश में कई लोगों की मौत हो जाती है। झारखंड में मच्छर जनित बीमारियां जैसे मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। ये एक प्रकार की बीमारी है जो छोटे बच्चे और वयस्क में तेजी से फैलती है। हल्के बुखार और सिरदर्द, मांसपेशियों और आंख के पीछे दर्द और जोड़ों में दर्द के साथ में शरीर में सफेद रेशे दिखाई देना, सांस लेने में परेशानी के साथ-साथ कई अन्य लक्षण नजर आने पर फौरन डॉक्टर से मिलना चाहिए। ये बीमारी ज्यादातर बरसात के मौसम में फैलती है। इधर, मानसून को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग भी गंभीर है। डेंगू और मच्छर से होने वाली बीमारियों से बचाव के निर्देश दिए गए हैं।
तेजी से गिरता है प्लेटलेट्स
मच्छर उन जगहों पर रखे गए अंडों से निकलते हैं जो पानी से भरे होते हैं। अंडे से कृमि जैसे लार्वा निकलते हैं जो आमतौर पर पानी की सतह के ठीक नीचे रहते हैं, अपने शरीर के अंतिम छोर पर ट्यूब के माध्यम से सांस लेते हैं, और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्म जीवों को खाते हैं। इस प्रकार अधिकतर मच्छरों के लार्वा को सूक्ष्मजीवों के भोजन के रूप में पत्तियों या सीवेज जैसे कार्बनिक पदार्थों से युक्त पानी की जरूरत होती है जिसे विकासशील मच्छरों के लार्वा द्वारा खाया जाएगा। जब डेंगू मच्छर किसी को काट लेता है तो उस व्यक्ति की प्लेटलेट्स तेजी से नीचे गिरने लगते हैं। डेंगू में सबसे पहले हल्का बुखार आता है। उसके लक्षण काफी दिनों बाद और भी बढऩे लगता है। अगर सही समय पर इलाज कराया जाए तो डेंगू को ठीक किया जा सकता है।
डेंगू के लक्षण
तेज बुखार (40एसेंटीग्रेड/104एफॉरेनहाइट)
गंभीर सिरदर्द
आंखों के पीछे दर्द
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
मतली
उल्टी
ग्रंथियों में सूजन
रैशेज
गंभीर डेंगू के लक्षण
हालांकि, जो लोग दूसरी बार संक्रमित होते हैं, उनमें गंभीर डेंगू होने का खतरा ज्यादा होता है। गंभीर डेंगू के लक्षण अक्सर बुखार के चले जाने के बाद दिखाई देते हैं इनमें पेट में तेज दर्द, लगातार उल्टी, सांसों का तेज़ चलना, मसूड़ों या नाक से खून आना, थकान, बेचैनी, उल्टी या मल में खून आना, ज्यादा प्यास लगना, पीली और ठंडी त्वचा और कमजोरी महसूस होना आदि शामिल है। इस स्थिति में जल्द इलाज की जरूरत होती है। डेंगू से ठीक होने के बाद भी कई हफ्तों तक थकान महसूस हो सकती है।
यहां कभी भी डेंगू वायरस आइसोलेट नहीं हुए। इस कारण डेंगू के वेरिएंट का पता नहीं चला। अभी कुछ सैंपल जांच के लिए भेजे जा रहे हैं।
-डॉ। असद, आईडीएसपी