JAMSHEDPUR:
सिदगोड़ा बाजार में गुरुवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से 'मिलेयिल्स स्पीक' के तहत 'राजनीटी' का आयोजन किया गया। इसमें सिदगोड़ा के लोगों ने 'महिला सशक्तिकरण और कानून बनने के बाद भी बढ़ती महिला हिंसा क्या चुनावी मुद्दा होगा' इस पर अपनी राय दी। क्या कहा मिलेनियल्स ने आइए जानते हैं
चर्चा की शुरुआत करते हुए विनोद पांडे ने कहा महिला सशक्तिकरण के नाम पर आज पूरे देश भर में महिलाओं के हक की बात की जा रही है, लेकिन प्रदेश में आज भी महिलाएं मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रही हैं। प्रदेश में महिलाओं की यह स्थिति काफी चिंताजनक है। इस पर राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार ध्यान दे रही है। मनोज कुमार पांडे ने कहा कि किसी भी खुशहाल समाज की कामना बिना महिलाओं की भागीदारी के संभव नहीं है। संख्याबल में भी यह आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं। बावजूद इसके आज भी वह पुरुषों से कई मामलों में बहुत पीछे चल रही हैं। अरुण कुमार ने कहा समाज में फैली रूढ़ीवादी मानसिकता अभी भी महिलाओं के कदम पीछे खींच रही है। प्रदेश में भी हालात इससे इतर नहीं है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के उत्थान के लिए तमाम दावे किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर अभी भी कुछ खास देखने को नहीं मिला है। प्रदेश में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के तमाम दावे किए गए हैं, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में अभी भी महिलाएं पुरुषों से पीछे चल रही हैं। चर्चा को आगे बढ़ाते हुए किशन लोहरा ने कहा कि रोजगार के नजरिए से भी देखा जाए जितना रोजगार पुरुषों को मिला उससे तुलना की जाए तो महिलाओं को बहुत कम रोजगार मिला है।
धरातल पर नहीं आती योजना
चर्चा के दौरान श्री भगवान ने कहा सरकार जिन योजनाओं को अपनी सफलता बताती है, उनमें से कई का अभी धरातल पर उतरना बाकी है। उन्होंने कहा कि सरकार यदि सही मायनों में महिलाओं को मुख्य धारा से जोड़ना चाहती है, तो इसके लिए सरकार को महिलाओं पर विशेष ध्यान देना होगा। भुवनेश्वर दास ने कहा कि सरकार को महिला सशक्तिकरण को अपनी प्राथमिकता सूची में रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं को कौशल विकास की शिक्षा दी जाए, ताकि वे स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बन सकें। इसके लिए सरकार को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर निष्पक्षता से काम करना होगा।
ऐसे होगा महिलाओं का उत्थान
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए विक्की ने कहा कि आठ मार्च को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस है। भारत सहित दुनिया भर के देशों में महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया जा रहा है। कई प्रकार की योजनाओं द्वारा भारत सरकार महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा और भेदभाव के प्रति सजग हो रही है। ये योजनाएं कमजोर और पीढि़त महिलाओं को आवाज उठाने में मदद कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने भी महिलाओं के मुद्दों और देश की अर्थव्यवस्था में उनके योगदान को मान्यता दी है। रौशन ने कहा कि सरकार ने महिलाओं ने उत्थान के लिए कई तरह के कार्य कर रही है। सरकार 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' जैसे प्रोग्राम चलाकर महिला सशक्तिरण पर काम कर रही है। इसके साथ ही महिलाओं के रोजगार के लिए कई प्रशिक्षण कार्यक्रम चालू किए गए हैं। इसके तहत महिलाओं को रोजगार की सुविधा भी दी जा रही है।
मेरी बात
महिला सशक्तिकरण के नाम पर आज पूरे देश भर में महिलाओं के हक की बात की जा रही है, वहीं प्रदेश में आज भी महिलाएं मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रही हैं। प्रदेश में महिलाओं की यह स्थिति काफी चिंताजनक है। इस पर राज्य सरकार ना केंद्र सरकार ध्यान दे रही है। प्रदेश में आए दिन बलात्कार के वारदातें हो रही हैं। इसके रोकथाम के लिए प्रशासन की ओर से कुछ नहीं किया जा रहा है। हम ऐसी सरकार लाना चाहेंगे, जो सिर्फ महिला के सशक्तिकरण की बात ना करे, बल्कि उस पर अमल भी करे।
विनोद पांडे
कड़क मुद्दा
भारत सहित दुनिया भर के देशों में महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया जा रहा है। देश में कई प्रकार की योजनाओं द्वारा भारत सरकार महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा और भेदभाव के प्रति सजग हो रही हैं। ये योजनाएं कमजोर और पीडि़़त महिलाओं को आवाज उठाने में मदद कर रही हैं। पहले महिलाओं पर काफी अत्याचार होते थे, जो कम हुए हैं। सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के तीन तलाक के मुद्दे को प्रमुखता से उठा रही है। इसके साथ गर्भवती महिलाओं को 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश दिया जा रहा है।
विक्की
किसी भी खुशहाल समाज की कामना बिना महिलाओं की भागीदारी के संभव नहीं है। संख्याबल में भी यह आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करती है। बावजूद इसके आज भी वह पुरुषों से कई मामलों में बहुत पीछे चल रही हैं। सरकार को इस पर काम करना होगा।
मनोज कुमार पांडे
समाज में फैली रूढ़ीवादी मानसिकता अभी भी महिलाओं के कदम पीछे खींच रही है। प्रदेश में भी हालात इससे ऐसी ही है, महिलाओं के उत्थान के लिए तमाम दावे किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर अभी भी बहुत कुछ खास देखने को नहीं मिला है।
अरुण कुमार
प्रदेश में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के तमाम दावे किए गए हैं, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में अभी भी महिलाएं पुरुषों से पीछे चल रही हैं। रोजगार के नजरिए से भी देखा जाए जितना रोजगार पुरुषों को मिला। उनकी अपेक्षा महिलाओं को बहुत कम रोजगार मिला है।
किशन लौहरा
सरकार जिन योजनाओं को अपनी सफलता बताती है, उनमें से कई का अभी धरातल पर उतरना बाकी है। सरकार यदि सही मायनों में महिलाओं को मुख्य धारा से जोड़ना चाहती है, तो इसके लिए सरकार को महिलाओं पर विशेष ध्यान देना होगा।
भुवनेश्वर दास
सरकार को चाहिए कि महिलाओं को कौशल विकास की शिक्षा दी जाए, ताकि वे स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बन सकें। इसके लिए सरकार को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर निष्पक्षता से काम करना होगा।
श्री भगवान
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के लिए महिलाओं के शिक्षा के लिए कई कार्य किए गए। इसके साथ ही महिलाओं के रोजगार के लिए कई प्रशिक्षण कार्यक्रम चालू किए गए हैं। इसके तहत महिलाओं को रोजगार की सुविधा प्रदान की जा रही है।
रौशन
देश में घरेलू हिंसा बढ़ती जा रही है। इसे रोकने में सरकार नाकाम रही है। रोज कम से कम 20 मामले महिला थाने में आ रहे हैं। सरकार को थोड़ा इस पर सोचना चाहिए। सिर्फ पिंक पेट्रोलिंग वैन के चलाने से कुछ नहीं होने वाला है।
अशोक
देश, प्रदेश और शहर में रेप के मामले दिनों-दिन बढ़ते जा रहे हैं। इसके लिए कोई योजना काम नहीं आ रही है। शहर के बीच चौक-चौराहों पर कोई भी लड़की को छेड़ दे रहा है। इसे रोकने में प्रशासन नाकाम है।
राम प्रसाद
सतमोला कुछ भी खाओ कुछ भी पचाओ
चर्चा के दौरान कुछ मिलेनियल्स ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के नाम पर सिर्फ योजनाएं बनाई जा रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। वहीं कुछ मिलेनियल्स ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि सरकार महिला सशक्तिकरण पर कई योजनाएं चला रही है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना इनके कुछ उदाहरण हैं। आज सरकार की बनाई गई योजनाओं के कारण महिलाएं सशक्त हुई है, अब बलात्कार करने के आरोपी पर तुरंत कारवाई की जाती है।
आज का कार्यक्रम
स्थान - सर्किट हाउस एरिया, बिष्टुपुर
समय - दोपहर 3.30 बजे